भाई की पुत्रवधू पटा कर चुदाई
मैं अपने गांव में भाई के पास गया. वहां मेरा ध्यान मेरे भतीजे की जवान बीवी की ओर गया. उसकी नजर भी वासना से भरी लगती थी. ससुर बहू सेक्स की इस स्टोरी का मजा लें.
मैं अपने गांव में भाई के पास गया. वहां मेरा ध्यान मेरे भतीजे की जवान बीवी की ओर गया. उसकी नजर भी वासना से भरी लगती थी. ससुर बहू सेक्स की इस स्टोरी का मजा लें.
वो ब्रा और पैंटी में किसी पोर्न फिल्म की मॉडल जैसी लग रही थी. उसकी ब्रा में कैद मैं उसके मोटे मोटे बूब्स को दबाने लगा और साथ ही उसकी गर्दन पर किस करने लगा. कभी मैं उसको काट लेता और वो कराह जाती.
वो मेरे बेडरूम में आया, मैंने उसको खाना खिलाया और उसके बाद हम दोनों लोग एक दूसरे की बांहों में आकर एक दूसरे से बातें करने लगे. मैं उससे बात करने के बाद रसोई में थोड़ा काम करने चली गयी और बर्तन धोने लगी.
मैंने धीरे धीरे पूरा लंड डॉक्टर साहब की गांड में अन्दर कर दिया.
अन्तर्वासना के सभी पाठकों को मेरा नमस्कार! आपने मेरी पिछली कहानी
इसके लिए मैंने मोहन से मिलने की बात कही तो रूपा तैयार हो गई और मैंने मोहन से कहा देखो मोहन मुझे तुमसे कोई भी परेशानी नहीं है लेकिन मैं चाहता हूं कि रूपा पहले अपनी जिंदगी में कुछ कर ले वह अपने पैरों पर खड़ी हो जाए उसके बाद तुम दोनों शादी कर लो मुझे तुम्हारे रिश्ते से कोई आपत्ति नहीं है। मोहन कहने लगा बाबूजी रूपा आपको बहुत ज्यादा मानती है और आपका बहुत सम्मान करती है इसलिए पहले वह कुछ कर ले उसके बाद हम लोग अपने रिश्ते के बारे में सोचेंगे। यह कहते हुए मोहन घर से चला गया जब मोहन चला गया तो उसके बाद रूपा मुझे कहने लगी बाबू जी आप मुझसे कितना प्यार करते हैं मैंने सब सुन लिया था। वह मेंरे गले लग कर के कहने लगी मैं आपको छोड़कर कभी नहीं जाऊंगी मेरी आंखों में आंसू आ चुके थे और मुझे इस बात का अंदाजा लग चुका था कि वह दोनों एक दूसरे से कितना प्यार करते हैं। मैं भी उन दोनों के रिश्ते के बीच में नहीं आना चाहता था रूपा भी पूरी मेहनत करने लगी और उसकी बीएड की पढ़ाई पूरी हो चुकी थी उसके बाद उसका सिलेक्शन एक अच्छे स्कूल में हो गया। रूपा इस बात से बहुत खुश थी और कुछ ही समय बाद मैंने मोहन के साथ रूपा की शादी कर दी मुझे कभी अकेलापन सा महसूस होता था लेकिन रूपा को तो जान ही था। मैं दिन रात सिर्फ इसी चिंता में लगा रहता की जब रूपा की शादी हो जाएगी तो उसके बाद मैं कैसे अपना जीवन अकेले व्यतीत करूगा शायद मेरी किस्मत में हमारे पड़ोस में रहने वाली कल्पना भाभी थी। वह मुझे तिरछी निगाहों से देखती रहती थी एक दिन मैंने उन्हें अपने पास बुलाया तो हम दोनो ने काफी देर तक बात की उनके पति का देहांत हो चुका था वह भी अकेलेपन से जूझ रही थी। मैं उनकी पीड़ा को समझ सकता था वह मेरी पीड़ा को समझ सकती थी हम दोनों एक दूसरे से जब भी बात करते तो बहुत अच्छा लगता।
दोस्तो, मेरा नाम परमजीत कौर है और मैं पटियाला, पंजाब में रहती हूँ।
मेरी गर्लफ्रेंड ने उसकी सहेली के साथ मेरी चुदाई की विडियो बना ली और उसे ब्लैकमेल करने लगी. बदले में मेरी सीनियर ने उसे मजा चखाने की योजना बनायी. क्या थी वो योजना?
फिर मैं शबाना से लिपट गया और उसको किस करने लगा. वो भी मेरा साथ देने लगी. मैं और शबाना बहुत गरम हो गए थे. मैंने उसकी शर्ट के बटन खोल दिए, उसने अन्दर लाल रंग की ब्रा पहनी हुई थी. क्या मस्त माल लग रही थी.
शुरू से जवान होने तक मेरी बहुत सारी ऐसी यादें हैं जिनके बारे में मुझे पता नहीं था कि मैं खेल खेल में ही, अनजाने में सेक्स सीख रही थी. वो सब खेल ही थे, जो हम सबको सेक्स का पाठ पढ़ाते हैं.
शुरू में तो मुझे मजे मजे में पता ही नहीं चला.. पर थोड़ी देर बाद मैंने उससे कहा, तो बोला- कॉलेज में तो रोज ही जाते हैं.. चलो आज एक नया नजारा दिखाता हूँ।
मीनाक्षी ने उस वक्त मेरा बहुत साथ दिया और मुझे उस समय एहसास हुआ कि मीनाक्षी ही मेरा साथ दे सकती है और एक दिन मैंने मीनाक्षी से कहा मैं तुमसे मिलने के लिए आ रहा हूं। मीनाक्षी मुझे कहने लगी तुम मुझसे मिलकर क्या करोगे लेकिन मैंने तो जैसे ठान ली थी कि मैं मीनाक्षी से मिलकर ही रहूंगा और मैं मीनाक्षी से मिलने के लिए उसके गांव चला गया। उसका गांव राजस्थान में है उसका गांव जयपुर से कुछ ही दूरी पर है, मैं जब उसके गांव में पहुंचा तो वहां पर रहने की कोई व्यवस्था नहीं थी इसलिए मीनाक्षी ने मुझे अपने घर पर ही रुकवा दिया। मीनाक्षी ने यह कहकर मुझे रुकवाया की यह मेरा दोस्त है और कुछ काम के सिलसिले में यहां आया हुआ है लेकिन मेरा तो कोई काम नहीं था मैं सिर्फ मीनाक्षी से ही मिलने के लिए वहां गया हुआ था। मैं जब मीनाक्षी से मिला तो मुझे बहुत खुशी हुई मैंने मीनाक्षी से कहा मै तुमसे मिलना चाहता था और मुझे तुमसे मिलकर बहुत अच्छा लगा मीनाक्षी ने मुझे कहा मैं कुछ दिनों बाद दिल्ली आऊंगी तो तुमसे मुलाकात करूंगी। मैं अब दिल्ली वापस लौट आया और मैं मीनाक्षी का इंतजार करने लगा लेकिन मीनाक्षी दिल्ली आई ही नहीं मैंने उसे कहा तुम दिल्ली कब आओगी वह कहने लगी बस मैं जल्दी ही दिल्ली आने वाली हूं। कुछ दिनों बाद मीनाक्षी दिल्ली आ गई मुझे बहुत खुशी हुई मैं इतना खुश था कि मैंने मीनाक्षी को गले लगा लिया। मुझे समझ नहीं आया था कि महिमा ने ऐसा मेरे साथ क्यों किया लेकिन मैं अब मीनाक्षी के साथ अपना रिलेशन चलाना चाहता था। मैंने मीनाक्षी से अपने दिल की बात भी कह दी वह तो मुझे पहले से ही चाहती थी तो भला वह मुझे कैसे मना कर सकती थी। मीनाक्षी ने मुझे हां कह दिया था और उसका साथ मुझे मिल चुका था वह कुछ दिनों तक दिल्ली में ही रुकने वाली थी।
यह एक सच्ची घटना है, जो मेरे साथ पाँच साल पहले घटी थी. जब मेरा पहला सेक्स चाची के साथ हुआ था. इस घटना में मैं आपके साथ अपना वो अनुभव साझा करना चाहता हूँ कि कैसे मेरी चाची ने मुझे चुदाई करना सिखाया और मेरी चढ़ती जवानी को निखार दिया.
तभी अनामिका शायद जग गई। उसने अपनी बांहों में मुझे जकड़ लिया और बोली- कहाँ थे अब तक? मैंने तुम्हारा कितना इंतज़ार किया।
गांव से मैं कॉलेज की पढ़ाई के लिये शहर गयी. जवान हो रही थी, मेरी कुंवारी चूत ने मुझे बेचैन करना शुरू कर दिया. एक बॉयफ्रेंड बना तो वो मेरी चूत मांगने लगा. तो मैंने क्या किया?
फिर मैंने आंटी की ब्रा भी उतार दी और उनकी चूचियों को चूसने लगा. आंटी अपने मुँह से ‘ऊ ऊ ऊह उऊऊ आहह.. स्स्ड्ड..’ आवाज करने लगीं.
मैं कुछ दिनों पहले गुंजन से एक मॉल में मिला लेकिन उसने अपनी नजरें मुझसे बिल्कुल नहीं मिलाई वह नजर झुकाते हुए वहां से चली गई, गुंजन शायद अपने पति के साथ थी लेकिन उसने मेरी तरफ एक बार भी नहीं देखा मुझे ऐसा लगा कि जैसे गुंजन को अपनी गलती का कोई एहसास ही नहीं है परंतु मेरी भी अब शादी हो चुकी है और मुझे भी अब गुंजन से उतना ज्यादा फर्क नहीं पड़ता लेकिन जब भी मैं उसके बारे में सोचता हूं तो मुझे अपने पुराने दिन याद आ जाते हैं जब मैं उसे गांव में मिला था।
दोस्तो! मेरा नाम दीपक है, मैं 26 साल का हूँ. मेरी लम्बाई 6 फीट और 1 इंच है. मैं देखने में काफी गोरा हूं और मेरी लम्बाई की वजह से मेरी पर्सनेलिटी भी अच्छी दिखाई देती है.
मेरा नाम मीरा है और मैं 24 साल की हूँ. मैं हैदराबाद की एक आईटी कम्पनी में काम करती हूँ. वैसे मैं पंजाब की रहनेवाली हूँ. मेरे परिवार में मम्मी पापा और मेरा छोटा भाई है जो पंजाब में ही रहते है.
मैं भाभी की चूत में उंगली डालकर चूची मसल रहा था। तभी उनके बेटे की आवाज आई और मेरा खेल बिगड़ गया। उसके बाद मैंने भाभी की चूत चुदाई कैसे की?
मेरी बीवी दस मिनट तक मेरे ऊपर ही पड़ी रही. फिर उठकर उसने से मेरे बाल पकड़ लिये और मेरे होंठ अपने होंठों में लेकर बेताहाशा चूसने लगी.
जल्द ही मैंने अपनी चैन खोल कर उसके एक हाथ में अपना लंड पकड़ा दिया. वो भी लंड को सहलाने लगी. फिर मैंने उसकी नाइटी उतारी तो उसने भी मुझे नंगा कर दिया और जमीन पर बैठ कर मेरा लंड चूसने लगी.
मैंने उससे कहा- सौम्या . ये तुम्हारे साथ अच्छा नहीं हुआ.