मामा रोज़ ऐसे ही मेरे बदन से खेलता और मैं भी खुश रहने लगी. मेरी चूची जल्दी ही गोल आकार लेने लगी और सारे बदन पर कुछ अजीब सा नशा रहने लगा. मामा धीरे धीरे मेरी चूत में अपनी उंगली से गहराई बढ़ाता गया. रात को वह मुझे पूरी नंगी कर देता. बल्कि अब तो वो सिर्फ ये कहता कि चल आ जा. अब सोना है. बस मैं खुद ही उसके साथ अपने शरीर को मजा दिलाने के लिए पूरी नंगी होकर उसके साथ बिस्तर में आ जाती. मामा खुद भी पूरा नंगा ही मेरे साथ आ जाता.
अब उसने मेरी गांड के छेद पर भी उंगली का जादू चलाना शुरू कर दिया था. वो मेरी गांड के छेद में ढेर सारी क्रीम भर देता और अपनी उंगली को गांड में करने लगता. पहले पहल दर्द होता था पर चिकनाई के कारण मुझे उसकी उंगली से गांड मरवाने में मजा आने लगा. उसने एक उंगली की जगह दो उंगलियों से मेरी गांड के छेद को फैला दिया था. फिर अपने लंड लायक मेरी गांड को फैला दिया था, वो मेरी गांड के छेद में चिकनाई लगा कर सुपारा धकेलता रहता. रात को इसी तरह लंड को गांड की फांक में रख कर बाहर ही झड़ जाता. उसने अब तक लंड को मेरी गांड के भीतर नहीं किया था. वह जानता था कि लौंडिया कमसिन है, इसलिए वो मेरी गांड के अन्दर लंड डालने की कोशिश भी नहीं करता. बस गांड के मुहाने पर रख कर थोड़ा सा दबाव देर तक बनाये रखता या जब तक झड़ न जाए, तब तक लंड घिसता रहता.
ऐसा ही खेल वह मेरी चूत पर लंड टिका कर करने लगा था. मुझे कोई दर्द न हो, इसका उसने पूरा ख्याल रखा. मैं भी निश्चिन्त होकर लंड का मज़ा लेती रहती.
मामा मुझे सारे बदन पर चूमता रहता. लगभग डेढ़ साल इसी तरह बीत गया. मैं भरपूर मस्त माल हो गई थी. मामा तो जैसे एक एक दिन गिन रहा था. वो रोज़ उंगली से यह भी टेस्ट करता था कि क्या अब मैं उसके लंड को झेलने लायक हो गई या नहीं.
एक दिन मामा बोला- आज तुझे बहुत नया मज़ा दूंगा. आज लंड पेलूंगा, तू डरना नहीं. एक बार को थोड़ा दर्द भी होगा, झेल लेना. ज्यादा होने लगे.. तो मैं लंड बाहर निकाल लूँगा, मेरा विश्वास कर.
मुझे विश्वास भी था और मन ही मन इस रात का इंतजार भी था. शाम से ही धड़कन बढ़ी हुई थी. जल्दी जल्दी सब निपटा कर हम दोनों बिस्तर में आ गए. मैंने मामा को नंगा किया.. मामा ने मुझे. अब मामा ने शरारत से हँसते हँसते अपना लंड मेरे मुंह में चूसने को दे दिया. मैं लंड चूसती रही. मामा मेरी चूत में क्रीम भर कर उंगली से अन्दर भरते रहे.
फिर मामा ने मुझे गोद में उठाकर बिस्तर पर चित्त लिटाया और मेरी दोनों टांगों के बीच बैठ कर टांगें अपने कन्धों पर रख लीं. फिर मेरी चूत के मुँह पर रख कर धीरे धीरे लंड अन्दर खिसकाने लगा. मुझे एक आध इंच तक तो कुछ नहीं हुआ, पर उसके बाद लगा जैसे चूत चिर जाएगी.
मैं चिल्लाने को हुई तो मामा ने लंड बाहर निकाल लिया और मुझे समझाने लगे कि इससे कोई नुकसान नहीं होता. यदि ऐसा हुआ होता तो फिर कभी कोई ब्याह नहीं करता. लड़की लंड के पीछे दीवानी नहीं होती. तू थोड़ी सी हिम्मत कर, बस फिर मज़ा देखना.
उसने मुझे हिम्मत बंधाई और फिर जो लंड चूत पर रख कर पेला, वो सटाक से चूत अन्दर घुसता चला गया. मेरी तो चीख निकल गई, आंखें फ़ैल गईं.
मैं चिल्लाने लगी- उई माँ मर गई, उम्म्ह… अहह… हय… याह… मामा मर गई.
बस मामा ने वहीं लंड रोक कर मेरे मुँह को अपने मुँह में भर लिया और फिर लगा चोदने. हाय हाय की आवाज़ भी गुटरगूं जैसी हो रही थी.
बस थोड़ी देर बाद, तो मुझे वो मज़ा आया कि मैं बखान नहीं कर सकती. मामा ने लगातार धक्कों की बारिश सी कर डाली. मेरी चूत में जैसे फुव्वारा लगा हो. मेरी चूत से गर्म गर्म पानी फूट पड़ा. नीचे गांड को भिगोता हुआ ये पानी पूरा बिस्तर पर आ गया.
मैंने मामा की कोली भर ली. मैं उससे छिपकली की तरह चिपट गई. उसके बाद निढाल होकर पड़ गई. वो भी बाजू में लेट गया.
लेकिन उस रात में मामा ने कई कई तरह से बदल कर मुझे सारी रात चोदा. मैंने भी पूरा साथ दिया. ये मेरी पहली चुदाई थी इसके बाद तो मैं मामा की पत्नी जैसी बनकर रोज़ चुदी.
मामा ने इसके बाद मेरी गांड का उदघाटन भी कर डाला. अब वो मुझे दोनों तरफ से बजाते थे.
मुझे भी बिना चुदे चैन नहीं मिलता था. मेरी चूत लंड लंड करने लगी थी. इसके बाद जब अपने घर आई, तो मैं अपने सगे भाई से खूब चुदी, वो कहानी मैं पहले ही लिख चुकी हूँ.
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