जिगोलो बन कर भाभी की जवानी की प्यास बुझाई – Part 2

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छाया जो अभी तक सिर्फ आंख बंद कर के सीत्कार मार रही थी वो चिल्लाने लगी- आह आ…ह … आजा राहुल … जल्दी आजा!
और मेरे पैंट की बेल्ट खोल के अंडरवियर में हाथ डाल कर मेरा लौड़ा अपने हाथ में ले लिया। अचानक उसने आंख खोली और मुझे पीछे की और धक्का दिया। जिससे मैं सामने वाले सोफे पर गिर गया।
मैं- क्या हुआ जान?
छाया- राहुल जरा अपना हथियार दिखाना।
“जरा क्यों, पूरा देखो!” मैंने खुश होते हुए अंडरवियर पूरा उतार दिया।
पैंट में ही झड़ने की वजह से वो पूरा गीला था। मैं समझ चुका था कि गीले लन्ड की वजह से छाया गुस्से में आ गयी है।
मैं- सॉरी जान, तुम्हारा शरीर ही ऐसा है कि मैं खुद को रोक नहीं पाया था और पैंट में ही झड़ गया था। आप नाराज़ नहीं होना मैं बस एक मिनट में साफ कर के आ रहा हूँ।
इतना बोल कर बाथरूम में चला गया अच्छी तरह खुद को साफ करके और पूरे कपड़े उतार कर 5 मिनट में छाया के सामने आ गया। जब छाया के सामने पहुँचा तो देखा कि छाया अभी भी सोफे पर वैसे ही बैठी है और कुछ सोच रही है। क्योंकि अब मैं पूरी तरह नंगा था और छाया भी ऊपर से बिना कपड़ों के थी तो मेरा लौड़ा लोहे की रॉड की तरह बिल्कुल टाइट हो गया था।
मैं सोफे पर बैठ गया और छाया को अपनी गोद में बैठा लिया जिससे उसकी और मेरी छाती एक दूसरे से रगड़ खाने लगी.
फिर मैंने उसके होंठों से अपने होंठ सटाते हुये पूछा- परेशान क्यों हो?
वो बोलने लगी- राहुल, मैंने बहुत दिनों से सेक्स नहीं किया। मुझे बहुत डर लग रहा है। मैंने बहुत मर्दों के साथ सेक्स किया है पर मैंने कभी इतना बड़ा लन्ड नहीं देखा।
मुझे लगा कि वो मुझे खुश करने के लिए ऐसा बोल रही है तो मैंने भी उसे बांहों में भर कर चूमना शुरू कर दिया।
चूमते हुए वो थोड़ी ऊपर उचक गयी जिससे उसकी चूची मेरे मुँह में आने लगी। उसका शरीर अकड़ रहा था, नहीं … नहीं … आह … की मादक आवाज़ कमरे में गूंज रही थी।
अब हम दोनों से रहा नहीं जा रहा था, वह सोफे पर ही खड़ी हो गयी जिससे उसकी चूत मेरे मुंह के सामने आ गयी। मैंने उसकी जीन्स नीचे की तो देखा उसने पेंटी नहीं पहनी थी और मेरे आंखों की 2 इंच की दूरी पर एक बालो की गुलाबी रंग की चूत थी।
पोर्न मूवीज में तो हर तरह की चूत देख चुका था पर चूत के असली खुशबू आज महसूस हो रही थी। मैंने उसकी चूत में एक प्यारा सा किस किया तो महसूस हुआ कि छाया के दोनों हाथ मेरे सिर पर हैं और वो अपनी चूत पर मेरे मुंह का दबाव बना रही थी।
मुझे भी वो खुशबू अच्छी लग रही थी, मैंने मेरी जीभ निकाली और छाया की चूत में फेरने लगा। मैं चाट रहा था, चूस रहा था, काट रहा था। मन कर रहा था खा जाऊँ इस चूत को!
और चूसते हुए मैंने अपनी बीच वाली उंगली छाया की चूत में डाल दी।
छाया मदहोशी में चिल्लाने लगी। उसने सोफे पर ही लिटा दिया मुझे … और मेरे मुंह पर बैठ कर अपनी चूत रगड़ने लगी। मुझे सांस नहीं आ रही थी पर मैं भी रुकना नहीं चाहता था। आआ … आ … आ..ई … की तेज आवाज के साथ अचानक से हल्की पानी की धार मेरे मुंह में आयी और मैंने बिना वक़्त बर्बाद किये वो पानी पी लिया।
पता नहीं क्यों पर आज सब कुछ अच्छा लग रहा था।
निढाल होकर छाया मेरे शरीर पर गिर गयी, वो थकी हुई लग रही थी, उसके पैर अभी भी काँप रहे थे। वो बिना कपड़ों के मेरे ऊपर आंख बंद कर के लेटी थी।
छाया का थका हुआ बदन, उसके थरथराते होंठ, खुले बाल, नंगी छाती उसकी खूबसूरती में 4 चाँद लगा रहे थे।
छाया अपनी चूत चटवा कर पानी छोड़ चुकी थी पर मेरी तो शुरुआत थी। हम बिना कपड़ों के एक दूसरे से लिपटे हुए थे। छाती से छाती, होंठ से होंठ और साँसों से सांसें टकरा रही थी। मैं उसके कांपते बदन को फिर से चूमने लगा.
वो मेरे ऊपर ही लेटी थी तो मैंने अपना लौड़ा उसकी चूत पर टिका दिया। गीली चूत होने की वजह से टोपा अंदर जाने लगा तो मैंने भी छाया के चूतड़ पकड़ के थोड़ा दबाव बनाया जिससे थोड़ा था हिस्सा चूत में चला गया। हमारे होंठ एक दूसरे से जुड़े हुए थे इसीलिए वो कुछ बोल तो नहीं पायी पर मना करते हुए गर्दन हिलाने लगी और मुँह से गूँ … आह … की आवाज़ से उनसे अपनी चूत पीछे कर ली जिससे मेरा थोड़ा सा घुसा हुआ लौड़ा पच्च की आवाज़ के साथ निकल गया।
मैं- क्या हुआ जान?
उसने अपनी चूत हथेली से दबाते हुए इशारे में कुछ नहीं कहा।
छाया मुझे और भी खूबसूरत लगती जा रही थी। मैंने उसे गोद में उठाया और बेडरूम में ले जाने लगा। हम दोनों के जिस्म नंगे होने की वजह से उसके चूतड़ों में मेरा लौड़ा टकरा रहा था जो हम दोनों को मदहोश कर रहा था। वो अपने नाखून मेरी छाती में चुभा रही थी उसकी आंखें बंद थी। मैंने उसे बेड पर लिटाया और लौड़ा उसकी चूत पर टिका दिया।
मैं बेकाबू था और एक झटके में आधा लौड़ा उसकी चूत में डाल दिया। वो बहुत तेज़ चिल्लाई और मुझे पीछे धकेलने लगी। पर मैं खुद को रोक नहीं पाया और उसके होंठ अपने होंठों में दबा कर दूसरा झटका मारा। मेरा लौड़ा उसकी चूत को चीरते हुए जड़ में समा गया। उसका शरीर काँप रहा था वो मुझसे छूटने की कोशिश कर रही थी। उसकी आंसू भारी आँखें मुझे रहम की भीख मांग रही थी। पर मेरा लौड़ा रहम शब्द का मतलब भूल चुका था। मैं एक हाथ से उसका सिर और एक हाथ हाथ से उसका गाल सहला रहा था।
जब उसने छूटने की कोशिश करनी बंद की तो मैंने उसके होंठ छोड़ कर धक्के लगाने शुरू किए। उसकी चूत बहुत टाइट थी जो हर धक्के पर उसे चिल्लाने के लिए मजबूर कर रही थी।
18-20 धक्के लगते ही उसने पैरों से मुझे बांध लिया। अपने नाखून मेरी पीठ में गाड़ दिए और अपनी गांड उठा के पूरा लौड़ा अपनी चूत में समाने लगी। उसके पैर फिर से कांप उठे और पानी की हल्की सी धार मेरे लौड़े को भिगोते हुए मेरे पैरों को भिगाने लगी। उसका बदन काँप रहा था जो मुझे और भी ज़्यादा उत्तेजित कर रहा था। वो निढाल हो कर गिरी थी पर मेरे धक्के तेज़ हो गए।
छाया के शरीर और चेहरे पर कोई भाव नहीं था। पर मैं फच्च फच्च की आवाज़ के साथ लगातार उसे चोद रहा था।
15 मिनट की घमासान चुदाई के बाद अचानक से मैं और वो तेज़ सीत्कार के साथ एक साथ पानी छोड़ गए।
मैं उसकी चूत पर सिर रख के उसकी गीली चूत की खुशबू का अहसास ले रहा था और वो प्यार से मेरे बालों को सहला रही थी। उसके बाद बाथरूम में एक बार और हमने चुदाई का खेल खेला।
शाम के 5:30 बज चुके थे। मैंने कपड़े पहने और अपने रूम के लिए में जाने लगा तो छाया ने मेरे होंठ चूमते हुए 25,000 रुपये दिए। मैं तो भूल ही चुका था कि मैं यहाँ जिगोलो बन कर आया था।
इसके बाद छाया ने अपनी बहुत सहेलियों को मुझसे चुदवाया और तब मुझे पता चला कि मुझमें भी कुछ खास है। मेरे लौड़े का साइज थोड़ा बड़ा होने की वजह से छाया बोलने लगी कि तुम्हारा शरीर आम इंसान जैसा है पर लौड़ा किंग साइज का है इसीलिए आज से तुम ही मेरे किंग हो।
उसकी सारी सहेलियाँ भी मुझे किंग बोलती थी। छाया लगभग रोज़ मुझसे चुदाई करवाती थी। अब मैं छाया से पैसे भी नहीं लेता था। उसकी सारी सहेलियाँ ही मेरे खर्चे निकाल देती थी।
फिर कैसे मैंने अपनी माँ को चोदा? ये कहानी के अगले भाग में बताऊंगा।
तो दोस्तो आपको मेरी कहानी कैसी लगी। कृप्या मेल में अपने सुझाव ज़रूर दें।
कहानी जारी रहेगी.

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