फिर उसने मुझे अपने ऊपर ले लिया और मैं ऊपर नीचे होकर अपनी गांड चुदवाती रही.
फिर उसने मुझे लिटाया और मेरे ऊपर चढ़ गया और थोड़े से धक्कों में वो झड़ गया। मैं पूरे मज़े में थी. वो मेरे पास ही गिर गया. मैं भी सो गई.
1 घण्टे बाद मैंने उसे उठाया और घर जाने को बोल दिया.
उसने कहा- अभी मेरा और मन है तेरी चुदाई करने का!
मैंने उसे बताया- मन तो मेरा भी है … पर मेरे सास ससुर आ जायेंगे.
वो बोला- मैं एक बार और तेरी गांड मारना चाहता हूँ.
मैंने हां कर दी.
इतने में मेरी सास का फोन आया कि वो आज रात नहीं आयेंगे.
मैं खुश हो गयी. मैंने उसे बताया वो भी बहुत खुश हो गया.
उसने मुझे दीवार के साथ खडी होने को कहा तो मैं फिर दीवार के सहारे खड़ी हो गयी और उसने गांड पे लंड रख कर धक्का लगाया और मैं मज़े में आ गयी. वो ज़ोर ज़ोर से मेरी गांड मारने लगा और मैं पूरे मज़े ले रही थी.
उसने मुझे नीचे बिठाया और पूरा मेरे मुंह में झड़ गया. मैं हंसते हुए सारा माल पी गयी।
और हम सो गये।
रात को उठने के बाद उसने अपने एक दोस्त को भी बुला लिया और कहा- तू मेरे दोस्त विक्रम से भी चुदेगी.
मैंने स्माइल दे दी।
उसके दोस्त के आने के बाद उसने मुझे तैयार होने को कहा. मैंने मना किया तो वो बोला- विक्रम की यह पहली चुदाई है, उसे सुहागरात वाला फील आना चाहिए।
मैंने हाँ कर दी और तैयार हो गई.
विक्रम फूल लेकर आया था तो उसने बेड पर फूल डाल दिए, मैं बेड पर बैठ गयी.
फिर विक्रम ने बोला- राकेश यार, तू बाद में आ जाना, वैसे ही तूने पहले पूरे मज़े ले लिए हैं. एक राउंड मैं अकेले लगाऊंगा.
उसने मेरी तरफ देखा, मैंने भी हामी में सर हिला दिया।
तो राकेश बोला- तो मैं बाहर घूम आता हूँ.
और वो चला गया।
विक्रम ने धीरे से मेरा घूंघट हटाया और बोला- क्या गजब माल फंसाया है राकेश ने!
मैं हँस दी और उसने मेरे बूब्स दबा लिए और मेरे कपड़े निकलने लगा. मुझे पूरी नंगी करने के बाद बोला- मैंने राकेश से झूठ कहा था. मैं कई बार राकेश की कजिन को चोद चुका हूँ।
मैंने उसे स्माइल दी और उसके कपड़े उतार दिए.
उसका सांप अंडरवियर से बहुत बेताब लग रहा था, मैंने उसे बाहर लिया और मसलने लगी. उसका लंड राकेश से काला था और मोटाई थोड़ी कम थी और लम्बाई बराबर!
मैंने जल्दी से उसे मुंह में ले लिया और चूसने लगी.
वो मज़े में आ गया और बोलने लगा- रंडी आज तू चूदेगी!
मैं और ज़ोर से उसका चूसने लगी.
और फिर उसने मेरी चुत पर थूक लगाया और कंडोम पहना और मेरी टाँगें ऊपर ले ली और चुत में अपना काला लोड़ा घुसा दिया और धक्के लगाने लगा. उसके धक्कों से लग रहा था कि वो भी पक्का खिलाड़ी है.
मैं मज़े ले रही थी और सिसकारियां निकाल रही थी.
वो भी गालियाँ बके जा रहा था- रंडवी साली … तेरे भोसड़े में मेरा लोड़ा … तुझे आज घोड़ी बना दूंगा, तेरी चुत चोद चोद कर फाड़ दूंगा, तेरी गांड मार दूंगा.
मैं और ज़ोश में आकर उसे और ज़ोर से मारने का बोल रही थी. वो भी पूरे जोश से मार रहा था.
फिर वो झड़ गया और उसने कंडोम उतार फेंका और मेरे ऊपर लेटकर मेरे बूब्स चूसने लगा.
मैं उसे पकड़ कर बोलने लगी- यार मज़ा दे दिया तूने आज तो।
और थोड़ी देर में उसका दुबारा खड़ा हो गया. उसने मुझे अपने ऊपर ले लिया और मेरी चुत में लंड फिक्स कर दिया. फिर मैं उछाल के साथ उसका लंड ले रही थी. मुझे धीरे धीरे पूरे मज़े आने लगे और मैं उछल उछल कर उसका लंड लेने लगी. वो जोश में मुझे गालियाँ दे रहा था।
करीब 8-10 मिनट तक मैं उछलती रही, फिर वो झड़ गया और मैं उसके ऊपर लेट गयी।
इतना चुदने के बाद मुझमें और चुदने की हिम्मत नहीं थी. मैं दिन भर बहुत चुद चुकी थी तो नींद आ गयी और वो भी सो गया।
घण्टे भर बाद राकेश आया और उसने मुझे साइड में लिया तो मैंने उसे थोड़ा रुकने को कहा. कुछ देर में उसे भी नींद आ गयी.
रात 3:30 वो उठा और उसने मुझे और विक्रम को उठाया। मैं तैयार नहीं थी पर वो हैवान होकर मेरे नंगे जिस्म पर टूट पड़े और मुझे उठा लिया. आगे से राकेश और पीछे से विक्रम शुरू हो गया. ये मर्द लोग पता नहीं इतना जोश कहाँ से लाते हैं. मैं थकी हुई थी तो मज़े नहीं ले पा रही थी पर वो हैवानों की तरह मुझे चोदते जा रहे थे.
फिर उन्होंने मुझे नीचे उतारा और लेटा कर विक्रम ने चुत में डाला और राकेश ने मेरे मुंह में लोड़ा डाल कर धक्के लगाने शुरू किए. मुझे अच्छा नहीं लग रहा था पर वो दोनों मेरे कहने पर रुकने वाले नहीं थे. वो पूरे जोश में धक्के लगा रहे थे.
उनके झड़ने के बाद हम वापस नंगे ही सो गए।
सुबह उठ कर वो फिर शुरू हो गए. मैं टूट रही थी पर उनमें अभी भी जोश था. मेरे लाख मना करने पर भी वो शुरू हो गये. मेरी चुत और गांड में दोनों का लंड था और दोनों बैठ कर मुझे चोद रहे थे।
कुछ देर में झड़ने के बाद मैंने उन्हें जाने को कहा. वो मना कर रहे थे तो मैंने उन्हें वापस जल्दी बुलाने का वादा कर उन्हें भेज दिया और सो गई।