नमस्कार दोस्तो, मेरा नाम राज है. मैं गुजरात में भावनगर से हूँ. हालांकि अब मैं सूरत में रहता हूँ.
यह मेरी पहली कहानी है. मुझे लिखना नहीं आता है, इसलिए थोड़ा ऊपर नीचे हो जाए, तो मुझे मेल करके जरूर से बताना कि मेरी गलती कहां हुई है.
मैं पिछले कई साल से अन्तर्वासना की कहानियां पढ़ रहा हूँ और मुझे ऐसा लगा कि मुझे भी अपना अनुभव आपके सामने शेयर करना चाहिए, इसलिए मैंने यह मेरी कहानी आपके सामने रखी है.
मैं जब स्कूल में पढ़ता था, उस टाइम पे मैं बहुत शर्मीला था. पर मैं हैंडसम इतना था कि मुझे मेरे दोस्त इमरान हाशमी कह कर ही पुकारते थे.
बात उन दिनों की है, जब मैं बारहवीं क्लास में था. मैं मॉम डैड और भाई के साथ भावनगर में रहता था. हमने हमारा बाजू का घर किराये पर दिया था. वहां भावना भाभी अपने पति अशोक और दो साल के बेटा लालू के साथ रहने लगी थी. पहली नज़र में देखते ही मैंने मन ही मन उसे चोदने का प्लान बना लिया था. मैं मन में सोच लिया था कैसे भी करके इस भाभी को चोदना है.
भावना भाभी के बारे में मैं क्या बताऊं, वो इतनी हॉट माल थी कि बस दिन रात मेरे सपनों में उसकी 36-28-38 फिगर ही घूमती रहती थी. भावना भाभी के लंबे बाल उसके चूतड़ों तक काली नागिन से लहराते थे. उसके चुचे इतने टाइट थे कि मानो अभी उसका ब्लाउज फाड़ कर बाहर फुदकने लगेंगे. उसके तने हुए चूचों को देख कर मेरा लंड अक्सर वहीं खड़ा हो जाता था.
जिस दिन से भाभी हमारे बाजू में रहने आई. उसके दूसरे दिन से ही मैं भाभी को नंगी देखने का मौका ढूँढने लगा. वो बाथरूम में जाती, तो मैं छत से बाथरूम में उसको पूरी नंगी देखता था. हम दोनों का कॉमन बाथरूम था और ऊपर से आधा फुट जितना खुला था, तो छत से अन्दर का नजारा साफ़ दिखता था. उसके बाथरूम में होने के समय मैं रोज उसके नाम से 4 से 5 बार मुठ मारता था.
अब आप इससे समझ सकते हैं कि भाभी इतनी हॉट माल थी.
मैं उसके घर में जाने का कोई मौका नहीं छोड़ता था. उसके दो साल के बेटे लालू के साथ खेलता रहता था और भाभी को देखता रहता था. मैं सोच सोच कर आहें भरता था कि मैं इसे कब चोद सकूँगा.
भाभी के चुचे में रोज देखता था. वो नाइटी पहन कर कपड़े धोती और मैं अपने घर के दरवाजे के पास खड़े खड़े देखता रहता था. वो रात को ब्रा नहीं पहनती थी, जिससे सुबह के समय उसके चुचे खुले ही आज़ाद हिलते हुए खेलते रहते थे. भाभी के झुकते समय मैं रोज उसकी चूचियों का दर्शन करता और मुठ मार लेता.
एक दिन की बात है, जब मेरे घर में कोई नहीं था. मैं अपने घर के आखिरी में रूम में सुबह 9 बजे सोया था और मेरा लंड खड़ा हो गया था. मैं टीवी देख रहा था और अपने लंड को हाथ में लेकर उससे खेल रहा था. लंड में तनाव बढ़ना शुरू हो गया. ख्यालों में भावना भाभी आ गई थी. मैंने धीरे धीरे लंड हिलाना चालू कर दिया.
तभी अचानक से भावना भाभी आ गई. उसने मुझे लंड हिलाते देख लिया. मेरा 7 इंच का मोटा लंड देख कर भाभी वहीं रुक गई और देखने लगी. मुझे उसके आने का पता ही नहीं चला था. मैं तो बस अपनी आंखें बंद किए मस्ती में लंड को हिला रहा था.
तभी अचानक मुझे लगा कि कोई मुझे देख रहा है. मैंने पीछे देखा, तो भाभी खड़ी थी और उसका ध्यान मेरे लंड पे था. मैं एकदम से डर गया और अपने लंड को छुपाने की कोशिश करते हुए अपनी टी-शर्ट को नीचे कर लिया. मैं खड़े लंड को छुपाने की कोशिश करता रहा, पर इतना बड़ा लंड टी-शर्ट से नहीं छुप सका. वो अब भी थोड़ा दिख रहा था.
मैंने डरते डरते भाभी से पूछा- आप यहां? कोई काम था क्या? मॉम तो नहीं हैं घर में. बाहर गई है काम से.
भाभी हल्के से मुस्कुरा कर बोली- ठीक है, मैं बाद में आ जाऊंगी.
वो लंड को एक बार तीखी नजर से देख कर चली गई.
मेरे मन में बहुत डर था कि भाभी ने मॉम को बता दिया तो बड़ी गड़बड़ हो जाएगी. मैं कुछ दिन भाभी से दूर ही रहा, वो जहां दिखती थी, मैं छुप जाता था. उसके सामने ही नहीं आता था. भाभी जब भी मॉम से बात करती थी, तो मुझे लगता था कि क्या इसने मॉम को बता दिया होगा?
कुछ दिन ऐसे ही चलता रहा, पर भावना भाभी ने मॉम को कुछ नहीं बताया था. इस बात को लेकर मेरे मन में डर भी था और खुशी भी थी.
एक दिन भाभी ने मुझे बुलाया कि राज इधर आओ. मुझे तुमसे काम है.
मैं उसके पास डरते डरते गया और नजदीक जाकर खड़ा हो गया. भाभी थोड़ी देर मुझे कुछ अलग अंदाज से देखती रही, पर मैं कुछ नहीं बोला.. बस ऐसे ही चुपचाप खड़ा रहा.
भाभी बोली- मेरा एक काम करोगे राज?
मैंने कहा- जी भाभी बोलिये?
मैं आंखें नीचे करते हुए ही बोल रहा था. एक अजीब सी शर्म के चलते मैं भाभी के सामने नहीं देख पा रहा था. मुझे शर्म के साथ डर भी लग रहा था.
भाभी बोली- राज सामने देख कर बात तो करो, मैं खा नहीं जाऊंगी तुम्हें.
यह कह कर भाभी हँसने लगी. उसके हंसने से मेरी हिम्मत थोड़ी खुल गई.
मैंने कहा- जी भाभी, बोलिये क्या काम है?
भाभी ने कहा- ये सामान की लिस्ट है, घर में 3-4 चीजें खत्म हो गई हैं, तुम मुझे ला दोगे.. किराने की दुकान से.
मैंने कहा- ठीक है भाभी.
भाभी मुझे लिस्ट और पैसे दे कर जाने लगी. वो घर के अन्दर जाने को हुई और मैं पीछे से उसकी हिलती हुई गांड को देखने में लगा रहा. मेरा मन कर रहा था कि अभी अन्दर जाकर भाभी को उल्टा करके उसकी गांड में पूरा लंड घुसा दूँ.
मैं सामान लेकर भाभी के घर देने गया, तो उस वक्त वो सिर्फ पेटीकोट और ब्लाउज पहने हुए पौंछा लगा रही थी. उसके ब्लाउज के ऊपर के दो बटन खुले हुए थे, जिस वजह से उसके चुचे आधे बाहर दिख रहे थे. उसका पेटीकोट भी घुटनों के ऊपर चढ़ा हुआ था.
मैंने कहा- भाभी आपका सामान.
भाभी ने नशीली नजर से मुझे देखते हुए कहा- वहां बेड पे रख दो और बैठो, मैं तुम्हारे लिए पानी लाती हूँ.
मैंने कहा- नहीं भाभी, मैं घर जा कर पी लूंगा. अभी लालू भी सो रहा है. मैं बाद में आऊंगा.
भाभी बोली- लालू सो रहा है, तो क्या हुआ … लालू की माँ तो है ना … उससे खेल लो.
यह कह कर भावना भाभी हंसने लगी.
इससे मेरी हिम्मत तो बढ़ गई थी, पर तब मैं हिम्मत नहीं कर पाया और वहां से चला गया.
घर जा कर मैंने 3 बार अपने लंड को हिलाया.
ऐसे ही कुछ दिन चलता रहा. भाभी अब मुझे सेक्सी नज़र से देखने लगी थी और कोई ना कोई काम से मुझे घर बुलाने लगी थी. पर मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी कि भाभी को पकड़ के उसके चुचे को कस कर दबा दूँ और भाभी की चूत में अपना पूरा लंड घुसा दूँ.