मेरा पहला सेक्स भाभी के साथ
मेरी गर्लफ्रैंड है पर हम चुम्मा चाटी के अलावा कुछ कर नहीं पाए। गाँव गया तो ताऊ की बहू यानि चचेरी भाभी से मेरी दोस्ती हो गयी. यह दोस्ती आगे भाभी की चूत चुदाई तक गयी.
मेरी गर्लफ्रैंड है पर हम चुम्मा चाटी के अलावा कुछ कर नहीं पाए। गाँव गया तो ताऊ की बहू यानि चचेरी भाभी से मेरी दोस्ती हो गयी. यह दोस्ती आगे भाभी की चूत चुदाई तक गयी.
फिर शिवम ऊपर की ओर आ गया और उसने मेरी बहन की चूचियों को पकड़ कर दबाना शुरू कर दिया. कुछ देर उसकी चूचियों को दबाने के बाद वो सपना की चूचियों को पीने लगा.
मैं उनके ऊपर चढ़ गया और अपना लौड़ा उनकी चुत के अन्दर डाल दिया और धीरे धीरे हिलाने लगा.
अब तक रात के 12 बज गए थे. मैंने बुआ से बोला- आप सो जाइए, मैं भी थोड़ी देर में सो जाऊंगा.
Kamukta मुझे फ्लाइट से बेंगलुरु जाना था लेकिन किसी कारणवश मुझे ट्रेन से जाना पड़ा। मुझे ट्रेन के थर्ड एसी में सिटी मिल चुकी थी और थर्ड एसी के लिए भी बडी मेहनत करनी पड़ी लेकिन आखिरकार ट्रेन में टिकट मिली चुकी थी। मैं जब ट्रेन की सीट में बैठी तो कुछ देर मैंने एक लंबी गहरी सांस ली जिसके बाद मैं आराम से बैठी रही। मुझे काफी अच्छा लग रहा था क्योंकि मैं ही जानती हूं कि किस प्रकार से मुझे थर्ड एसी में टिकट मिल पाई थी। मेरे बगल की सीट में एक परिवार बैठा हुआ था वह लोग आपस में बात कर रहे थे लेकिन तभी एक नौजवान युवक आया।
मैंने उसे कहा नींद तो आ रही है लेकिन जब राघव ने मुझसे यह बात कही तो उसके बाद जैसे मेरी आंखों से नींद गायब हो चुकी थी। रघाव अपने मोबाइल में गेम खेल रहा था मैं राघव की तरफ देखे जा रही थी परंतु मुझे नींद बिल्कुल भी नहीं आ रही थी। मैं सोचने लगी मै राघव से बात करूं मैंने आखिरकार राघव से बात की तो राघव कहने लगा तुम अभी तक सोई नहीं हो मुझे तो लगा था कि तुम सो चुकी होगी। मैने राघव से कहा मुझे नींद नहीं आ रही है। राघव मुझसे कहने लगा चलो कोई बात नहीं हम दोनों एक दूसरे से बात करते हैं हम दोनों एक दूसरे से धीरे-धीरे बात कर रहे थे तभी राघव ने मुझसे पूछा क्या तुम्हारा कोई बॉयफ्रेंड है? मैंने उसे कहा नहीं मेरा कोई बॉयफ्रेंड नहीं है लेकिन हम दोनों तो जैसे एक दूसरे की बातों में इतना खो गए थे कि मेरा मन राघव के साथ सोने का होने लगा। मैंने अपने स्तनों को राघव को दिखाना शुरू किया जिससे कि वह भी अब उत्तेजित होने लगा था। राघव ने अपने लंड को बाहर निकाला और हिलाना शुरू किया। मै राघव की हिम्मत की दाद देती हूं कि वह कितनी हिम्मत से अपने लंड को हिला रहा था। मुझसे अब रहा नहीं गया और हम दोनों ही बाथरूम में चले गए बाथरूम में जाते ही मैंने राघव के मोटा लंड को अपने हाथ में लिया और उसे हिलाना शुरू किया। उसका लंड और भी ज्यादा कड़क होने लगा था मैंने जैसे ही उसके मोटे लंड को अपने मुंह में लेकर सकिंग करना शुरू किया तो उसे भी मजा आने लगा।
मेरा नाम महेश है। मैं राजस्थान की राजधानी जयपुर से हूँ। दिखने में सुन्दर हूँ। बदन भी मस्त है। मैं अपनी ज्यादा बड़ाई नहीं करूंगा। मेरा लण्ड मोटा ओर लंबा है जो किसी औरत को खुश करने के लिए काफी है।
मैं किस करते करते ऊपर को गया और उसके होंठों को चूसने लगा. एक हाथ नीचे करके मैंने अपना लंड उसकी चुत पे सैट किया और एक ही झटके में पूरा लंड अन्दर चला गया. उसकी उम्म्ह… अहह… हय… याह… निकल गई. उसने मुझे धीरे धीरे चुदाई करने को कहा.
मेरी चुदाई की कहानी में पढ़ें कि मैं मेरी सहेली को डिलीवरी के लिए अस्पताल ले गयी. रात को मैं वहीं रुकी. और मेरी चुदासी चूत और गांड की चुदाई कैसे हुई?
अजय भी शायद मुझे प्यार करने लगा था उसका प्यार एक तरफा ही था लेकिन मुझे इस बात की चिंता सता रही थी कि कहीं मेरे पिताजी और मां को इस बारे में पता ना चल जाए। गांव के माहौल में कभी भी इस बात की स्वीकार्यता नहीं थी इसलिए मैं काफी डरी हुई थी मैं और अजय ऐसे ही चोरी छुपे मिलने लगे थे। हम दोनों चलते चलते अपने गांव से थोड़ी दूरी पर निकल गए और वहां पर बैठकर हमने काफी देर तक एक दूसरे से बात की अजय के साथ बात कर के मुझे बहुत अच्छा लगा और मुझे ऐसा लगा कि जैसे अजय अपने जीवन में कुछ बड़ा करना चाहता है। मैंने अजय से कहा तुम काफी मेहनती हो तुम जरूर अपने जीवन में आगे बढ़ोगे। अजय कहने लगा मेरी मां भी हमेशा यही कहती है और जब मुझे तुमसे बात करने का मौका मिला तो मुझे ऐसा लगा कि जैसे तुम्हारे अंदर भी मेरी मां का कोई रूप छुपा हो तुम बिलकुल मेरी मां की तरह बात करती हो वह भी मुझे ऐसे ही समझाती रहती हैं और जिस प्रकार से तुम से मेरी मुलाकात हुई है वह भी किसी इत्तेफाक से कम नहीं है। मुझे भी अजय का साथ पाकर अच्छा लगा लेकिन जब अजय ने यह कहा कि मैं कल पटना लौट जाऊंगा तो मुझे यह बात हुई बुरी लगी। उस दिन मुझे अजय को देखकर ऐसा प्रतीत हो रहा था कि मै उसे अपनी बाहों में ले लू लेकिन मैं गांव की एक सीधी-सादी सी लड़की थी इसलिए मेरे अंदर इतनी हिम्मत ना थी परंतु अजय ने हिम्मत दिखाते हुए आखिरकार मुझे गले लगा लिया। जब अजय ने मुझे गले लगाया तो मेरे अंदर से उत्तेजना जागने लगी थी मेरे अंदर से एक करंट सा निकलने लगा। मैं अजय से गले मिलकर बहुत खुश थी जब अजय ने मेरे गुलाब जैसे होठों को अपने होठों से चुंबन किया तो मैं बिल्कुल रह ना सकी। मैंने अजय से कहा तुम मेरे होठों को बड़े अच्छे से चूम रहे हो मुझे बहुत अच्छा लग रहा है। हम दोनों पास के एक खेत में चले गए वहां कुछ दिखाई नहीं दे रहा था इसलिए हम दोनों ने खेत में जाकर एक दूसरे को काफी देर तक चुंबन किया जिससे कि हम दोनों एक दूसरे के प्रति आकर्षित हो गए।
उन्हें इस बात की खुशी थी की रोहन का रिश्ता हो जाएगा तो शायद रोहन भी अपनी जिम्मेदारियों को समझने लगेगा। मैंने जब मनमोहन जी और अपने मामा की मुलाकात करवाई तो वह लोग आपस में एक दूसरे से बात करने लगे। मामा जी ने रोहन के बारे में उन्हें सब कुछ बता दिया था और कुछ ही दिनों बाद मनमोहन जी ने काजल की मां को भी अपने पास बुला लिया। काजल से मैं पहली बार ही मिला था उसकी तस्वीर देख कर वह बहुत अच्छी लग रही थी और असल में भी वह बहुत सुंदर थी। उसके भाग्य की वजह से शायद उसकी शादी नहीं हो पाई थी परंतु अब मामा जी और काजल की मां के बीच पूरी बातचीत हो चुकी थी जिस वजह से वह काजल की शादी रोहन से करवाने को तैयार हो चुकी थी। मामा जी भी बहुत खुश थे मामा जी ने मुझे कहा कि यह सब तुम्हारी वजह से ही हो पाया है। मैंने मामा जी से कहा ऐसी कोई बात नहीं है मुझे भी रोहन की चिंता रहती है इसीलिए तो मैंने आपको काजल के बारे में बताया फिर काजल और रोहन की शादी बड़े धूमधाम से हुई। काजल और रोहन की शादी के बाद रोहन के चेहरे पर बड़ी मुस्कुराहट रहती। मैंने उससे पूछा तुम बड़े खुश रहते हो? वह मुझे शर्माते हुए कहने लगा भैया पूछिए मत बस मैं ही जान सकता हूं कि मैं कितना खुश हूं। मैंने उसे कहा लेकिन मुझे भी तो बताओ तुम्हारी खुशी का राज क्या है उसने मुझे कुछ नहीं बताया लेकिन मुझे उसकी खुशी का राज उस वक्त पता चला जब मेरे काजल के साथ अंतरंग संबंध बने। काजल और रोहन हमारे घर पर आए हुए थे वह लोग जब हमारे घर पर आए तो मैंने काजल की तरफ अपनी प्यासी नजरों से देखना शुरू किया तो काजल भी मचलने लगी।
दिस ईज़ माय रियल सेक्स स्टोरी. पहले मैं मेरे फॅमिली के बारे मे बता दू मेरी फॅमिली मुंबई (कल्याण) मे रहते हैं हम 2 भाई एक बहन हैं बड़े भाई सुजीत (30) के शादी हो गयी हैं वो अपनी बीबी के साथ अलग रूम लेकर रहते है. मैं (25ईयर ) मेरे पापा मम्मी और माय सिस्टर रूचि (22) 4 लोग साथ मे रहते है मेरा 2 बीएचके रूम हैं… मैं देसी कहानी पर सेक्स स्टोरी पिछले 2 साल से पढ़ रहा मुझे सबसे ज़्यादा बहन भाई की चुदाई की कहानी ही पसंद आती है बिकॉज़ मैं भी अपनी बहन के साथ ऐसा ही करना चाहता था जिसमे मैं पिछल 6 मंथ पहले सफल हुवा……
हम दोनों ने एक दूसरे का साथ देने का फैसला कर लिया था और मैंने अपनी मां को जब अजय से मिलवाया तो मेरी मां को अजय बहुत पसंद आया। मेरी माँ अजय से कहने लगी बेटा देखो हम चाहते हैं कि तुम काजल को हमेशा खुश रखो और तुम काजल का ध्यान दो अजय ने कहा मैं काजल से प्यार करता हूं और उसका हमेशा ही ध्यान रखूंगा अब काजल की जिम्मेदारी मुझ पर ही है। कुछ ही समय बाद हम लोगों की सगाई भी हो गई मेरे पिताजी को तो जैसे हमसे कोई लेना देना ही नहीं था। मैं अपनी मां के लिए बहुत ज्यादा दुखी थी क्योंकि जब मेरी शादी हो जाएगी तो उसके बाद मेरी मां की देखभाल कौन करेगा क्योंकि मेरे पिता जी से तो मुझे बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी। मुझे दिन-रात यही चिंता सताती रहती लेकिन जब भी मैं अजय से मिलती तो मुझे बहुत अच्छा लगता। जब भी मैं अजय से मिलती तो मेरे चेहरे पर मुस्कान आ जाती थी और अजय भी बहुत खुश होते थे। एक दिन अजय और मेरे बीच फोन पर काफी देर तक बात हुई उस दिन जब हम दोनों की बात हो रही थी तो हम दोनों की जवानी उछाल मारने लगी थी। मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मैं अपने आपको नहीं रोक पाऊंगा उस रात मैंने अजय के साथ काफी ज्यादा अश्लील बातें की अजय भी खुश हो चुके थे। वह मुझे कहने लगे हम लोगों को मिलना चाहिए हम लोगों ने कुछ समय बाद मिलने का फैसला किया तो हम दोनों ही अपने आपको नहीं रोक पाए। अजय मुझे कहने लगे आज मैं तुम्हारे साथ शारीरिक संबंध बनाना चाहता हूं अजय को मैंने अपना दिल तो दे ही दिया था उसे अब मैं अपना तन भी देना चाहती थी। मैने अपना तन बदन सौंपने का पूरा फैसला कर लिया था मैं और अजय एक गेस्ट हाउस में चले गए।
Chut chudai ki khani married ladki ki. फेसबुक पर एक लड़की से दोस्ती हुई. जब मैं उससे मिला तो वो शादीशुदा थी. उस लड़की की चूत चुदाई की कहानी का मजा लें.
अब उसने मुझे खींच कर चित लिटाया और मेरी चूत को चाटने लगा. मैं चूत चटाई से मस्त हो गई और कामुक सिसकारियां लेने लगी. इस वक्त काफी रात हो गई थी, करीब बारह बज गए होंगे. होटल के इस सन्नाटे भरे माहौल में हमारी सिसकारियां शायद कुछ शोर मचा सकती थीं, इसलिए उसने मुझे संयम रखने को कहा.
वो ब्रा और पैंटी में किसी पोर्न फिल्म की मॉडल जैसी लग रही थी. उसकी ब्रा में कैद मैं उसके मोटे मोटे बूब्स को दबाने लगा और साथ ही उसकी गर्दन पर किस करने लगा. कभी मैं उसको काट लेता और वो कराह जाती.
उन्होंने बहुत कोशिश की, लेकिन मैंने मना कर दिया.
तभी अनामिका शायद जग गई। उसने अपनी बांहों में मुझे जकड़ लिया और बोली- कहाँ थे अब तक? मैंने तुम्हारा कितना इंतज़ार किया।
मेरा नाम नेहा है. मैं अपनी सहेली के पति से अपनी चुदाई की कहानी आपको बताने जा रही हूँ. मुझे उम्मीद है कि आपको मेरी कहानी पसंद आएगी.
जब वह सुनीता के साथ रहने लगे तो पिताजी इस बात से बहुत दुखी हुए उन्हें इस बात का बहुत गहरा सदमा लगा जिससे कि उनकी तबीयत पर भी असर पड़ने लगा उनका स्वास्थ्य भी खराब रहने लगा था। वह काफी बीमार भी रहने लगे मैंने उनकी काफी देखभाल की रोहित मुझे मानसिक रुप से हमेशा ही सपोर्ट किया करता और कहता तुम हार मत मानो सब कुछ ठीक हो जाएगा। रोहित के इतने कहने से मुझे भी एक ताकत मिलती और पिताजी की तबीयत में भी सुधार होने लगा था। भैया तो घर से जा चुके थे हमारे परिवार में सिर्फ 3 लोग ही रह गए थे मम्मी भी इस बात से काफी दुखी रहती थी लेकिन मम्मी अपने दुख को किसी के सामने बयां नहीं कर पाती थी लेकिन वह ना चाहते हुए भी कभी ना कभी कह ही देती थी मोहन ने बहुत गलत किया। मेरे और रोहित के बीच सब कुछ ठीक था हम दोनों एक दूसरे से बात किया करते लेकिन मेरे पिताजी अब तक हम दोनों के रिश्ते को मान नहीं पाए थे उन्होंने अपनी स्वीकार्यता हमें नहीं दी थी। हम दोनों को रिलेशन को काफी समय हो चुका था एक दिन रोहित ने मुझसे मिलने की इच्छा जाहिर की। हम लोग अक्सर मिला करते थे लेकिन उस दिन ना जाने हम दोनों के दिल मे ऐसा क्या चल रहा था जिससे कि मेरे और रोहित के में उत्सुकता पैदा होने लगी। मैं रोहित के प्रति खिची चली गई रोहित को मैं अपना तन बदन सौंपना चाहती थी। उस दिन हम दोनों ने साथ में जाने का फैसला किया रोहित और मैं कार से रोहित के घर गए। जब हम लोग रोहित के घर पहुंचे तो वहां पर उसकी मम्मी बैठी हुई थी उसकी मम्मी को हम दोनों से कोई आपत्ति नहीं थी।
नमस्कार दोस्तो, आप सभी का मेरी कहानी में हार्दिक स्वागत है. मेरी पिछली कहानियों को आपका इतना प्यार मिला, उसके लिए मैं आपका धन्यवाद करता हूँ और उम्मीद करता हूँ कि आगे भी मुझे ऐसे ही प्यार देते रहोगे और इमेल्स करते रहोगे. मेरी पिछली कहनियाँ को पढ़कर बहुत सी फीमेल ने अपनी चूतों का रस निकाला और बहुत से मर्दों और लड़कों ने अपने लंडों की प्यास शांत की।
राजेश कहने लगा भैया आपने मेरे लिए इतना कुछ किया है पिताजी के देहांत के बाद आपने ही तो मुझे संभाला है, कंचन का नेचर हालांकि पहले से ज्यादा बदल चुका है और ना जाने उसे भाभी से क्या आपत्ति है लेकिन फिर भी मैं उन बातों को गौर नहीं करता। मैं भी वहीं बैठी हुई थी मैंने राजेश से कहा देखो राजेश मैं तुम्हें काफी समय से जानती हूं मैंने कभी भी तुम्हारे बारे में गलत नहीं सोचा, राजेश कहने लगा भाभी मैं आपके नेचर को जानता हूं आप बहुत ही अच्छी हैं, राजेश कहने लगा मैं इस बारे में कंचन से बात करता हूं और वह यह कहते हुए वहां से चला गया। राजेश ने कंचन को बहुत समझाया लेकिन वह बिल्कुल भी ना समझी मैंने भी सोचा मुझे अपना रंग दिखाना पड़ेगा। मैं राजेश को अपने बस में करना चाहती थी उसके लिए सिर्फ मेरे पास एक ही रास्ता था मुझे उसके साथ सेक्स करना जरूरी था। एक दिन मैं अपने कमरे में बैठी हुई थी राजेश मेरे पास आया और कहने लगा भाभी आप क्या कर रही हो। मैंने उसे कहा बस राजेश ऐसे ही बैठी हूं मैंने उसे कहा आओ मेरे पास बैठो। वह मेरे पास आकर बैठ गया जब वह मेरे पास आकर बैठा तो मैंने उससे बात करना शुरू कर दिया वह मुझे कोई भी जवाब नहीं दे रहा था लेकिन मुझे तो पता था कि मुझे उसके साथ सेक्स करना ही है।
मैं भाभी की चूत में उंगली डालकर चूची मसल रहा था। तभी उनके बेटे की आवाज आई और मेरा खेल बिगड़ गया। उसके बाद मैंने भाभी की चूत चुदाई कैसे की?
Antarvasna मैं हरियाणा के छोटे से गांव का रहने वाला हूं वहीं पर मेरी पैदाइश हुई और मेरे स्कूल की पढ़ाई भी वहीं हुई उसके बाद मेरे पिताजी रोहतक आ गए थे मैंने अपने कॉलेज की पढ़ाई रोहतक से ही की। कुछ समय तो हम लोग रोहतक रहे उसके बाद दोबारा मेरे पिताजी गांव चले गए और वह गांव में रहकर खेती का काम करते हैं मैंने भी सोचा कुछ समय तक मैं रोहतक में जॉब कर लेता हूं। करीब एक साल तक मैंने रोहतक में नौकरी की मैं एक छोटी सी कंपनी में काम करता था हमारा छोटा सा ऑफिस था और मुझे पता ही नहीं चला कि कब एक साल हो गया। फिर मुझे लगा कि मुझे कहीं बड़े शहर जाना चाहिए रोहतक में रहकर ना तो मेरी तनख्वाह बढ़ने वाली थी और ना ही मैं आगे कुछ काम सीखने वाला था इसलिए मैंने दिल्ली जाने की सोची।