नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम अंकित है। यह कहानी मेरी मामा की लड़की है, वो मेरी ममेरी दीदी है। उनकी चुदाई मैंने अपनी आँखों से देखी थी। उस वक़्त मेरी उम्र 20 साल थी और राशिका दीदी की उम्र 24 साल थी। उनकी लंबाई लगभग 5 फ़ीट 7 इंच के आस पास होगी। जिम जाने के कारण फिट थी। उनका बॉडी बहुत आकर्षित करने वाला है। रंग गोरा था। मोटे स्तन का उभार आसानी से दिख जाता था। गान्ड चौड़ी थी। जिम में लड़के राशिका दीदी को बहुत घूरते थे क्योंकि चलते वक़्त उनकी गान्ड थोड़ी हिलती थी। उनका बहुत साल पहले एक बॉयफ्रेंड था। जिससे उनका ब्रेकअप बहुत पहले हो चुका था।
राशिका दीदी मुझसे बहुत फ्रेंडली रहती थी और स्वछन्द जीवन जीती थी. उनकी एक फ्रेंड ने डिलडो मेरी हेल्प से मंगवाया था। कुछ महीनों बाद तो राशिका दीदी ने अपने लिए भी आर्डर करवाया था। मैं ही डिलीवरी बॉय से लेने गया था। दीदी के व्हाट्स एप्प ग्रुप में सारी लड़कियाँ थी जिनमें से कुछ सेक्स वीडियो और एडल्ट मैसेज भी भेजती थी।
मैंने एक बार दीदी से पूछा तो उन्होंने कहा- हाँ यार, कुछ लड़कियां बहुत कमीनी हैं, उल्टे-सीधे मैसेज भेजा करती हैं।
वो अपने बहुत से सीक्रेट बातें मुझसे शेयर करती थी।
मैंने एक बार उनसे कहा- क्या आप सेक्स स्टोरीज पढ़ती हो?
तो उन्होंने बताया- 1 या 2 बार पढ़ी है। मेरे व्हाट्सऐप पर किसी ने भेजी थी।
दीदी की डलहौजी सेक्स स्टोरी को मैंने अपनी आँखों से देखा था। वो भी जानती थी।
मैंने उनसे पूछा- क्या मैं नाम बदल कर आपकी स्टोरी पब्लिश कर दूँ?
तो पहले वो हँसने लगी। फिर थोड़ी देर बाद नाम बदलने की शर्त पर हाँ बोल दिया।
तो कहानी शुरु होती है:
वैसे हम लोग दिल्ली के रहने वाले थे। हमारा छोटा सा फार्म हाउस डलहौजी में उस वक्त हुआ करता था। गर्मियों में दिल्ली का बुरा हाल था। एक दिन राशिका दीदी बोली- मैं कुछ दिन के लिए डलहौज़ी वाले घर जा रही हूँ.
तो मामा जी ने मुझसे भी कहा- तुम दोनों चले जाओ। कुछ दिन गर्मियों में वहाँ घूम लेना।
राशिका दीदी और मैं सामान पैक कर डलहौज़ी के लिए निकल गए।
डलहौज़ी वाले हाउस पर 2 केयरटेकर थे। एक का नाम गोपाल था। गोपाल की उम्र 40 के आस पास होगी। पतला शरीर और हल्का सावला रंग था। लंबाई 5’5″ के आस पास होगा। गोपाल खाना बनाता था। वही बगीचे और स्विमिंग पूल की साफ़ सफाई भी करता था।
दूसरे वाले का नाम बब्बन था। ये चौकीदारी और रखवाली का काम करता था। बब्बन की उम्र लगभग 45 के आस पास थी। काला रंग था और बहुत मोटा था। हमेशा गेट पर बैठा रहता था। हम लोगो ने आने की सूचना पहले दे दी थी तो बब्बन हमें लेने आया।
हम लोग घर पहुँचे तो गोपाल ने खाना बनाया।
राशिका दीदी बोली- गोपाल अंकल, आपने खाना बहुत अच्छा बनाया है।
गोपाल- मेमसाब, साहब नहीं आये। उनको आये काफी दिन हो गये हैं।
राशिका दीदी- हाँ, वो थोड़ा बिजी है।
इस तरह बाते चलती रही। फिर हम लोग जाकर सो गए।
अगली सुबह राशिका दीदी ने गोपाल से स्विमिंग पूल में ताज़ा पानी डालने को कहा। पानी पूल में भरते ही मैं स्विमिंग पूल में तुरंत कूद गया और मज़ा करने लगा। वहाँ एक स्लाइड भी थी जिससे मुझे बहुत मज़ा आने लगा।
मैं कुछ देर बाद अंदर गया और कपड़े बदल लिए।
राशिका दीदी स्विमिंग पूल में जाने से पहले कपड़े बदल रही थी। राशिका दीदी दिल्ली में कई बार बिकिनी पहनकर स्विमिंग करती थी। उनके लिए ये कोई नई बात नहीं थी। दिल्ली में बिकिनी या छोटे ड्रेस पहनना कोई बड़ी बात नहीं थी लेकिन डलहौज़ी में ऐसी ड्रेस या बिकिनी शायद कोई पहनता हो।
राशिका दीदी स्विमिंग ड्रेस पहन कर रूम से निकली तो मैंने उनसे कहा- बिकिनी यहाँ पहनना ठीक नहीं है। कुछ और पहन लो दीदी। गोपाल और बब्बन क्या सोचेगें।
दीदी हँसते हुए बोली- ये लोग ऐसी बिकनी और लड़कियों को इंटरनेट पर देखते रहते हैं। इनको अब कोई फर्क नहीं पड़ता होगा।
राशिका दीदी जैसे पूल की तरफ बढ़ी, वैसे बब्बन और गोपाल दीदी को घूरने लगे। मैं दोनों को देख रहा था। दोनों की पैंट में दूर से उनका लण्ड सख्त होते दिख रहा था। मैं समझ गया था ये सब दीदी का कमाल था।
दीदी कुछ देर बाद बाहर आयी और कपड़े बदल कर हम दोनों लोग बाजार घूमने चले गए। बाजार से वापस आने पर मैंने देखा कि गोपाल और बब्बन राशिका की गान्ड को घूर कर हँस रहे थे।
शाम को खाना खाने के बाद मैंने राशिका दीदी को गोपाल और बब्बन के बारे में बताया कि वो कैसे तुमको घूर रहे थे।
राशिका दीदी हँसने लगी और बोली- कल सुबह तुम देखना स्विमिंग पूल में इन दोनों को कैसे परेशान करती हूं।
मैं समझ गया था राशिका दीदी उन दोनों को और उत्तेजित करने वाली थी।
मुझे ये सब अच्छा नहीं लग रहा था, मैंने उनसे ये सब ना करने को बोला।
राशिका दीदी बोली- सोचो ऐसी मस्ती दिल्ली में कहाँ करने को मिलेगी। तुम उस टाइम कहीं दूर से देखना। मैंने भी इसको एक छोटा सा मजाक समझ कर हाँ कर दिया।
अगली सुबह राशिका दीदी एकदम अलग तरह की बिकिनी पहनी हुई बाहर आयी। मुझे तो यकीन नहीं हो रहा था क्योंकि बिकिनी बहुत छोटी सी थी। उनके लगभग पूरे स्तन बाहर थे, केवल उनका दूध वाला काला भाग छुपा था। उनकी चौड़ी सी गान्ड पर पैंटी बहुत छोटी थी। पीछे का पैंटी का कपड़ा उनकी गान्ड की दरार में फंसा था।
राशिका दीदी लगभग पूरी नंगी थी।
जैसे दीदी पूल में आयी वैसे ही गोपाल और बब्बन बिना आंख झपकाये दीदी को देख रहे रहे थे। दीदी ने गोपाल को पूल के पास उनके करीब खड़ा कर इधर उधर की बातें करने लगीं और अपने हाथों से अपनी पैंटी को आगे पीछे ठीक करती।
बब्बन भी बात करने के बहाने से पास आकर बैठ गया और दीदी से बात करने लगा। दीदी ने बब्बन को कुछ सामान लाने के लिए बाहर बाजार भेज दिया जो घर से बहुत दूर था। आने जाने में लगभग डेढ़ से दो घण्टे का समय लगता था।
अब केवल गोपाल था।
तभी राशिका दीदी शायद कुछ फिसलने का नाटक करने लगी और पैर में मोच का नाटक करने लगी। गोपाल ने पहली बार दीदी को छुआ था वो सहारा देकर रूम तक लाया और बोला- मेमसाब, मैं तेल गर्म कर मालिश कर देता हूँ, पैर सही हो जायेगा।