लड़की का ध्यान अपनी तरफ आकर्षित करने का ये सबसे अच्छा तरीका होता है. उसके हुस्न की तारीफ करते रहो और किसी दूसरी लड़की से उसकी तुलना करते रहो. मैं उन सब बातों में माहिर था. मगर मेरी बातों का असर फिलहाल कुछ उल्टा सा हो गया था.
पुष्पिका गुस्से में- ये बातें भाई-बहन के बीच अच्छी नहीं लगती.
मैं- अगर कोई और बोलता तो क्या तुम्हें तब भी बुरा लगता?
पुष्पिका वहां से उठ कर जाने लगी तो मैंने उसका हाथ पकड़ लिया. मुझे पता नहीं क्या होने लगा था. मेरे अंदर की हिम्मत अपने आप ही बढ़ने लगी थी. वैसे ऐसा करने के लिए बहुत हिम्मत की जरूरत होती है. एक तरफ पुष्पिका इसके लिए तैयार नहीं थी मगर फिर भी मैंने उसका हाथ पकड़ लिया था.
मैं बस उसके साथ आज सेक्स करना ही चाहता था किसी भी हालत में। पुष्पिका ने मेरा हाथ छुड़ाने की कोशिश की तो मैं कुर्सी से उठा और अपने हाथों से उसके गालों को पकड़ लिया. वो बस गुस्से से मेरी तरफ देखे जा रही थी.
मैं- पुष्पिका, अगर मैं तुम्हें पसंद करता हूं तो गलत क्या है? अभी थोड़ी देर पहले तुमने ही कहा था कि सब मतलबी होते हैं लेकिन मैं तो तुम्हारा ही भाई हूँ. मैं क्या मतलब निकालूंगा तुमसे! क्या तुम अपनी जवानी को यूं ही बेकार करना चाहती हो? अगर तुम मुझसे नाराज हो तो सॉरी. मैं अभी वापस दिल्ली चला जाता हूं.
ये सुनकर वो कुछ समय के लिए बिल्कुल चुप हो गयी. थोड़ी देर बाद मेरे कान के पास आकर बोली- भाई मेरा भी मन करता है लेकिन किसी को पता न चल जाये इसलिए ख़ानदान की इज्जत की वजह से मैं हमेशा अपने ऊपर कंट्रोल कर लेती हूं। आप मेरे भाई हो इसलिए मैंने आपको ये सब बात बता दी। लेकिन हमारे बीच में ऐसा कुछ नहीं हो सकता. आप मेरे भाई हो और मैं बहन हूं आपकी।
मैंने उसके गाल पर एक किस किया और बोला- अगर तुम कहीं बाहर कुछ करती तो पता भी चल सकता था लेकिन मेरे साथ करने के बारे में किसी को पता भी नहीं चलेगा. सबकी नजरों में हम भाई-बहन हैं. कोई शक भी नहीं करेगा हमारे ऊपर और मैं तुम्हें बहुत खुश रखूंगा।
इतना कहते ही मैं मेन गेट बंद कर आया।
चलते हुए मुझे महसूस हो रहा था कि मेरा लंड मेरी लोअर में तनने लगा है. तनाव में आते हुए लंड के साथ हवस भी बढ़ने लगी थी.
वापस आते ही मैंने उसको अपनी बांहों में भर लिया। वो भी मुझसे एकदम से चिपक गयी जैसे बहुत दिनों की प्यासी हो.
मैंने उसके लिप्स पर अपने लिप्स रख दिये. वो स्मूच करने लगी. अब हम भाई बहन नहीं रह गये थे. लग रहा था कि एक-दूसरे में समा जाएंगे। वो मेरे होंठों को ऐसे पी रही थी जैसे कि खा ही जाएगी. हम दोनों की जीभ एक-दूसरे के मुंह में घूमने लगी. कभी वो मेरे होंठों को चूस लेती तो कभी मेरे गालों पर चूम लेती. वह मुझसे भी ज्यादा गर्म हो गई थी.
15 मिनट तक हम किस करते रहे. उसके बाद हम अलग हुए. अब पुष्पिका के चहरे पर एक अलग ही खुशी झलक रही थी. बिल्कुल भी टाइम खराब न करते हुए वह मुझे खींच कर अपने बेडरूम में ले गयी. अंदर जाकर हमने फिर से एक-दूसरे को किस किया. उसने मेरी टी-शर्ट उतार दी. नीचे से मैंने बनियान पहनी हुई थी जिसको मैंने खुद निकाल दिया. बनियान उतारते ही मेरी चेस्ट नंगी हो गई. फिर मैंने लोअर भी खींच कर नीचे गिरा दिया और अपनी टांगों से निकालते हुए जमीन पर ही छोड़ दिया.
मेरे अंडरवियर में मेरा लौड़ा तन कर पागल हो चुका था. पुष्पिका के नाम की दो बार मुट्ठ मारने के बाद भी उसका जोश आसमान छू रहा था. पुष्पिका थी ही इतनी सेक्सी. मैंने फिर से उसको अपनी बांहों में पकड़ा और उसकी गर्दन को चूमने लगा. मेरा तना हुआ लौड़ा उसकी जांघों के बीच में छिपने का रास्ता ढूंढ रहा था.
कुछ देर तक उसको चूसने के बाद मैंने उसके कपड़े उतारने शुरू किये. उसके शर्ट को उतारा तो नीचे से उसने काले रंग की ब्रा पहनी हुई थी. हाय … क्या बताऊं … उसके गोरे बदन पर काले रंग की ब्रा में खड़े हुए उसके चूचे देखकर मैं तो पगला गया. मैंने जल्दी से उसकी सलवार का नाड़ा खुलवाकर उसकी सलवार भी उतरवा दी. अब वो केवल ब्रा और पैंटी में रह गई थी.
मैंने उसको अपनी बांहों में कस कर भींचा और उसकी गर्दन को चूमते हुए उसको बेड पर धकेल दिया. उसके ऊपर चढ़ कर उसकी ब्रा के ऊपर से मैंने उसके चूचों को दबाया और फिर उसको पलटी मार कर पेट के बल लेटा दिया. उसकी ब्रा के हुक खोले और उसकी गोरी पीठ को नंगी कर दिया. उसके बालों को हटा कर उसकी पीठ पर अपने गर्म होंठ रख कर उसको चूमा और फिर से उसको सीधी करते हुए उसकी ब्रा को उसके कंधों से निकाल कर अलग कर दिया. उसके गुलाबी रंग लिये निप्पलों का तनाव देख कर मैं उसके चूचों पर टूट पड़ा.
पुष्पिका की चूचियों को जोर से पीने लगा. वो मुझे बांहों में लेकर प्यार करने लगी. मेरा लंड उसकी पैंटी पर रगड़ खा रहा था. उसके बाद मैंने उसके चूचों को चूस कर लाल कर दिया और उसके पेट को चूमते हुए उसकी पैंटी को खींच दिया. उसकी गोरी जांघों से जब उसकी पैंटी निकली तो उसकी हल्के बालों वाली चूत देख कर मैं धन्य हो गया.
मैंने उसकी टांगों को थोड़ी फैलाया और उसकी चूत पर अपने होंठ रख दिये. वो तड़प उठी.
उसकी चूत को चूसते ही बात मेरे काबू से बाहर हो गई. मैंने अपनी गांड उसकी तरफ घुमाई और कच्छे को उतार कर अपना तना हुआ औजार उसके होंठों पर लगा दिया. उसने मेरे लंड को मुंह में ले लिया और चूसने लगी. 69 की पोजीशन में वो मेरे ऊपर आ गयी. उसने अपनी चूत को मेरे होंठों पर रख दिया और खुद मेरा लौड़ा अपने मुंह में ले कर आइसक्रीम की तरह चूसने लगी. मुझे तो मानो जन्नत का स्वाद आ रहा था।
इधर मैं उसकी चूत को पागलों की तरह चूस रहा था, उसकी चूत को अपनी जीभ से चोद रहा था. कुछ ही देर में वो झड़ गयी. उसकी चूत से गर्म-गर्म लावा बह चला. मैंने उसका जलता हुआ सारा लावा पी लिया. वो शांत हो गई मगर मेरे लंड को चैन कहां था. मैंने उसकी चूत में उंगली चलानी शुरू कर दी.
वो कुछ देर तो आराम से लेट कर मेरी उंगलियों से चुदती रही. फिर पांच मिनट के बाद उसके बदन में फिर से हरकत होने लगी. वो बोली- परम भाई, अब मुझे चोद दो प्लीज … अब मैं आपका लंड अपनी चूत में लेना चाहती हूँ।
मैंने अपना ‘सामान’ उसकी चूत पर रखा और उसके चूचों को पीने लगा. उसकी चूत पर लंड टच होते ही उसने मुझे चूमना शुरू कर दिया. वो मेरी पीठ को सहलाने लगी. मैं हल्के से उसकी चूत पर अपने लंड का टोपा रगड़ रहा था. मेरे लंड का बुरा हाल हो गया था पानी छोड़कर. पूरा लंड पच-पच करने लगा था. फिर मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ रखे और उसकी चूत में एक धक्का दे दिया.
आधा लंड ही गया था कि वो चीख पड़ी. उसने मेरे होंठों को काट लिया मगर मैंने शरीर का भार उस पर डालते हुए उसकी चूत में लंड को घुसाना जारी रखा. धीरे-धीरे पूरा लंड उसकी चूत में उतार दिया. वो मेरी पीठ को नोंचने लगी. शायद पुष्पिका को दर्द हो रहा था. लेकिन वो मेरे लंड को अपनी चूत में एडजस्ट करने की कोशिश कर रही थी.
जब वो थोड़ी नॉर्मल हुई तो मैंने धीरे-धीरे धक्के देने शुरू कर दिए. अब वो मेरा पूरा साथ दे रही थी. उसके मुंह से आनंद की आवाजें निकलने लगीं थीं- उम्म्ह… अहह… हय… याह… भाई … मेरे भाई … मेरी चूत को चोद दे … आह … मजा आ रहा है. फक मी हार्ड भैया.
पूरा कमरा उसकी सीत्कारों से गूंजने लगा. मेरे आनंद का तो कोई ठिकाना ही न था. उसकी टाइट चूत में लंड को पेलता हुआ मैं स्वर्ग में पहुंच चुका था. मेरे धक्के पर उसकी गांड उछल कर मेरी तरफ आती और फत्थ की आवाज हो जाती. ऐसे बीस मिनट तक वो चूत को धकेलती रही और मैं लंड को.
मैंने कहा- मेरा निकलने वाला है, कहां निकालूँ?
उसने बोला- भैया मेरे अंदर ही निकाल दो. आपका माल मुझे अपने अंदर लेना है. आज आप पूरा सुख दे दो मुझे.
दो-तीन जोरदार धक्कों के बाद मैंने सारा लावा उसकी चूत में ही निकाल दिया।
हम काफी देर तक एक-दूसरे के उपर नंगे ही पड़े रहे.
10 मिनट हुए थे कि इतने में ही गेट पर किसी के आने की आवाज आई. हमने जल्दी से कपड़े पहने. पुष्पिका ने कपड़े अपने बदन पर पहनने में मुझसे से भी ज्यादा फुर्ती दिखाई और फटाफट गेट खोलने के लिए चली. तब तक मैंने भी अपनी लोअर और टी-शर्ट डाल ली थी. अंडरवियर को जेब में ठूंस लिया और बाथरूम में घुस गया.
बाहर आकर देखा तो भैया कॉलेज से आ गए थे. मैं वहीं बेड पर बैठ गया और वो फ्रेश होने बाथरूम में चले गए. पुष्पिका ने उठते हुए मेरे लंड पर हाथ फेरा और मेरी गर्दन पर किस करते हुए किचन में चली गई. उसके बदन में आज खुशी की अलग ही लहर दिखाई दे रही थी.
फिर उसके बाद जब भी मैं मामा के घर जाता और हमें मौका मिलता तो हम दोनों एक-दूसरे को खुश कर दिया करते थे. यह सिलसिला काफी दिनों तक चलता रहा और आज भी चल रहा है.
आप सबको यह कहानी पसंद आई हो तो कमेंट करके बताना और मुझे मेल भी करना. यह मेरी पहली स्टोरी थी. अगर कोई गलती हो गई हो तो मैं फिर से आप लोगों से माफी चाहूंगा. धन्यवाद.