जब वह सुनीता के साथ रहने लगे तो पिताजी इस बात से बहुत दुखी हुए उन्हें इस बात का बहुत गहरा सदमा लगा जिससे कि उनकी तबीयत पर भी असर पड़ने लगा उनका स्वास्थ्य भी खराब रहने लगा था। वह काफी बीमार भी रहने लगे मैंने उनकी काफी देखभाल की रोहित मुझे मानसिक रुप से हमेशा ही सपोर्ट किया करता और कहता तुम हार मत मानो सब कुछ ठीक हो जाएगा। रोहित के इतने कहने से मुझे भी एक ताकत मिलती और पिताजी की तबीयत में भी सुधार होने लगा था। भैया तो घर से जा चुके थे हमारे परिवार में सिर्फ 3 लोग ही रह गए थे मम्मी भी इस बात से काफी दुखी रहती थी लेकिन मम्मी अपने दुख को किसी के सामने बयां नहीं कर पाती थी लेकिन वह ना चाहते हुए भी कभी ना कभी कह ही देती थी मोहन ने बहुत गलत किया। मेरे और रोहित के बीच सब कुछ ठीक था हम दोनों एक दूसरे से बात किया करते लेकिन मेरे पिताजी अब तक हम दोनों के रिश्ते को मान नहीं पाए थे उन्होंने अपनी स्वीकार्यता हमें नहीं दी थी। हम दोनों को रिलेशन को काफी समय हो चुका था एक दिन रोहित ने मुझसे मिलने की इच्छा जाहिर की। हम लोग अक्सर मिला करते थे लेकिन उस दिन ना जाने हम दोनों के दिल मे ऐसा क्या चल रहा था जिससे कि मेरे और रोहित के में उत्सुकता पैदा होने लगी। मैं रोहित के प्रति खिची चली गई रोहित को मैं अपना तन बदन सौंपना चाहती थी। उस दिन हम दोनों ने साथ में जाने का फैसला किया रोहित और मैं कार से रोहित के घर गए। जब हम लोग रोहित के घर पहुंचे तो वहां पर उसकी मम्मी बैठी हुई थी उसकी मम्मी को हम दोनों से कोई आपत्ति नहीं थी।
कुछ देर में उसकी मम्मी के साथ बैठी रही और फिर मैं रोहित के साथ रूम में चली गई। रोहित और मेरी जवानी ऊफान मारने लगी थी हम दोनों की जवानी पूरे उफान पर थी। मैंने रोहित के हाथ को पकड़ लिया रोहित ने मेरे हाथ को पकड़ते हुए कहा आई लव यू। उसके यह कहते ही मैं उसकी तरफ पिघलती चली गई मेरे बदन से करंट दौड़ने लगा था। रोहित ने मेरे होंठो को चूमना शुरू कर दिया मैं और रोहित पूरी तरीके से उत्तेजित हो चुके थे जब उसने मेरे स्तनों पर अपने हाथ का स्पर्श किया तो मैंने रोहित के लंड को अपने हाथ में पकड़ लिया। यह पहला ही मौका था जब मैंने किसी के लंड को अपने हाथों से पकड़ा था। रोहित ने उसे बाहर निकालते हुए मुझे कहा तुम मेरे लंड को हिलाते रहो और ऐसे ही खड़ा कर दो मैं उसके लंड को हिलाती जा रही थी। रोहित का लंड तन कर खड़ा हो चुका था वह मेरी योनि में जाने के लिए तैयार हो चुका था। रोहित ने मेरे कपड़े उतार दिए जब रोहित ने मेरे कपड़े उतारे तो उसने मेरी योनि का रसपान काफी देर तक किया।
रोहित ने मेरे बदन को ऊपर से लेकर नीचे तक चाटा जिससे कि मेरे बदन से गर्मी बाहर निकलने लगी थी जैसे ही रोहित ने अपने काले और मोटे लंड को मेरी योनि के अंदर प्रवेश करवाया तो मैं चिल्ला उठी मेरी योनि में दर्द होने लगा। मेरी योनि से खून का बहाव बाहर की तरफ को निकल आया। रोहित ने मेरे दोनों पैरों को कसकर पकड़ लिया और काफी देर तक वह मुझे धक्के देता रहा। जब वह मेरे बदन के ऊपर से लेटा हुआ था तो मेरे शरीर और उसके शरीर से जो गर्मी पैदा होती उससे मेरे शरीर से पसीना बाहर की तरफ आने लगता। रोहित पूरे तरीके से उत्तेजित होने लगा था हम दोनों की उत्तेजना चरम सीमा पर पहुंच चुकी थी। हम दोनों संभोग के आखिरी क्षण पर थे रोहित का वीर्य बस गिरने ही वाला था मैं झड़ चुकी थी। मैं पूरी तरीके से संतुष्ट हो चुकी थी पहला अनुभव मेरे लिए बहुत ही अच्छा रहा। जैसे ही रोहित ने अपने वीर्य को मेरी योनि में प्रवेश करवाया तो मैं खुश हो गई। रोहित ने मुझे कहा तुम जल्दी से अपनी योनि को साफ कर लो मैंने जल्दी से अपनी योनि को साफ किया और उसके बाद रोहित और मैं काफी देर तक बैठकर बाते करते रहे।