राजेश कहने लगा भैया आपने मेरे लिए इतना कुछ किया है पिताजी के देहांत के बाद आपने ही तो मुझे संभाला है, कंचन का नेचर हालांकि पहले से ज्यादा बदल चुका है और ना जाने उसे भाभी से क्या आपत्ति है लेकिन फिर भी मैं उन बातों को गौर नहीं करता। मैं भी वहीं बैठी हुई थी मैंने राजेश से कहा देखो राजेश मैं तुम्हें काफी समय से जानती हूं मैंने कभी भी तुम्हारे बारे में गलत नहीं सोचा, राजेश कहने लगा भाभी मैं आपके नेचर को जानता हूं आप बहुत ही अच्छी हैं, राजेश कहने लगा मैं इस बारे में कंचन से बात करता हूं और वह यह कहते हुए वहां से चला गया। राजेश ने कंचन को बहुत समझाया लेकिन वह बिल्कुल भी ना समझी मैंने भी सोचा मुझे अपना रंग दिखाना पड़ेगा। मैं राजेश को अपने बस में करना चाहती थी उसके लिए सिर्फ मेरे पास एक ही रास्ता था मुझे उसके साथ सेक्स करना जरूरी था। एक दिन मैं अपने कमरे में बैठी हुई थी राजेश मेरे पास आया और कहने लगा भाभी आप क्या कर रही हो। मैंने उसे कहा बस राजेश ऐसे ही बैठी हूं मैंने उसे कहा आओ मेरे पास बैठो। वह मेरे पास आकर बैठ गया जब वह मेरे पास आकर बैठा तो मैंने उससे बात करना शुरू कर दिया वह मुझे कोई भी जवाब नहीं दे रहा था लेकिन मुझे तो पता था कि मुझे उसके साथ सेक्स करना ही है।
मैंने उसके सामने अपने सूट को उतारा तो उसने मेरे बड़े बड़े स्तनों को बड़े ध्यान से देखा। उसने मेरी तरफ बडी तेजी से अपने हाथों से मेरे स्तनों को दबाना शुरू किया वह बड़े ही अच्छे तरीके से मेरे स्तनों को दबा रहा था। वह मेरे स्तनों को अपने होठों से चूसने लगा मैंने भी राजेश के लंड को बाहर निकालते हुए सकिंग करना शुरू किया। जब मैं उसके लंड को चूस रही थी तो लह मुझे लगा मैंने आज तक कभी भी आपके बारे में ऐसा नहीं सोचा लेकिन आपने मुझे अपनी और आने के लिए विवश कर दिया। मैंने उसे कहा कोई बात नहीं राजेश यह बात हम दोनों के बीच मे ही रहेगी मैंने उसके लंड को बहुत देर तक सकिंग किया। उसने भी मेरी दोनों पैरों को चौड़ा किया और मेरी योनि के अंदर अपने लंड को डाल दिया उसका लंड मेरी योनि के अंदर बाहर होता तो मेरे अंदर की गर्मी और भी ज्यादा बढ़ने लग जाती। मेरी योनि से पानी निकलने लगा था और मेरी चूत से कुछ ज्यादा ही अधिक मात्रा में पानी निकलने लगा। हम दोनों ने एक साथ काफी देर तक संभोग किया राजेश मेरा हो चुका था, वह मेरी किसी भी बात को नहीं टालता। हम दोनों के बीच अक्सर सेक्स संबंध बनते रहे और अब भी वह हमेशा चोदता रहता है वह कंचन की तरफ देखता तक नहीं है। एक दिन राजेश ने मेरी गांड मारने के बारे में कहा मैंने उसे कहा अब मैं तुम्हारी हो चुकी हूं उस दिन उसने उठा उठा कर मेरी गांड मारी मेरी गांड से खून भी निकाला मुझे बहुत अच्छा महसूस हुआ। मझे उससे गांड मरवाने का फायदा हुआ राजेश मेरी हर बात को मानने लगा था। कंचन कभी भी उसके सामने ऐसा कोई बर्ताव करती तो राजेश उसे डांट दिया करता। कंचन को यह बात बिल्कुल अच्छी नहीं लगती थी उसने कई तरीके के हथकंडे अपनाने की कोशिश की लेकिन मैं तो पहले से ही खली खिलाई हुई थी वह भाला मुझसे टक्कर कैसे ले सकती थी। वह भी राजेश को अपने हुस्न के जाल में बार-बार फसाने की कोशिश करती लेकिन मेरे हुस्न के आगे उसका हुस्न कहीं भी नहीं टिकता।