दोस्तो, सबसे पहले अन्तर्वासना का धन्यवाद जिसकी कृपा से सभी को लंड को खड़ा करने वाली और चूत में उंगली डालने को मजबूर करने वाली कामुक कहानियाँ पढ़ने और लिखने को मिल जाती हैं।
मैं आप सबको अपने बारे में बता दूँ, मैं मेरा नाम प्रतोष सिंह है और मैं कोलकाता में रहता हूं. मैं अन्तर्वासना का नियमित पाठक हूं और आप लोगों की कहानी पढ़ चुका हूं और उसकी सराहना भी की है। तो मैं अपनी कहानी शुरू करता हूं उम्मीद करता हूं कि आप सब को पसंद आएगी तो आनन्द लीजिए मेरी कहानी का। यह अन्तर्वासना डॉट कॉम पर मेरी पहली कहानी है.
मैं एक मध्यम वर्गीय परिवार में रहता हूं और मेरी यह घटना कुछ समय पहले की है जब मैं मल्टी नेशनल कंपनी (काल सेन्टर) में काम किया करता था। सुबह सबसे पहले मेरी पिक अप होती थी और उसके बाद मुझे कम्पनी के नियम के तहत सबकी पिकअप करवानी होती थी. इसी दौरान मैं इस कहानी की हिरोइन से पहली बार मिला.
उसका नाम सबा है और उसका फिगर 32-30-32 था जिसको मैंने दबा कर और चूस कर 36″ के बूब्स और 34″ चूतड़ों का कर दिया है. एकदम गोरा रंग है उसका।
इसी तरह से पिकअप करवाते हुए कुछ दिन गुजर गए फिर एक दिन सबा ने मुझसे कहा कि अगर आप मुझे काल कर बता दिया करें कि गाड़ी आ रही है तो मुझे पिकअप प्वाइंट पर पहले से पहुँच कर खड़ा नहीं होना पड़ेगा.
तो मैंने कहा- ठीक है, बता दिया करूंगा।
कुछ दिन इसी तरह गुजरे. फिर एक दिन सबा ने गाड़ी में बैठते ही मुझे एक टिफिन बॉक्स मुझे दिया और कहा- यह आपके लिए है.
मैंने उसे तुरंत ले लिया और उसे धन्यवाद कहा. फिर हम लोग चल दिये.
मैंने अपनी शिफ्ट खत्म की और मैंने उसे काल किया कि तुम्हारी टिफिन बॉक्स लौटानी है.
उसने कहा- अभी आती हूं.
कुछ देर के बाद वो अपनी शिफ्ट खत्म करके आई तो मैंने उसकी टिफिन बॉक्स लौटा दी और उसके बाद मैं उसे बस स्टैंड तक छोड़ने गया। उसे यह अच्छा लगा और फिर यह उसकी रोजाना की आदत बन गई.
एक दिन सबा ने मुझसे कहा- मूवी चलें?
मैंने कुछ सोचे बिना हां कह दिया. फिर हम दोनों कार्निवल गये. टिकट लेने के समय उसने कहा- आप रुकिए, मैं लेती हूँ.
हम लोग अपनी अपनी सीट पर बैठ गए, मूवी शुरू हुई और कुछ देर के बाद मैं उसके कंधे पर सर रख कर मूवी देखने लगा। मूवी देखते-देखते सबा ने भी मेरे सर पर अपना सर रख दिया और खुश होकर मेरे हाथ में अपना हाथ डालकर मूवी देखने लगी.
मुझसे कंट्रोल करना मुश्किल हो रहा था लेकिन मैंने फिर भी कुछ देर अपने आपको रोक रखा था. फिर यह सब्र का बांध टूट गया और मैं उसके गालों पर और उसके गर्दन पर लगातार चुम्बन करने लगा. वो आंखें बंद किए मेरे बालों में हाथ डाल कर मेरा साथ देने लगी और गर्म होने लगी और वो भी मुझे चूमने लगी.
फिर क्या था, मैंने उसके कपड़े को कंधे से नीचे उतार कर उसके 32″ की चुचियों पर हाथ रखा. वे इतनी मुलायम थी कि मैंने उसे कस के पकड़ लिया और उस पर अपने दांत से काट लिया. तो उसने मुझे रोकते हुए कहा- मैं कहीं भागी नहीं जा रही हूँ, आपको जो भी करना है आराम से करो आप!
फिर मैं बड़े आराम से उसकी चुचियों को दबा रहा था और चूस रहा था, वो भी मेरा साथ दे रही थी और कामुक आवाजें निकाल रही थी- आह … आह … हय … हय!
और भी बहुत सी.
फिर मैंने अपने पैंट की जिप खोल कर उसका हाथ वहां रख दिया. कुछ देर तो वह उसे उसी तरह पकड़ कर बैठी रही, फिर मैंने उसके हाथों को पकड़ कर आगे पीछे करना शुरू किया, फिर छोड़ दिया और उसे कहा कि इसी तरह करती रहो.
वो करने लगी.
कुछ देर बाद मैंने उससे कहा- मुंह में लो ना!
पहले तो वो मना करने लगी, फिर मैंने जब थोड़ी नाराजगी जताई, तब वह मान गई और फिर उसने जो लंड को पकड़ कर चूसना शुरू कि तो मैं तो बस अपने आपे से बाहर हो गया इतने सबसे मेरा मन नहीं भरा था और शायद उसका भी फिर मेरी तरफ देख कर बोली- कहीं चलें जहां सिर्फ हम और आप हो!
तो मैंने उसे किस करते हुए कहा- ठीक है, चलो!
जैसे ही हमने अपने कपड़े ठीक किए, मूवी ख़त्म हो गई. फिर हम लोग पैदल ही चलने लगे और पैदल चलते-चलते मैं कभी मौका देख कर उसे किस कर लेता तो कभी उसके कंधे पर हाथ रख कर उसकी चुचियों को मसल देता।
थोड़ी दूर पैदल चलने के बाद कालेज बस स्टॉप के थोड़ा सा आगे एक बस साइड पर लगी हुई थी तो हम जाकर बस में बैठ गए.
तभी हमारे पास एक कंडक्टर आया, उसने कहा- बस अभी खराब है, नहीं जायेगी.
तो मैंने कहा- बैठ तो सकते हैं ना?
उसने कहा- बस खराब है, मैंने आपको बता दिया अब आप जो करें!
फिर मैंने यहां वहां मुड़ कर देखा कि वहां कोई है तो नहीं. जब यह कन्फर्म कर लिया तो मैं सीट पर बैठ कर सबा के चूचे मसलने लगा चूस भी रहा था. इधर सबा भी मेरा लंड निकाल कर उसे आगे पीछे करने लगी. मैं उसके चूचे को चूसने और चाटने में व्यस्त था.
तभी सबा ने मेरा मुंह सीधा करके मेरे होंठों पर दांत काट लिया. मैंने जब उसे गुस्से में देखा तो उसने कहा- ठीक इसी तरह का दर्द मुझे भी होता है जब आप मुझे दांत से काटते हो.
मैंने उसे कहा- कपड़े ठीक करो!
इस पर वह थोड़ा सा चौंक गई कि अचानक क्या हुआ. मैंने एक हाथ से उसका हाथ पकड़ा और दूसरे हाथ से पास ही पड़ा न्यूज पेपर उठा लिया। नीचे उतर कर पहले मैंने दाएं बाएं देख कर कन्फर्म किया कि कोई है तो नहीं. जब मैं इस बात से कन्फर्म हुआ कि कोई नहीं है तो मैं सबा को बस स्टॉप के पीछे की साइड ले गया. इस बस स्टैंड के आसपास कॉलेज टाइम में ही चहल पहल होती थी, उसके बाद बिल्कुल निर्जन हो जाता है.
बस स्टैंड के पीछे जाकर मैंने उसे कहा- तुम्हारे पास कोई कपड़ा है तो मुझे दो.
उसने मुझे कपड़ा निकाल कर दिया तो फिर मैंने पहले न्यूज पेपर बिछा दिया और उसके ऊपर स्टाल डाल दिया और सबा को बैठा दिया. फिर मैंने बैठे बैठे ही उसे अपनी तरफ खींचते हुए अपनी जांघों पर बिठा दिया. उसके दोनों पैर घुटने से मुड़कर मेरी जांघों के इर्द-गिर्द सटे थे। हमारे चेहरे अब बिल्कुल नजदीक आ गए मैं उसकी सांसों की गर्मी अपने चेहरे पर महसूस कर रहा था।
अनायास ही हमारे होंठ एक दूसरे की ओर खिंचते चले गये और कब आपस में गुंथ गये, कुछ पता ही नहीं चला। वो मेरे होंठों को काट व चूस रही थी जैसे बरसों की प्यास बुझा रही हो। सबा दस पंद्रह मिनट तक की चुम्मियों की बौछार मेरे पूरे चेहरे पर करती रही। मेरे चेहरे का एक भी हिस्सा ऐसा नहीं था जो उसकी लार से गीला न हुआ हो।
बारी बारी से उसके दोनों स्तनों को जोर जोर से चूस रहा था, काट रहा था। उसके मुख से सिसकारियाँ फूटने लगी थी, वो लगातार मेरा चेहरा उसके स्तनों के ऊपर जोर जोर से दबा रही थी।
थोड़ी देर बाद मैं उसे स्टाल पे लेटाकर उसके पेट के हिस्से को चूसने-चाटने लगा। उसकी नाभि को अपनी जीभ से कुरेदते हुए उसकी योनि के पास मुंह ले आया और सलवार के ऊपर से ही योनि को चूमने लगा। वो बस आँखें बंद करे इस पल का आनन्द ले रही थी।
फिर मैंने उसके सलवार को ऊपर कमर तक उठाते हुए उसकी योनि को पैंटी के ऊपर से चूमना चालू कर दिया, साथ में मैं योनि की दरार को जीभ से छेड़ रहा था। योनि की मादक खुशबू की मदहोशी में योनि पर मेरे होंठों का दबाव बढ़ता जा रहा था। वो लगातार बढ़ रही सिसकारियों को मुंह पर हाथ रखकर दबाने की नाकाम कोशिश कर रही थी।
मैं भी उसको चूमने के साथ साथ उसके दोनों चूचियों को ऊपर से ही जोर से मसल रहा था.