मामा की बेटी की रस भरी चुदाई

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दोस्तो, मेरा नाम परम है और मैं दिल्ली में रहता हूं। मैं हमेशा से ही हिन्दी सेक्स स्टोरी पढ़ा करता था। आज मैं भी आपको अपने साथ हुई एक सच्ची घटना बताना चाहता हूं। यह कहानी एकदम सच है। ये मेरी पहली स्टोरी है. मैंने अन्तर्वासना की बहुत सारी कहानियां पढ़ी हैं. सारी कहानियां एक से बढ़कर एक हैं. मैं वैसी कहानी तो आपको पेश नहीं कर पाऊंगा क्योंकि इस साइट पर उच्च कोटि के लेखक कहानी लिखते हैं.
फिर भी मैं कोशिश करूंगा कि मेरी कहानी में आपको कोई गलती न मिले और आप मेरी कहानी को पूरी तरह से इंजॉय करें. उसके बावजूद भी अगर कोई गलती मिल जाए तो माफ़ कर देना।
अब मैं कहानी पर आता हूँ। मेरी फैमिली में हम 4 लोग हैं। मम्मी-पापा, मैं और एक भाई।
चूंकि कहानी मेरे बारे में ही है इसलिए मैं अपने शरीर के बारे में जरा विस्तार से आपको बताना चाहता हूँ. मैं 28 साल का जवान लड़का हूँ. मेरी हाइट 5.7 इंच है. शरीर बिल्कुल गठीला है और लंड भी काफी दमदार है जो किसी की भी प्यास बुझा सकता है.
यह बात 4 साल पहले की है जब मैं अपने मामा जी के यहाँ घूमने गया था। मेरे मामा जी की फैमिली में 5 मेम्बर हैं. मामा-मामी, उनके 2 बड़े बेटे और एक बेटी जिसका नाम पुष्पिका है. पुष्पिका इस कहानी की मुख्य नायिका है।
पुष्पिका की उम्र उस समय 21 वर्ष थी। उसका फिगर कयामत था. देखने में बिल्कुल ऐश्वर्या राय जैसी लगती है। गुलाबी सा बदन, नीली सी आंखें, भूरे मगर चमकदार बाल (सिर के). चूत के बारे में कहानी में आगे आपको पता लग जाएगा. उसका साइज 32-28-32 के करीब था उस वक्त। जब वो चलती थी तो उसकी गांड की अलग ही शेप दिखती थी।
मेरे मामा हरियाणा में रहते हैं. दिल्ली में रहने वाले ज्यादातर लोगों की रिश्तेदारी हरियाणा में है. मैं नॉर्थ और वेस्ट दिल्ली की बात कर रहा हूं. ईस्ट वाले तो यू.पी. से आकर बसे हुए हैं. तो मुझे हरियाणा में अपने मामा के घर पहुंचते-पहुंचते शाम हो गयी थी. चूंकि दिल्ली में ट्रैफिक बहुत होता है इसलिए जितना टाइम दिल्ली से निकलने में लग जाता है उतने टाइम में तो आदमी चंढीगढ़ पहुंच जाता है.
खैर, जब मैं वहां पहुंचा तो सभी लोग मुझे देख कर बहुत खुश हुए. तभी अन्दर से पुष्पिका भी आ गयी. मैंने आज से पहले उसे कभी गलत नजरों से नहीं देखा था, लेकिन आज उसे देख कर मेरा मन ही बदल गया. अभी तक मैंने उसके खूबसूरत चेहरे को ही देखा था. फिर एक ही बार में उसके पूरे बदन को अपनी नजरों के स्कैनर से स्कैन कर लिया.
एक बार को तो मैं भूल ही गया कि वो मेरी बहन है. मन कर रहा था कि बस यहीं इसको चूस लूं। लेकिन मैंने किसी तरह अपने आप को संभाला।
काफी रात हो गयी थी. सबने खाना खाया, फिर सोने की तैयारी करने लगे. मुझे मेरे बड़े भाई के साथ उनके रूम में ही बिस्तर लगा कर सोने के लिए बोला गया। हल्की ठंड के दिन थे तो मैं और बड़े भाई नीरज एक ही रजाई में लेट गए. हमने नॉर्मली एक दूसरे से बातें की. थोड़ी देर के बाद ही भैया सो गए। लेकिन मेरी नींद तो पुष्पिका के बारे में सोच-सोच कर पता नहीं कहां गायब हो गयी थी.
मुझे उसमें अपनी बहन नहीं बल्कि एक जवान और सेक्सी लड़की नजर आ रही थी। मैं पूरी रात यही सोचता रहा कि कैसे उसे चोदा जाए … उसके बारे में सोच कर लंड ताव में आ गया था. मेरा हाथ मेरी लोअर के अंदर अपने आप ही जाकर उसको खुजलाने और सहलाने लगा. अब आप तो समझ ही सकते हो कि एक बार हाथ लंड पर खुजलाने भर के लिये भी चला जाये तो लंड को खड़ा करके ही छोड़ता है.
लंड खड़ा हो गया तो मैंने लौड़े के टोपे को भी आगे-पीछे करना शुरू कर दिया. पुष्पिका का सेक्सी बदन मेरे ख्यालों में घूम रहा था. तेजी के साथ मैं लंड को हिलाने लगा. जल्दी ही मेरे लंड ने मेरी बहन की कमसिन जवानी के सामने ख्यालों में ही घुटने टेक दिये. उसके चूचों को ख्यालों में चूसा और जब चूत को ख्यालों में नंगी किया तो मेरे लंड से वीर्य की पिचकारी छूट पड़ी. अंडरवियर गीला हो गया. चूंकि साथ में भैया सो रहे थे इसलिए मैं चुपचाप वैसे ही पड़ा रहा. पुष्पिका की चूत चोदने की प्लानिंग दिमाग में चल रही थी मगर समझ नहीं आ रहा था कि यह सब होगा कैसे? यही सोचते-सोचते मैं कब सो गया, पता ही नहीं चला।
सुबह मेरी बहन पुष्पिका की आवाज से ही मेरी आँखें खुलीं.
पुष्पिका- परम भाई, चाय पी लो, कब तक सोते रहोगे? रात में ठंड लगी क्या आपको जो अब तक सो रहे हो?
मेरी आँखें जैसे ही खुली मैं उसे देखता ही रह गया. वो तभी नहा कर आई थी. उसके बाल गीले और खुले हुए थे. उसने ब्लू कलर का पंजाबी सूट पहन रखा था जिसमें वो बहुत ही मस्त माल लग रही थी. मैं बस उसे देखे जा रहा था. इतने में उसने मुझे दोबारा टोका.
पुष्पिका- क्या हुआ भाई? कहां ध्यान है आपका? इतनी देर से मुझे ही देखे जा रहे हो. लो चाय पी लो वर्ना ये ठंडी हो जाएगी।
मैं- पुष्पिका, भाई कहां है?
पुष्पिका- वो दोनों तो कॉलेज चले गए. आपको जगाया भी था उन्होंने लेकिन आप जागे ही नहीं।
मैं- अच्छा … किसने जगाया था मुझे?
पुष्पिका- भाई ने। अच्छा चलो, आप जल्दी से फ्रेश हो जाओ मैं ब्रेकफास्ट तैयार कर देती हूं आपका. इतना कहकर वो रूम से बाहर जाने लगी.
उसकी गांड का मटकना मुझे पागल कर गया. मैंने चाय पी और फिर बाथरूम में जाकर उसके नाम की मुट्ठ मारी. जिंदगी में पहली बार मुट्ठ मारने में इतना मजा आया मुझे क्योंकि रात को तो मैं थका हुआ था लेकिन रात भर नींद लेने के बाद लंड में एक अलग ही जोश भर गया था और सुबह-सुबह की एनर्जी थी लौड़े में।
तभी मेरी नज़र वहां पड़ी हुई ब्रा और पैंटी पर पड़ी. शायद पुष्पिका नहाने के बाद उन्हें रखना भूल गयी। मैंने पैंटी को उठाया तो उसमें से मुझे मेरी बहन की चूत की मनमोहक खुशबू आ रही थी। मैंने उसकी पैंटी से ही अपने लंड महाराज को रगड़ना चालू कर दिया फिर उसी पर अपना सारा लावा गिरा दिया.
नहा कर मैं बाहर आया तो देखा कि पुष्पिका ने ब्रेकफास्ट बना कर तैयार किया हुआ था।
मैंने घर में देखा कि कोई भी नजर नहीं आ रहा था तो मैंने पुष्पिका से पूछा कि मामा-मामी कहां गये हैं?
पूछने पर उसने बताया कि वो दोनों किसी काम से बराबर वाले गांव गए हैं, शाम तक ही लौटेंगे।
यह सुनकर मेरे मन में बैठा शैतान जाग गया। शैतान वैसे कल रात को ही जाग गया था मगर वह घर वालों के डर से बैठा हुआ था.
अब जब उसको पता चला कि मेरी सेक्सी बहन घर में अकेली है तो वो फिर से खड़ा हो गया. मैंने मन ही मन में सोचा- बेटा परम, यही अच्छा मौका है अगर कुछ करना है तो …
मेरी बहन मुझसे ज्यादा खुली हुई नहीं थी. मगर किसी न किसी तरह बात तो शुरू करनी ही थी. यही सोच रहा था कि बात करूं तो करूं कैसे. फिर अगर बात शुरू हो भी गयी तो बात को सेक्स तक कैसे लेकर जाऊं.
मैंने पुष्पिका से उसकी पढ़ाई के बारे में नॉर्मली पूछा. बात शुरू करने के लिए पढ़ाई की बात करना ही सबसे बेहतर तरीका होता है क्योंकि इससे सामने वाला मना भी नहीं कर पाता है.
मैंने पूछा- तुम्हारी पढ़ाई कैसी चल रही है और आज क्यों नही गयी कॉलेज?
इस तरह की बोरिंग सी बातें करता रहा मैं पुष्पिका के साथ और उसको मेरी बातों का जवाब देना पड़ रहा था. हम दोनों में बीस मिनट तक बातें चलती रहीं जो बस फालतू ही थी.
फिर मैंने हिम्मत करके उससे पूछा- अच्छा एक बात बता, तू इतनी खूबसूरत कैसे होती जा रही है? कोई बॉयफ़्रेंड है क्या तेरा जो उसकी वजह से इतनी खूबसूरत दिखने लगी?
पुष्पिका- क्या भाई … आप दिल्ली में रह कर भी ये सब पूछोगे? मेरे फ़्रेंड तो हैं लेकिन बॉयफ्रेंड कोई नहीं है. मुझे कोई बनाना भी नहीं है क्योंकि सब मतलबी होते हैं।
उसका जवाब सुनकर मैं मन ही मन खुश हो रहा था कि चलो इस बारे में बात तो स्टार्ट हुई हमारी।
मैं- किस तरह से मतलबी होते हैं, मैं समझा नहीं कुछ?
पुष्पिका- भाई, आपकी गर्लफ्रैंड है?
मैं- पहले थी, अब तो कोई नहीं है? क्यों, तुमने ऐसा क्यों पूछा?
पुष्पिका- बस वैसे ही पूछ लिया. नहीं पूछ सकती क्या मैं अपने भाई से उसके बारे में कुछ? वैसे जब आपकी गर्लफ्रैंड थी तो आपको मेरी बातों का मतलब भी पता होना चाहिए था।
मैं- वैसे पुष्पिका, मैं नहीं समझ पाया इसलिए ही पूछ लिया था मैंने। (मैं समझ गया था कि ये मुझसे अब खुलकर बात कर सकती है बस थोड़ी सी कोशिश करनी होगी)
पुष्पिका- छोड़ो भाई, कहां की बातें ले कर बैठ गए तुम भी।
मैं- अरे बाबा बताओ तो मुझे, तुम्हारी बात का मतलब सच में मुझे समझ नहीं आया. इसलिए पूछ रहा हूँ.
अब वो मेरी तरफ घूर-घूर कर देखने लगी थी. शायद वो भी समझ गयी थी कि मैं उसके साथ ओपन होना चाहता हूँ.
पुष्पिका- आजकल के लड़कों को सिर्फ लड़की के साथ कुछ टाइम बिताना होता है. जब उससे मन भर जाता है तो दूसरी को पकड़ लेते हैं।
मैं- लेकिन मेरी गर्लफ्रैंड के बाद तो मैंने किसी को नहीं देखा।
पुष्पिका- कोशिश तो अपने भी की होगी भाई, ऐसी बात पर मैं तो विश्वास कर ही नहीं सकती कि लड़के की नजर किसी और लड़की पर न जाए.
मैं- हां ये तो तुम सही बोल रही हो, लेकिन मुझे कोई वैसी मिली ही नहीं उसके अलावा।
पुष्पिका- एक बात पूछूँ … बुरा तो नहीं मानोगे?
मैं- पूछो, तुम्हारी बातों का बुरा क्यों मानूँगा?
पुष्पिका- ऐसी कौन सी हूर की परी थी वो वो जो उसके जैसी आपको अब तक नहीं मिली?
मैंने हिम्मत करके पुष्पिका की आँखों में देख कर बोला- तुम्हारे जैसी थी बिल्कुल.
पुष्पिका- क्या मतलब है भाई आपका?
मैं- पुष्पिका वो बिल्कुल तुम्हारी तरह ही सेक्सी थी.
पुष्पिका- मैं बहन हूं आपकी और आप इस तरह के शब्द यूज़ कर रहे हो अपनी बहन के लिए?
मैं- सॉरी अगर तुम्हें बुरा लगा हो तो. लेकिन मैं सिर्फ़ सच बता रहा था. तुम बहुत सुंदर और सेक्सी हो गयी हो पुष्पिका.

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