चुदक्कड़ भाभी और अनाड़ी देवर का कड़क लंड – Part 2
मैंने देखा, तो आंधी की वजह से लाइट चली गई थी. रूम में अंधेरा हो गया था. बस बिज़ली की चमक ही अन्दर आ रही थी, जिससे कभी कभी थोड़ी रोशनी हो जाती थी.
मैंने देखा, तो आंधी की वजह से लाइट चली गई थी. रूम में अंधेरा हो गया था. बस बिज़ली की चमक ही अन्दर आ रही थी, जिससे कभी कभी थोड़ी रोशनी हो जाती थी.
मैं एक छोटे से फ्लैट में रहता था. एक दिन मैं बालकनी में सिर्फ चड्डी में खड़ा था कि बगल वाली छत पर एक भाभी मुझे देख रही थी. उसके बाद मैंने क्या किया?
मेरी बीवी की सहेली सुंदर सेक्सी नहीं थी पर वो मुझ पर मरती थी. मैंने भी सोचा कि साली अगर चूत दे रही है तो मार लो. एक दिन मैं उसके घर चला गया. वहां पर क्या हुआ?
उसके बाद उन्होंने शादी के लिए उनके माता-पिता से बात की वह लोग भी मान गए और फिर जब उन दोनों की शादी हुई तो अजय भैया और सुनैना भाभी की शादी के बाद सब कुछ अच्छा था लेकिन ना जाने कुछ समय से उन दोनों के बीच झगड़े होने शुरू हो गए। उन दोनों के झगड़े की वजह उनका एक दोस्त है भैया को लगता है कि सुनैना भाभी उससे बातें करती हैं लेकिन सुनैना भाभी का नेचर भी ऐसा नहीं है वह बहुत अच्छी है। पता नही भैया के दिमाग में यह बात कहां से बैठ गई उसके बाद से इसी बात को लेकर उन दोनों के बीच काफी बार झगड़े हो जाते हैं। जब भी उनके फोन में उनके दोस्त की कॉल आती है तो वह बहुत ज्यादा गुस्से में हो जाते हैं और अब तो वह छोटी-छोटी बातों पर भी सुनैना भाभी से झगड़े करने लग जाते हैं। इस बात को लेकर मम्मी पापा ने कई बार उन्हें समझाया लेकिन अजय भैया तो कुछ समझने को तैयार ही नहीं है वह हमेशा भाभी के साथ झगड़ते रहते हैं जिससे कि घर में सब लोग परेशान हो चुके हैं। मैंने कमलेश से कहा इस बारे में क्या तुमने कभी सुनैना भाभी से बात नहीं की। कमलेश कहने लगा मैंने तो बात की थी लेकिन अब उन दोनों के बीच में आय दिन इतने झगड़े होते हैं कि उन दोनों को समझाना ही मुश्किल है इसलिए उन्हें घर पर कोई कुछ नहीं कहता और वह दोनों आपस में झगड़ते ही रहते हैं। सुनैना भाभी को मैं अच्छा लगने लगा था और उन्हें मैं कई बार समझाया करता था जब एक दिन सुनैना भाभी ने मेरे फोन पर फोन किया तो उनसे मैने काफी देर तक बात की हम दोनों की बातें काफी देर तक हुई।
मेघा कहने लगी ठीक है लेकिन हम लोग आज शाम को मिलते हैं मैं और मेघा मॉल में ही मिले और हम लोग उनके स्टाफ की कैंटीन में ही बैठे हुए थे। हम दोनों आपस में बात कर रहे थे मैंने मेघा को समझाया और कहां देखो मेघा मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूं और मैं नहीं चाहता कि कभी भी हमारे बीच में झगड़े हो लेकिन तुम्हें भी कुछ चीजों को समझना पड़ेगा। उस दिन मैं वाकई में अपने ऑफिस के काम के सिलसिले में बिजी था इसलिए मैं आ नहीं पाया लेकिन इसका यह मतलब तो नहीं है कि तुम छोटी छोटी चीजों को बड़ा बना दो जिस वजह से हम दोनों के बीच में झगड़े हो इसलिए तुम्हें भी कहीं ना कहीं समझना ही पड़ेगा। मेघा मुझे कहने लगी ठीक है मैं कोशिश करूंगी लेकिन तुम भी तो मेरी बातों को समझ सकते हो और मुझसे प्यार से बात कर सकते हो उस दिन तुमने मुझसे बहुत ही गुस्से में बात की तो मुझे भी बहुत बुरा लगा इसलिए मुझे भी बहुत गुस्सा आया और इसी वजह से मैंने तुमसे बात नहीं की। मैंने मेघा को समझाया और कहा ठीक है आज के बाद ना ही तुम कभी किसी चीज को लेकर मुझ से जिद करोगी और ना ही मैं तुम्हारी बात को टालूंगा। अब हम दोनों के बीच इस बात को लेकर सहमति बन चुकी थी कि हम दोनों एक दूसरे को समझेंगे और उसके बाद हम दोनों एक दूसरे को अच्छे से समझने लगे और हम दोनों के बीच प्यार और ज्यादा मजबूत हो गया। एक दिन भाभी ने मुझसे और मेघा से पूछा तुम दोनों शादी के बारे में सोचोगे या फिर सिर्फ एक दूसरे के साथ बातें करते रहोगे मैंने भाभी से कहा देखते हैं भाभी अभी तो इस बारे में फिलहाल सोचा नहीं है।
मेरा नाम साहिल है, मैं छत्तीसगढ़ का रहने वाला हूँ. मैं आज आप सबको अपनी एक रियल सेक्स कहानी सुनाने वाला हूँ, जो मेरे साथ हुआ. मैंने और मेरी भतीजी ने इस मजे को एंजाय किया. मैं इस कहानी में कुछ जगहों के नाम और मेरी भतीजी का नाम बदल रहा हूँ क्योंकि अब उसकी शादी हो गयी है.
Antarvasna मैं हरियाणा के छोटे से गांव का रहने वाला हूं वहीं पर मेरी पैदाइश हुई और मेरे स्कूल की पढ़ाई भी वहीं हुई उसके बाद मेरे पिताजी रोहतक आ गए थे मैंने अपने कॉलेज की पढ़ाई रोहतक से ही की। कुछ समय तो हम लोग रोहतक रहे उसके बाद दोबारा मेरे पिताजी गांव चले गए और वह गांव में रहकर खेती का काम करते हैं मैंने भी सोचा कुछ समय तक मैं रोहतक में जॉब कर लेता हूं। करीब एक साल तक मैंने रोहतक में नौकरी की मैं एक छोटी सी कंपनी में काम करता था हमारा छोटा सा ऑफिस था और मुझे पता ही नहीं चला कि कब एक साल हो गया। फिर मुझे लगा कि मुझे कहीं बड़े शहर जाना चाहिए रोहतक में रहकर ना तो मेरी तनख्वाह बढ़ने वाली थी और ना ही मैं आगे कुछ काम सीखने वाला था इसलिए मैंने दिल्ली जाने की सोची।
पढ़ाई करने के लिए मैं शहर गयी तो मौसी के घर रही. से हुई. मौसा के कम्प्यूटर से पता चला कि वो सेक्स के पारंगत विद्वान हैं. मेरी उफनती जवानी में परेशान कर रही चूत ने ठान लिया कि चूत का उद्घाटन होगा तो मौसा के लंड से ही. मौसा को मैंने कैसे अपने जाल में फांसा?