डॉक्टर साहब की गांड मराने की तमन्ना – Part 2

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मैंने धीरे धीरे पूरा लंड डॉक्टर साहब की गांड में अन्दर कर दिया.
अब डॉक्टर साहब ऊंह आंह करते हुए बोले- आपका बड़ा मोटा है … दर्द हो रहा है.
डॉक्टर साहब सही कह रहे थे. मेरा लंड कुछ ज्यादा ही मोटा था.
फिर मैंने पूछा- डॉक्टर साहब, आपको किसने बताया था.
उनको मेरे लंड की चुदाई की पूरी जानकारी थी.
उन्होंने कहा- अभी तो करो … बाद में बात करेंगे.
मैं हैरान सा हो गया था. मैं आज उनकी पहली बार गांड मार रहा था, तो मुझे मजा आ रहा था.
मैंने पूरा लंड अन्दर कर दिया व डाल कर रूक गया. मैंने फिर पूछा- डॉक्टर साहब बताओ न?
तब उन्होंने राज़ खोला. अब आप डॉक्टर साहब से सुनिए.
मैं कस्बे के किराना स्टोर के सेठ से सामान लाया था, लगभग पन्द्रह दिन हुए थे, सामान ज्यादा था. सिन्धी सेठ भी मेरा क्लास फैलो था.
मैं सामान ले जाने लगा, तो वो बोला कि आप रहने दो, मैं घर पर भिजवा दूंगा.
अगले दिन शाम को उनका डिलेवरी ब्वाय सामान देने आया. वह उनका भतीजा था व उनका असिस्टेंट भी था. वह अट्ठारह बीस के लगभग का गोरा चिट्टा बहुत नमकीन सिन्धी मांडू था. मैंने उससे अन्दर के कमरे में सामान रखने को कहा. वह मेरे साथ आ गया. जब वह सामान रखते समय कमर तक झुका था, तो उसके सुडौल चूतड़ों पर मैंने हाथ फेर दिया. मेरी हरकत देख कर वह रूक गया. मैं उसके दोनों चूतड़ों के बीच उंगली फेरने लगा.
वह बोला कि सौ रूपए देना.
मैं उसका पेंट खोलने लगा. उसके गोरे गोरे चूतड़ चमक रहे थे.
वह वहीं जमीन पर लेट गया. बहुत दिनों बाद इतना नमकीन गोरा माशूक माल पटा था. मैंने सोचा भी न था कि लौंडा मान जाएगा, मगर वह अचानक तैयार हो गया. मैं भी झट से अपना पायजामा अंडरवियर उतार कर एकदम नंगा हो गया. फिर मैं उसके ऊपर घुटने मोड़ बैठ गया. लंड के सुपारे पर थूक लगाया और उसकी गांड पर टिका दिया. उसके बहुत गोरा होने के कारण गुलाबी गांड चूतड़ हाथ से हटाने पर अलग चमक रही थी.
मैं अपने को बहुत खुशकिस्मत मान रहा था. मैं लंड का सुपारा बड़े धीरे धीरे उसकी गांड में पेल रहा था, उससे कह रहा था कि जोर जोर से सांस लो.
तब उसने कहा था कि सर जी आपका बहुत मोटा है … लग रही है.
मैं नहीं रुका और धीरे धीरे डालता रहा.
वो सौ रूपए की लालसा में बस “ऊन्ह … आंह..” कर रहा था.
मैं उससे बार बार पूछता था कि लग तो नहीं रही, वो कुछ नहीं कहता था.
मैं अपना मोटा लंड उसकी गांड में डाले बड़ी देर तक रूका रहा. जब उसकी गांड कुछ ढीली हो गई, तब मैंने धक्के दिए. अभी भी मैं बहुत धीरे धीरे लंड आगे पीछे कर रहा था. मुझे गांड मारने में बहुत टाईम लगा.
वो मेरी गांड मारने की कला से बहुत प्रभावित हो गया था. गांड मराने के बाद वो हंस रहा था कि ऐसे कोई नहीं मारता.
मैंने पेंट का हुक लगा कर खुद को ठीक किया. मैंने उसे, उसके मांगे रूपए दे दिए. वह चला गया. उसके बाद भी वो एक दो बार मुझसे गांड मराने आया. वो मेरा आशिक हो गया था.
पहले तो वो रूपए देने पर गांड खोलता था, मगर बाद में वो मना करने लगा था.
मैंने उससे रूपए लेने का दबाव बनाया और उसे जबरन रूपए दिए. वही लौंडा लपका था. मैंने इसी कमरे में उसकी खूब बजाई थी, जिसमें आप अभी मेरी मार रहे हो.
डाक्टर साहब की बात से मुझे मालूम हुआ कि ये महाशय भी पुराने हरामी हैं.
मैंने फिर से पूछा कि ये तो आपकी गांड की खुजली की बात हुई, पर आपको मेरे बारे में किसने बताया था?
उन्होंने बताया कि जब मैंने उस लौंडे की गांड मारी थी, तब गांड मरवाते वक्त उस लौंडे ने मुझसे आपके लंड की तारीफ़ कर दी थी.
तो ये बात थी. डाक्टर साहब से उस माशूक सिन्धी लौंडे ने मेरे लंड की तारीफ़ की थी.
मैं अपने को बड़ा किस्मत वाला मान रहा था कि उसकी वजह से डॉक्टर साहब की मुझसे मरवाने की इच्छा हुई.
डाक्टर साहब मस्ती से टांगें चौड़ी किए लेटे थे. वे पुराने पापी थे. उनकी ढीली हो चुकी गांड, लंड के धक्के मजे से ले रही थी. गांड मराने के साथ चूतड़ चलाने से बार बार गांड ढीली कसती करना भी बड़ा मजा दे रही थी.
सच में डॉक्टर साहब बहुत मजा दे रहे थे. वे गांड मराने के एक्सपर्ट थे, परफैक्ट थे. वे हट्टे कट्टे मस्त मर्द थे, उनकी गांड मारने में मुझे बहुत आनन्द आया. हम दोनों बड़ी देर तक लगे रहे. डॉक्टर साहब की गांड मारने में मैं ऐसा मस्त हुआ कि मैं उनकी चूमा चाटी भूल गया. वे भी अपनी गांड से धीरे धीरे हरकत कर रहे थे. शायद उन्हें बहुत दिनों से कोई गांड मारने वाला नहीं मिला था. उनकी गांड बहुत दिनों से प्यासी थी.
झड़ने के बाद हम दोनों अलग हुए, तो वे थोड़ा आराम करने के बाद मेरे को चूमने पर उतर आए … बार बार मेरे गले लगने लगे. उनके क्लीनिक के ऊपर एक आराम करने का कमरा लेट कम बाथरूम व छोटा सा किचन भी था.
डॉक्टर साहब ने गांड मराने के बाद बाथरूम में जाकर नहाया. उन्होंने मुझसे भी कपड़े उतार कर अन्दर आने के लिए कहा. मैं फिर से नंगा हो गया और बाथरूम में चला गया. हम दोनों ने साथ साथ में नहाया. वे एक स्वस्थ शरीर के मालिक थे.
डॉक्टर साहब बोले- आज आपने मेरी गांड तबियत से मार कर मस्त कर दी. क्या चुदाई की … यार गांड रगड़ कर लाल कर दी … क्या हथियार है … लम्बा मोटा मेरी गांड तो तृप्त हो गई … मजा आ गया … तबियत हरी हो गई.
वे बार बार मेरे लंड की और मेरी गांड मारने की तारीफ कर रहे थे.
मैंने उनसे कहा- डॅाक्टर साहब, आपका हथियार भी तो मस्त है.
वे बोले- भाई साहब … मेरा कितना भी बड़ा हो, पर अपना लंड खुद अपनी गांड में तो नहीं डाल सकता न!
इस पर हम दोनों हंसने लगे.
मैंने कहा- तो आपका लंड आपको ज्यादा परेशान कर रहा हो, तो मेरी में डाल दो.
इस पर वे हंसने लगे. फिर मेरे हाथ जोड़ने लगे.
डॉक्टर साहब बोले- घर जाकर बीबी की चुदाई करूंगा … वह भी गायनिक की डॉक्टर है … अभी प्रेग्नेंन्ट है, आज मैं उसकी भी आपकी तरह ही धीरे धीरे चुदाई करूंगा.
मैंने आंख मार दी.
फिर बोले- फिर भी मुझे लगता है कि मैं भाई साहब की तरह नहीं करवा पाया. उस दिन वे क्या गांड हिला हिला कर आपका लंड ले रहे थे. आप भी क्या जोरदारी से पूरा अन्दर तक पेल रहे थे.
मैं- डॉक्टर साहब … आप उस दिन की बात कर रहे हो, जब चाचा ने हम दोनों की ठुकाई लगाई थी?
वे बोले- नहीं, उस दिन तो मैं चाचा जी की वजह से बिना कुछ ज्यादा देखे भाग गया था. एक दिन और जब आप छत पर उनकी चुदाई कर रहे थे, तब भी भाईसाब गांड हिला हिला कर आपके लंड का मजा ले रहे थे. वे अपनी कोहनियां छत की बाउन्ड्री पर टिकाए थे और आधे झुके थे. आप उनके पीछे चिपके थे.
मैं- तो आप चुपके से मेरी जासूसी करते थे. तब तो आप काफी छोटी उम्र के रहे होंगे, नमकीन चीज थे. ऐसा नहीं था कि भाई साहब केवल मेरे लंड से ही गांड मरवाते थे, वे मेरी गांड भी मारते थे. हम दोनों में परस्पर अट्टा सट्टा था.
डॉक्टर साहब- मैंने तो उन्हें आपसे केवल मरवाते देखा था. उतने जैसे तो मैं भी अपनी गांड हिला हिला कर नहीं करवा पाया. शायद आपको उतना मजा नहीं आया होगा, जैसा आपको भाई साहब देते थे.
मैं- नहीं डॉक्टर साहब बहुत मजा आया. पांच छह साल बाद यह काम किया … आपने पूरा मजा दिया … थैंक्स.
नहाने के बाद डॉक्टर साहब जल्दी ही कॉफ़ी बना लाए. मैं जाने की जल्दी में था, पर रूक गया.
हम दोनों बात करने लगे. उन्होंने मेरे और किस्से जानने की इच्छा जताई.
मैंने उन्हें बताया- यहां एक स्पोर्ट टीचर थे जोसफ सर … वे केरल के थे इसलिए कुछ काले रंग के थे. वे हम सबको स्पोर्ट सिखाते थे. एक्स्ट्रा क्लास में इंगलिश भी पढ़ाते थे. वे पूरे लौंडेबाज थे. उनकी हाईट लगभग छः फीट की रही होगी. और आप सुनकर ताज्जुब करोगे कि उनका लंड पूरे दस इंच का था … बड़ा मस्त लंड था. उनसे हम सबको गांड में उनका मूसल पिलवाना पड़ता था. पर रोज रोज मैं नहीं … कभी भाई साहब करवाते थे. कभी कभी और लौंडे भी उनके लंड का शिकार बनते थे, इसलिए हरेक का नम्बर पांच सात दिन में आता था. पहले पहल तो गांड दो तीन दिन दर्द करती थी. उनका बहुत बड़ा व मोटा था, फिर आदत पड़ गई. वे भाई साहब के ज्यादा आशिक थे. उनके बाद वो मुझे पसंद करते थे. वे और लौडों की भी गांड मारते थे. उनसे बचना सभी लड़कों के मुश्किल था. उनमें बहुत दम थी, हम सभी की गांड बुरी तरह रगड़ देते थे. बहुत ताकतवर थे … पूरा लौड़ा जड़ तक पेल देते थे. उनका लंड लेते ही हम तड़प कर रह जाते थे.
हम लोग तब दसवीं में पढ़ने वाले दुबले पतले स्टूडेंट थे. वे तीस बत्तीस के मस्त कसरती एक्स आर्मी पर्सन थे. बड़े मोटे मस्त लंड के मालिक एक्सपर्ट लौडेबाज जवान मर्द थे. उनका एक लौंडा था सुभाष … एक दिन हम सर के कमरे में सो रहे थे. उनका लौंडा गहरी नींद में था. वो तब कम उम्र का था … मगर बड़ा चिकना था. लेकिन भयंकर काला था. वो मेरी तरफ गांड किए लेटा था. मैंने रात में उसकी गांड में पेल दिया. लंड अन्दर जाते ही साला फड़फड़ाने लगा. मैंने चिपक कर उसकी गांड मारी. उसे तब तक नहीं छोड़ा, जब तक पानी नहीं निकल गया. वह बहुत बहका कि शिकायत करूंगा. तुम्हारे भाई साहब ने ही उसको मक्खन लगाया … ठंडा किया कि इससे गलती हो गई … आगे से नहीं करेगा. आपके भाईसाहब वे मेरे संकट मोचक रहे.
डॉक्टर साहब बोले- हां मैं उस लड़के सुभाष को जानता हूं. वो मेरा ही क्लास फैलो था … साला बड़ा घुन्ना था. खास खूबसूरत भी नहीं था. खैर पसंद आपकी.
मैं- अरे नहीं, वे सर हम लौंडों की बार बार मारते थे … कई बार रगड़ी थी, तो अन्दर गुस्सा था. अब बदले में मैं सर की तो नहीं मार सकता था, इसलिए उनके लौडे की गांड में पेल दिया था. बाद में आपके भाई साहब ने भी कहा था कि ठीक किया, साले को रगड़ दिया.
कॉफ़ी पी कर हम दोनों बाहर निकले. वे अपने घर चले गए, मैं अपने निवास चला आया.
उस एक डेढ़ महीने के अंतर में उनसे दो तीन बार और मिला और उनकी गांड को एन्जॉय किया.
फिर छुट्टी खत्म हो गई … तो मैं वापस अपनी जॉब पर चला गया.
कृप्या मेरा नाम व ईमेल आदि प्रकाशित न करें … कहानी अज्ञात नाम से प्रकाशित करें.

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