जैसा कि मैंने मेरी कहानी में बताया था कि अंशिका स्वाति की सबसे अच्छी दोस्त थी और हम पहली बार स्वाति के बर्थडे वाले दिन मिले थे। और उसके बाद मैं जब भी स्वाति से मिलने जाता तो ज्यादातर अंशिका उसके साथ ही होती थी। क्योंकि स्वाति की वजह से मैं अंशिका से कई बार मिल चुका था तो हम दोनों भी अच्छे दोस्त बन गए थे और हमने भी एक दूसरे के साथ नम्बर एक्सचेंज कर लिए थे और कभी कभी हमारी बातें भी हो जाया करती थी। कभी कभी जब मेरी और स्वाति की थोड़ी बहुत कहा सुनी हो जाती तो अंशिका ही हम दोनों की सुलह करवाती। स्वाति अंशिका को अपनी सगी बहन से भी ज्यादा मानती थी और अपनी सारी बातें उससे शेयर करती थी।
एक दिन मेरी और अंशिका की फोन पर ऐसे ही बातें हो रही थी तो अंशिका ने बताया कि स्वाति ने उसे हमारे पहली बार के सेक्स के बारे में बता रखा है और स्वाति मुझसे शादी करना चाहती है। हालांकि ये बात कभी स्वाति ने मुझसे नहीं कही।
अब आप लोगों को मैं बता दूं कि मुझे किसी से प्यार व्यार नहीं होता। मैं ठहरा हरामी इंसान … मुझे तो बस एक ही चीज से मतलब होता है और वो है सेक्स और बस सेक्स।
अपन को तो बस लड़की की चूत से मतलब है बस … ये शादी वाली बात सुनकर मैं थोड़ा बैचैन हो गया और स्वाति से इसके बारे में बात की और उसको साफ साफ बता दिया कि मैं उससे शादी नहीं कर सकता और इस बात को लेकर मेरे और स्वाति के बीच थोड़ा झगड़ा हो गया और हमने आपस मे बातें बन्द कर दी।
अंशिका को जब यह पता चला तो उसने मुझे कॉल की और हमारी सुलह करवाने लगी लेकिन मैंने उसको भी साफ बता दिया। इसके बाद मेरी और अंशिका की रोज बातें होने लगी और हम अक्सर खुल कर एक दूसरे से बातें करने लगे।
बातों-बातों में अंशिका ने बताया कि उसका कोई भी बॉयफ्रेंड नहीं है।
अब आपको अंशिका के बारे में बता दूं- अंशिका की उम्र यहीं कोई 22-23 साल, एकदम गोरा रंग, पतले होंठ, फिगर यहीं कोई 32-30-34 का, कुल मिलाकर एकदम कड़क माल जिसको देखकर किसी का भी लण्ड पैन्ट से सलामी दे दे।
मैं कई बार अंशिका को सोचकर मुट्ठ मार चुका था और उसको चोदने की फिराक में था लेकिन कहीं स्वाति को पता न चल जाये इसलिए कभी अंशिका के साथ पहल नहीं की।
अंशिका पेशे से एक फ़िज़ियोथेरेपिस्ट डॉक्टर थी और उसने वहीं जनकपुरी में ही अपना खुद का क्लिनिक खोल रखा था। वो मूल रूप से यू.पी से थी लेकिन वहाँ अपनी सहेलियों के साथ किराये पर रहती थी।
बीच बीच में मैंने स्वाति से कई बार बात करने की कोशिश की लेकिन वो अभी तक मुझसे नाराज थी और मुझसे ढंग से बातें भी ना करती।
एक दिन ऐसे ही बातों में अंशिका ने मुझे बताया कि स्वाति किसी और लड़के से बात करती है. एक बार तो मुझे बुरा लगा लेकिन सच बताऊँ … मुझे इन बातों से ज्यादा फर्क नहीं पड़ता। बस मुझे तो अपना काम निकालने से मतलब था जो निकल चुका था।
मेरी और स्वाति की बातें अब बहुत कम होने लगी थी जबकि अंशिका के साथ मेरी हर रोज बातें होने लगी।
एक दिन बातों बातों में अंशिका ने मुझसे कहा कि मैं स्वाति को ये ना बताऊं कि हमारी आपस में बातें होती हैं। यह बात सुनकर मैं उसका इशारा समझ गया और अंशिका को चोदने की मन में ठान ली। एक दिन मैंने ऐसे ही अंशिका को मिलने के लिए बोला और वो मुझसे मिलने के लिए तैयार हो गयी। मैंने उसको गुरुग्राम आने को कहा और वो मुझसे मिलने गुरुग्राम आई। मैंने उसको देखा तो बस देखता ही रह गया, काले रंग की टी-शर्ट, जिसमें से उसके उभरे हुए चूचे, नीली जीन्स और बाहर को उसकी उभरी हुई गांड, बस देखते ही मेरे लण्ड में सनसनाहट फैल गयी और मेरा लण्ड एकदम कड़क हो गया।
फिर हम एक मॉल के मैक-डी में जाकर बैठ गए और कुछ खाने को आर्डर किया और बातें करने लगे। मैं अंशिका की बहुत तारीफ करने लगा। चूंकि हम खुलकर बातें करते थे तो मैंने मौका देखकर अंशिका का हाथ पकड़ा और उसे प्रोपोज़ कर दिया।
अंशिका हंसने लगी और उसने मुझे बताया कि वो भी मुझे बहुत पसंद करने लगी है। इरादे तो मैं उसके पहले ही जान गया था लेकिन उसके ही मुँह से सुनना चाहता था।
मैंने उससे कहा- अगर स्वाति को पता चल गया तो?
अंशिका बोली- उसको कैसे पता चलेगा और चल भी गया तो क्या … वैसे तुम्हारी भी अब आपस में इतनी बात नहीं होती और वो भी तो किसी और से बातें करती है।
यह सुनकर मैं अंशिका की ओर मुस्कुराया और उसको आज रात को मेरे साथ रुकने के लिए कहने लगा। थोड़ी देर टालमटोल करते हुए अंशिका ने हाँ कर दी और मेरा लन्ड जीन्स में से ही हिचकोले मारने लगा। क्योंकि मैं तो पी जी में रहता था तो मैंने मेरे एक फ्रेंड को बोलकर उसके फ्लैट पर रात को रुकने की पूरी बात बताई तो वो किसी और दोस्त के साथ एडजस्ट के लिए मान गया और उसने मुझे बता दिया कि चाबी कहाँ मिलेगी।
हमने वहीं थोड़ा बहुत खाकर फिर उसी मॉल में एक मूवी देखी और शाम को खाना पैक करवा कर दोस्त के फ्लैट पर पहुँच गए।
फ्लैट पर पहुँचकर हम नहाए धोये, कपड़े बदले और खाना खाया।
रात के करीब 9 बजे थे। मैं और अंशिका बेड पर बैठ कर बातें करने लगें। न ही मेरी आगे बढ़ने की हिम्मत हो रही थी और न ही अंशिका की। कुछ देर बैठे बैठे खामोशी से हम दोनों एक दूसरे को देखते रहे।
अब मुझसे बिल्कुल भी रहा नहीं जा रहा था, मेरा लण्ड लोवर में खड़ा होकर सलामी दी रहा था। जब मुझसे और ज्यादा कंट्रोल ना हुआ तो मैंने आगे बढ़कर अंशिका को बांहों में भर लिया और उसको चूमने लगा। अंशिका एकदम सकपका गयी औऱ मुझे पीछे हटाने लगी।
लेकिन अब मैं कहाँ मानने वाला था, मैंने अपने होंठ उसके होठों पर चिपका दिये और उन्हें चूमने लगा।
थोड़ी देर बाद अंशिका ने विरोध करना बंद कर दिया और वो भी मेरा साथ देने लगी। हम दोनों एक दूसरे के आगोश में खोने लगे और बेतहाशा एक दूसरे को चूमने लगें। उसके होठों को चूमते चूमते मेरा एक हाथ उसके वक्ष उभारों पर अपने आप चला गया और मैं जोर जोर से उन्हें दबाने लगा।
अंशिका की सांसें तेज हो गयी और वो आहें भरने लगी।
फिर मैंने जल्दी जल्दी अंशिका के सारे कपड़े उतारने शुरू कर दिए। दो ही मिनट में वो मेरे सामने बस ब्रा और पैंटी में थी। गुलाबी रंग की ब्रा और गुलाबी ही रंग की पैंटी उसके चिकने गोरे बदन पर कयामत ढा रही थी। फिर मैंने उसकी ब्रा को उतारा और उसके उरोजों को चूमने चाटने लगा।
अंशिका अब पूरी तरह उत्तेजित हो गयी थी। उसने दोनों हाथों से मेरा मुँह अपने कोमल चुचों के बीच दबा दिया।