पर इतने में मैंने अपने होंठ उसकी गुलाबी चूत की पंखुड़ियों पर रख दिए. मैं उसकी चूत के दाने को जोर जोर से चाटने लगा और बीच बीच में दांत से हल्के से काट भी लिया. जिससे उसकी आआहह निकल जाती.
उसकी गर्म चूत ने रस छोड़ना शुरू कर दिया था.
इशारा मिलते ही मैंने अपना लंड उसकी नाजुक चूत की कलियों पर रख दिया. लंड की गर्मी पाते ही वो उछलने लगी और लंड को अपनी चूत के अन्दर लेने को उतावली हो उठी.
मैंने धीरे धीरे लंड को चूत की फांकों पर रगड़ना चालू रखा. वो अपनी गांड उठा कर लंड को चूत के अन्दर डालने की कोशिश कर रही थी और जोर जोर से ‘फ़क मीईई ईई ओह्ह्ह प्लीजज फ़क मीईईईइ हार्ड!’ चिल्लाने लगी.
इतने में मैंने एक हल्का झटका लगाया और अपना आधा लंड उसकी भट्टी जैसी चूत में उतार दिया. उसने अपने नाखून मेरी पीठ पर गड़ा दिए और दूसरे झटके में पूरा लंड उसकी चूत की गहराई में पेल दिया.
उसके मुंह पर मैंने पहले ही हाथ रख दिया था कि आवाज बाहर न जाये. उसकी तड़प को बढ़ाने के लिए मैं हल्के हल्के से झटके लगाता रहा और उसका दर्द भी कम हो गया.
थोड़ी देर में उसे मजा आने लगा और वो खुद अपनी गांड हिला हिला कर लंड को अन्दर तक लेने लगी.
जैसे जैसे लंड का टोपा उसके बच्चेदानी को छूता, उसके मुख से आअह्ह ह्ह्ह्ह निकल जाती. 15 से 20 झटकों के बाद उसने अपना पानी छोड़ दिया.
और उसके साथ ही मैंने भी अपना माल उसकी चूत में ही छोड़ दिया पर लंड को अन्दर ही डाले रखा.
पहली चुदाई का एहसास इतना सुखद था कि उसे मैं जिन्दगी भर नहीं भूल सकता.
हम दोनों एसे ही एक दूसरे की बाँहों में बांहें डालकर पड़े रहे।
उसके चेहरे पर संतुष्टि के भाव थे और वो मेरे चेहरे को चूमे जा रही थी.
वो बोल रही थी- आई लव यू मेरी जान!
उसके जिस्म की गर्मी से मेरा लंड फिर से बेकाबू होने लगा और मैं उसके बदन को चूम रहा था.
वो भी गर्म होने लगी. उसकी चूत ने पानी छोड़ना शुरू कर दिया. मैंने उसकी चूत को काफी देर तक चाटा और उसका सारा पानी पी गया.
‘क्या स्वाद था उसके चूतरस का!’
जब मैंने अपना लंड उसकी चूत में डाला तो इस बार पूरा लंड एक बार में ही चूत में समा गया.
थोड़ी देर बाद उसे मैंने घोड़ी बनने को बोला और चूत को पीछे से चोदने लगा. चुदाई की कामुक आवाजें पूरे कमरे में गूँज रही थी।
इस बार वो जैसे पागल हो गयी. वो अपनी गांड को वो जोर जोर से आगे पीछे कर रही थी और लंड का स्वाद अपने अन्दर तक महसूस कर रही थी।
वो जोर जोर से सिसकारी लेने लगी- आअह्ह ह्ह्ह ओह हह्ह याह्ह हह्ह सीईईई ईईई’ वो तेजी से हिलते हुए झड़ गयी.
अभी मेरा हुआ नहीं था.
मैंने भी अपनी रफ़्तार को तेज कर दिया. कुछ मिनट की भरपूर चुदाई के बाद मैंने अपना लावा छोड़ दिया और उसके ऊपर ही निढाल हो गया।
सुबह के 4:30 बज चुके थे. एक लम्बे चुम्बन और आलिंगन के बाद मैं वापिस अपने कमरे में आ गया। उस रात की चुदाई के बाद तो जैसे मुझे चुदाई का चस्का लग गया। जब भी हमें मौका मिलता, हम दोनों खूब चुदाई किया करते।
उसके बाद तो जैसे उसके यौवन में चार चाँद लग गये. वो दिल खोल कर मुझसे चुदाई करवाती, दिन-रात जब भी मौका मिलता।
उसके कुछ महीनों बाद वो चंडीगढ़ चली गयी.
कैसे मैंने चंडीगढ़ जाकर उसको और उसकी सहेली को चोदा, वो आपको आगे की कहानी में बताऊंगा।
आपको पंजाबन लड़की की चुदाई की मेरी कहानी कैसी लगी? और कोई गलती है तो मुझे ई-मेल करके बताइयेगा.
धन्यवाद.
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