मैंने पूछा- अगर मैं तुम्हारी बीवी होती तो तुम क्या करते?
इतना सुनना था कि वो सीधा बोलने लगा- अगर आप मेरी बीवी होती तो मैं आपको दिन रात चोदता. आपके अंदर की सारी गर्मी को निकाल देता.
उस रिक्शा वाले की उत्तेजक बातों से मेरे शरीर में भी गर्मी पैदा होने लगी.
मैं बोली- मान लो कि आज रात के लिए मैं तुम्हारी बीवी हूं, फिर?
उसको मैंने मौका तो अच्छा दिया लेकिन वो इस वजह से हिचक रहा था क्योंकि हम दोनों खुली सड़क पर एक गली में अकेले बैठे थे. वहां पर कौन कब आ निकले कुछ भरोसा नहीं था इस बात का.
मगर रिक्शा वाले को जो ये मौका मिला था वो किसी कीमत उसको हाथ से जाने नहीं दे सकता था. वो उठा और उसने गली से लेकर सड़क तक का पूरा जायज़ा लिया. फिर मेरे बगल में आकर बैठा और मुझे खींच कर अपने ऊपर बैठा लिया.
वो मेरे होंठों को बुरी तरह से चूसने लगा. उसने मेरे दोनों बूब्स पर अपने हाथ कस दिये और उनको पूरी ताकत लगा कर मसलने लगा. मजदूर के हाथ थे इसलिए मेरे बूब्स को कस कस कर निचोड़ रहे थे. मैं भी उसका साथ देने लगी.
मेरे मुंह से हल्की हल्की कराहटें और सिसकारियां निकलने लगीं. उसने मेरी नाइटी को उठा दिया. फिर उसको निकाल ही दिया और साइड में रख दिया. मैं पूरी नंगी हो गयी.
मैं बोली- कोई आ गया तो यहां?
वो बोला- चुप कर रंडी. अब तो कुछ भी हो जाये, तू कुछ देर के लिए मेरी बीवी है और मैं तेरे साथ जो चाहे वो कर सकता हूं.
उसने मुझे नीचे पटक लिया और मेरी बुर में मुंह लगा कर किसी चट्टे की तरह पूरा रस लेकर मेरी चुदासी चूत को चूसने और चाटने लगा. लग रहा था कि जैसे किसी बरसों के भूखे कुत्ते के सामने हड्डी डाल दी गयी हो.
फिर उसने अपनी लुंगी उठा कर नीचे ही नीचे अपने अंडरवियर को खींच कर निकाल दिया. उसका लंड 7 इंच का था. एकदम से काला लिंग जिसका सुपारा गुलाबी था. उसने अपने लंड को मेरे मुंह में ठूंस दिया.
उसके लंड से बहुत तेज बदबू आ रही थी. मगर चुदने की हवस में मैं भी सब कुछ बर्दाश्त कर जा रही थी. फिर कुछ देर लंड चुसवा कर वो उठा और उसने मेरी टांगों के सामने आकर मेरी चुदासी चूत पर लंड लगाया और एक ही झटके में उसे अंदर ठूंस दिया.
वो पूरी स्पीड में मुझे चोदने लगा. मेरी चूचियां उसके धक्कों से इधर उधर डोलने लगीं. कभी बीच बीच में वो मेरी चूचियों पर टूट पड़ता और उनके निप्पलों को चबा चबा कर खाने लगता. मेरे निप्पलों में दर्द होने लगा.
मैंने उसको हटा दिया तो वो फिर से मेरी चूत को रौंदने लगा. कुछ देर तक इसी तरह जबरदस्त रगड़ने वाली चुदाई करके वो सीधा होकर बैठ गया. उसने मुझे उसके ऊपर बैठने को कहा. मैं उसकी बात नहीं समझी तो उसने मुझे उठने को कहा.
उसने मेरा हाथ पकड़ा और मुझे नीचे खींचते हुए मुझे अपने ऊपर इस तरह से बिठा लिया कि उसका लंड मेरी गांड में जा घुसा. मेरी मुंह खुल गया और गांड में जोर का दर्द उठा. मगर तभी उसने मेरी चूचियों को जोर जोर से भींच कर मेरी गांड की चुदाई करना शुरू कर दिया.
मेरा ध्यान चूचियों पर गया और उसने नीचे से मेरी गांड में धक्के लगाने शुरू कर दिये. मैं उसके लंड पर उछलने लगी. उस अंधेरी गली में मैं पूरी नंगी होकर किसी सड़क छाप रंडी की तरह एक रिक्शावाले से उछल उछल कर गांड की चुदाई करवा रही थी.
इस बात को सोच सोच कर मेरे अंदर भी पूरा जोश भर गया. मैं तेजी से उसके लंड पर कूदते हुए उसके लंड को पूरा जड़ तक घुसवाने लगी.
मस्ती में सराबोर होकर मैं तेज तेज सिसकारियां लेते हुए बोलने लगी- चोद साले . आह्ह . और चोद . जोर से चोद साले कुत्ते, बुझा दे मेरी चूत की प्यास . चोद मुझे . और तेज चोद अपनी इस रंडी को . उफ्फ आह्ह . तेरे लंड को खा जाऊंगी मैं मादरचोद. आह्ह और चोद मुझे।
कुछ देर की इस गांड फाड़ चुदाई के बाद उसने मेरी गांड के छेद में ही अपना माल भर दिया. अब वो मेरी चूचियों को पीने लगा.
मैं फिर उठने लगी तो वो बोला- इतना कुछ कर लिया है, थोड़ी देर और रुक जाओ मेरे पास.
मैं बोली- पागल है क्या? इतनी देर से चुद रही हूं. कोई आ गया तो अब?
वो बोला- वही तो मैं भी कह रहा हूं. इतनी देर से चूत और गांड की चुदाई करवा रही थी, इतनी देर से कोई नहीं आया तो अब कैसे आ जायेगा?
इतना बोल कर उसने मुझे फिर से अपने पास खींच लिया और मुझे अपने साथ चिपका कर लिटा लिया. मैं अब सड़क के किनारे एक पराये मर्द के साथ एकमद से नंगी लेटी हुई थी. वो मेरी चूचियों के साथ खेल रहा था. मेरी चूचियों को दबाते दबाते वो उनको पीने लगा और फिर उसको नींद आ गयी.
उसकी आंख बंद हुई तो मैं धीरे से वहां से उठी और आहिस्ता से अपनी नाइटी डाल कर वहां से निकल ली. चूत चुदवाने के बाद मजा तो बहुत आया लेकिन उसके मोटे काले लंड ने चूत में दर्द भी कर दिया और गांड का बाजा भी अच्छी तरह से बजा दिया. उस रिक्शा वाले ने मेरी चूत बुरी तरह से रगड़ दी थी और मेरी चाल थोड़ी लंगड़ी हो गयी थी.
मैं चल कर वापस से अस्पताल में आयी और देखने लगी कि किसी ने मुझे वहां से आते हुए देखा तो नहीं. फिर मैं अंदर रूम में चली गयी.
मेरी सहेली गहरी नींद में सो रही थी. फिर मुझे भी नींद आने लगी और थकान होने के कारण मैं भी वहीं तख्त पर गिर गयी. मेरी आंख लग गयी और मैं भी सो गयी.
सुबह को मैं उठी और मैंने चाय पी. उसके बाद अपनी सहेली से थोड़ी देर बातें की. फिर डॉक्टर उसका चेक अप करने के लिए आया. उसने बताया कि वो आज शाम को ऑपरेशन कर देंगे.
फिर दोपहर तक मेरी सहेली ने अपनी एक पड़ोसन को बुला लिया. शाम को उसकी डिलीवरी हो गयी. उसकी देखरेख में ही सारा वक्त बीत गया. जल्दी ही रात हो गयी और खाना खाकर मैं कपड़े चेंज करने बाथरूम में चली गयी.
मैं एक नाइटी पहन कर बाहर आ गयी. आज फिर वो दोनों लड़के मुझे ही घूर रहे थे. मैं अंदर आ गयी. कुछ देर के बाद मुझे किसी सामान की जरूरत पड़ी. मैं रिसेप्शन पर गयी और उन लड़कों से पूछा.
एक लड़का तो किसी काम में लगा हुआ था. दूसरे वाला तुरंत उठा और मुझे सामान लाकर दिया. वो रिसेप्शन रूम के बाहर तक आ गया. मैं भी वहीं खड़ी हुई थी. उस दिन पहली बार मेरी उस लड़के से कुछ बातें हुईं.
उससे जान पहचान हो गयी. उसके बाद कई दफा जब भी मेरी नजर उससे मिलती तो हम दोनों एक दूसरे को देख कर मुस्करा देते थे.
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लेखक की पिछली कहानी थी: सहेली की शादी में मेरी चुत चुद गईसहेली की शादी में मेरी चुत चुद गई-1
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