फैमिली सेक्स कहानी: चुदक्कड़ चाची – Part 2

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देव- चाची तुम भी पी लो, देखो मत।
मैं- क्या?
आँख मारते हुए उसने जवाब दिया- पानी और क्या?
मैं- लेकिन मेरा गलास किधर है?
देव- मेरा पानी पियोगी?
मैं होंठ दबाते हुए- क्या मतलब तुम्हारा??
देव- कुछ नहीं।
फिर वह हँसने लगा।
शायद वह चाहता था कि शुरुआत मैं करू इसी लिए कुछ करने से हिचक रहा था।
फिर मैं जा कर उसके बगल में बैठ गई, उसके लंड को पैंट के ऊपर से ही सहलाने लगी।
देव- चाची, यह क्या कर रही हो?
मैं- अब ज़्यादा नाटक मत करो। देव प्लीज, मेरी प्यास बुझा दो। शादी के दिन से ही प्यासी है मेरी चुत। अपने लंड से इसे शांत कर दो।
अब वह मेरे बूब्स को सहलाते हुए बोला- हाँ साली … क्यों नहीं, मुझे पता था वह मेरा नालायक चाचा तेरी प्यास नहीं मिटा पायेगा। तू तो मेरे लंड के लिए बनी है। तू एक नंबर की चुदक्कड़ है, तेरी चुत को चोद के भोसड़ा बना दूंगा।
मैं- हाँ, मेरे लंडदेव मुझे आज चोद दो, बुझा दो मेरी कामवासना। मुझे अपनी रखैल बना लो। मैं तुम्हारी होना चाहती हूँ।
देव- मेरी रंडी चाची … तेरी चुचियों को सबसे पहले पेलूँगा मेरी जान।
अब हम दोनों एक दूसरे की जीभ मुँह में डाल कर चूस रहे थे। कभी वह मेरे बूब्स को अपने मज़बूत हाथों से दबा देता। मैंने उसके लंड को अब और तेज़ी से सहलाना शुरू किया। फिर वह उठा और मुझे बेडरूम में ले गया।
बेडरूम में ले जाते ही उसने सबसे पहले मेरी साड़ी को मेरे बदन से अलग किया, फिर मेरी चुचियों को उसने लो कट ब्लाउज से आज़ादी दिला दी। अब मेरी चुचियाँ आज़ाद थी।
देव- चाची, तुम्हारी चुचियों को आज मैं खा जाऊंगा, इसने मेरे लंड में आग लगा रखी थी। आज आपकी ये दूध की टंकियां मैं खाली कर दूँगा।
मैं- ऊऊ ऊऊऊह … मेरे लंडदेव मेरी चुचियों को पी जाओ। बहुत अच्छा चूस रहे हों। मैं बहुत प्यासी थी, आज तृप्त कर दो।
देव- हाँ, मेरी चुदक्कड़ चाची क्यों नहीं … तेरी रसीले चुचों को खाली करके ही मानूँगा।
मैं- हहह हहऊऊ ईई … ओह माय गॉड … फ़क्क मी … देव … चोदो मुझे। अब मैं बर्दाश्त नहीं कर सकती।
देव- चाची थोड़ी देर रुको अभी मैंने कहा मज़ा लिया। अभी तो तुम्हारी चुत चाटनी बाकी है।
मैं- ओह्ह … देव तुम कितने बड़े चोदू हो।
देव- मेरी रंडी चाची, यक़ीन नहीं होता कि कपड़ों के अंदर इतना ज़बरदस्त ख़ज़ाना छुपाया है तूने, लगता नहीं कि तुम शादीशुदा हो।
मेरी फैली हुई चूत में देव ने उंगली घुसेड़ दी। मैं मदहोश हुई जा रही थी, मेरी गांड ऊपर को उठी जा रही थी।
अब दूसरे हाथ से वो मेरे वक्ष को मसलने लगा. मेरी चूत और छाती एक साथ मर्द के हाथों का मजा ले रही थी। मैं अपनी टाँगें फैलाए अपने भतीजे के हाथों सेक्स का मजा ले रही थी.
देव कभी मेरी गाण्ड में भी उंगली फिरा देता था तो कभी चूत में उंगली डाल रहा था। मेरी चूत रस बहाने लगी, मेरी चूची सख्त होने लगी. मेरी चूत ने पानी छोड़ कर परमानन्द प्राप्त कर लिया.
देव का लंड पत्थर की तरह खड़ा था, वो डरावना लग रहा था. देव अब मेरे चूतड़ों को मसलने लगा।
अचानक देव ने अपने लब मेरे लबों पर रख दिए और चूमने लगा। उसके होंठ मुझे मीठे से लग रहे थे, मैं उसके होठों को संतरे की फांक समझ कर चूसने लगी।
मैंने अपने भतीजे के लबों को चूसते हुए ही उसके लंड को अपने हाथ में ले लिया। देव एक हाथ से मेरे बोबे दबाता, दूसरे से मेरी चूत पर उंगली घुमा रहा था.
मैं अब खुद पर काबू नहीं रख पा रही थी, मैंने कहा- देव, अब अपनी चाची को चोद कर उसे औरत होने का सुख दो!
लेकिन उसे कोई जल्दी नहीं थी, उसे तो मेरे खूबसूरत जवान जिस्म से खेलने में पूरा आनन्द आ रहा था और वो वासना से मुझे तड़पती देखकर मज़ा ले रहा था।
अब मेरी चूत चटाई की बारी थी. वो मेरी चूत के पास अपना चेहरा ले गया. अपने जेठ के जवान बेटे की गर्म सांसों को मैं अपनी चूत पर महसूस कर रही थी. वह भी मेरी गीली चूत को देखकर पागल होने लगा था. उसने अपने दोनों हाथ मेरी चूत पर लगा कर चूत को खोल दिया और अपनी जीभ डाल दी अपनी चाची की चूत में, और मज़े ले लेकर मेरी चूत चाटने लगा।
मुझ्र भी मजा आ रहा था, मैं सिस्कारिया भर रही थी- उम्म्ह… अहह… हय… याह…
कुछ देर बाद मैंने उसे ऊपर खींचा और कहा- ये सब फिर कभी कर लेना … अभी तो अपनी चाची को चोद!
देव मेरे ऊपर आ गया, उसने एक हाथ से मेरी एक चूची पकड़ ली, दूसरे हाथ से लंड को मेरी चूत के छेद पर टिकाया और ज़ोर का एक धक्का मारा तो देव का आधा लंड अब मेरी चूत में था।
मुझे तेज दर्द हुआ. मैंने चीखकर कहा- देव प्लीज लंड को बाहर निकाल! मुझे नहीं चुदना इतने बड़े लंड से!
मैं रोने सी लगी थी और देव अपना लंड मेरी चूत में रखकर बिना हिलेडुले मेरे उरोजों को मसलने लगा.
जब मेरा दर्द कुछ कम हुआ तो मेरी चूत लंड माँगने लगी और अपने आप मेरे चूतड़ ऊपर को उठने लगे। देव समझ गया कि अब मुझे चुदना है तो उसने मेरी कमर पकड़ कर एक ज़ोर का धक्का मारा … उसका पूरा लंड मेरी चूत में और मेरी चूत को चीरते हुए वो मेरे नंगे जिस्म पर झुक गया, मेरे लब उसने अपने लबों में ले लिए।
मेरे भतीजे का बड़ा लंड अपनी चाची की चूत को चीर कर उसमें समा गया था। मैं दर्द से तड़पने लगी लेकिन उसने मुझ पर कोई दया नहीं दिखाई।
देव ने कहा- मेरी रंडी चाची … अभी तक तो तू चूत में लंड लेने के लिए मचल रही थी, अब लंड चूत में गया तो नखरे चोद रही है!
उसने मेरी चूत को जो चोदना चालू किया, मेरी चीखे निकलवा दी. फिर इसे मुझ पर कुछ तरस आया तो वो धीमा हुआ, अब वो धीरे धीरे अपना लंड मेरी चूत में आगे पीछे करने लगा और अब मुझे ही थोड़ा अच्छा लगाने लगा था।
देव धीरे धीरे मेरी चूत चोद रहा था, मुझे चूम रहा था. लेकिन अब मेरी वासना जोर की चुदाई मांगने लगी. और फिर मैं उसको जोश दिलाने लगी- हाय देव, चोद दे अपनी चालू चाची को, पेल दे मेरी चूत! आहह! फाड़ दे! बहुत तड़पाया तूने! मैं तो कब से तुझसे चुदना चाह रही थी!
मेरे कहने पर वो बेरहम होकर मेरी चूत की धज्जियाँ उड़ाने लगा, इतनी जोरदार चुदाई से मेरी चूत में जलन भी होने लगी थी. लेकिन दिल कर रहा था कि मैं चुदती ही रहूँ।
करीब दस मिनट की चुदाई के बाद देव की स्पीड एकदम बढ़ गई, मैं अपने कूल्हे उठा उठा कर लंड खा रही थी.
फिर कुछ देर में हम दोनों के बदन एक साथ अकड़ने लगे! देव ने मेरे नंगे बदन को अपने नंगे जिस्म के साथ कस लिया और फिर हम दोनों एक साथ झड़ गये।
मेरी फैमिली सेक्स कहानी पढ़ने के लिए धन्यवाद साथियो! आपको मेरी यह कहानी पसंद आई या नहीं … कमेंट कर के जरूर बतायें। अगर चाची चुदाई की इस कहानी पर अच्छे कमेंट आये तो और भी कहानियाँ लिखूंगा।

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