“वैसे तो हमारे पास सेक्स टॉयज् हैं, फिर भी आपके ओरिजनल लंड की जरुरत पड़ी तो आपका लंड यूज करेंगे.” गीता ने मजाक में कहा।
मैंने उसको पकड़ा और किस करने लगा। मेरे किस को देखकर ऋचा पीछे से आकर चिपक गयी, बगल से प्रिया भी आकर सट गयी। हम बारी बारी एक दूसरे को किस करने लगे।
प्रिया ने किस करते करते हमारे कपड़े उतारने शुरू किये। मैंने भी प्रिया की साड़ी और ब्लाऊज उतार दिये। हम चारों अब नंगे थे। शर्म बिल्कुल भी नहीं थी। ऐसा लग रहा था जैसे हमारा पुराना सेक्स ग्रुप है।
गीता ने एक डबल डिल्डो लिया और उसे खुद की चूत में डाल दिया, फिर ऋचा को पकड़ कर बेड पर चली गयी। काफी सारा लुब्रिकंट ऋचा की गांड में लगाकर उसने डिल्डो का दूसरा सिरा उसकी की गांड में डाल दिया। ऋचा की उम्म्ह… अहह… हय… याह… निकल गयी.
प्रिया ने भी एक डबल डिल्डो अपनी चूत में सेट किया और उसका दूसरा सिरा ऋचा की लुब्रिकेटेड चूत में डाल दिया। यानि गीता नीचे से और प्रिया ऊपर से ऋचा को चोद रही थी।
मैं भी ऋचा के पास पहुँचा और उसके मुँह में अपना लंड डालकर उसे चोदने लगा।
“कैसा लग रहा हैं ऋचा? तेरा तो पहला सेक्स इतना जबरदस्त हो रहा है।” प्रिया ने पूछा।
मेरा लंड उसकी मुँह में होने की वजह से वो बोल नहीं पाई पर हाथ से इशारा करके बता दिया कि बड़ा मजा आ रहा है। उसके मुँह से सिसकारियां भले नहीं निकल रही थी पर ऊ ऊ ऊ आवाजें आ रही थी। इसका मतलब उसे बड़ा मजा आ रहा था।
अह अ ओह उह उम्म करते करते वह झड़ गयी।
मैं भी झड़ने वाला था इसलिये मेरा लंड उसके मुँह से निकाल कर प्रिया की गांड में डाला।
“ओह अह उह …” करती हुई प्रिया मेरे लंड को अपने गांड में ले रही थी।
आखिरकार मैं भी उसकी गांड में झड़ गया।
पहला राउंड खत्म होने के बाद कुछ देर हम लोग यों ही एक दूसरे के बदन को सहलाते हुए लेटे रहे।
कुछ देर बाद प्रिया नीचे हो गयी, गीता बीच में थी, ऋचा ऊपर थी। यानि प्रिया गीता की चूत चोद रही और ऋचा गांड मार रही थी। मैं पहले जैसा ही बीच में लेटी हुई गीता के मुँह को चोद रहा था।
अब गीता के मुँह से अममह अह अ उम्म उहह की आवाजें निकल रही थी।
कुछ देर गीता का मुँह चोदने के बाद मैंने ऋचा की गांड मारना शुरू किया।
“आह ओह … येस फक मी … फक मी …” करके गीता चिल्लाने लगी।
“और जोर से गांड मारो, मजा आ गया … मारो मारो मारो … यस फक हार्ड।” ऋचा भी मजे से बड़बड़ाने लगी।
यह दौर भी ऐसे ही कुछ देर चला और गीता के झड़ने के साथ खत्म हुआ।
फिर हम तीनों थोड़ा रेस्ट किया और प्रिया को बीच में ले लिया।
अब नीचे ऋचा थी, बीच में प्रिया थी, गीता ऊपर थी। मैंने कुछ देर प्रिया का मुँह चोदा फिर गीता की गांड मारने लगा।
“चलो फकर्स … यह आख़री राउंड होने वाला हैं आज का! खूब चोदो, खूब मजे लो!” गीता बोली।
“मुझे तो कभी नहीं लगा था इतना ज्यादा मजा करने को मिलेगा।” ऋचा बोली।
“ईट्स ऑल बिकॉज़ ऑफ यू रवि जी! आप नहीं होते तो हम चारों कभी नहीं मिलते!” प्रिया बोली।
“थॅक्स तो गीता को कहना चाहिए। उसने अपने घर पर यह मीटिंग अॅरेंज करवा दी।”
हम लोग बात कम कर रहे थे चुदाई में ज्यादा ध्यान था।
“अ अ अ … या या या … ओह … यस … फक फक हार्ड … यार मजा आ गया!”
हम चारों के मुँह से ऐसी ऐसी आवाजें आ रही थी कि पता ही नहीं चल रहा था कौन क्या बोल रहा था। पर मजा सभी को आ रहा था।
यह दौर भी मजे में गुजर गया और गीता भी झड़ गयी।
हम लोग काफी थके हुए थे कुछ देर यूं ही पड़े रहे, फिर नहा धोकर फ्रेश हो गये। फिर थोड़ा चाय नाश्ता लिया और हम सब अपने अपने घर चले गये।
मेरी यह कहानी भी बाकी कहानियों की तरह काल्पनिक है। मेरी कहानियों में रियलिटी नहीं होती। काफी दिनों से विधवा औरत और तलाक शुदा औरत पर कुछ लिखना चाह रहा था, इसलिये इस कहानी में प्रिया को विधवा और गीता को तलाकशुदा दिखाया गया है।
आगे कभी इस विषय पर अलग से कहानी लिखने की कोशिश करूंगा।
पाठकों से अनुरोध हैं कि वो फालतू मेल ना करें। आपके अच्छे सुझाव नई कहानी में इस्तेमाल किये जा सकते हैं। बातचीत सिर्फ कहानियों को लेकर होगी।