मैं किस करते करते ऊपर को गया और उसके होंठों को चूसने लगा. एक हाथ नीचे करके मैंने अपना लंड उसकी चुत पे सैट किया और एक ही झटके में पूरा लंड अन्दर चला गया. उसकी उम्म्ह… अहह… हय… याह… निकल गई. उसने मुझे धीरे धीरे चुदाई करने को कहा.
मैंने उससे पूछा- कैसा लग रहा है?
उसने कहा- मैं बहुत दिन बाद चुद रही हूँ. मेरे पति का लंड भी तुम्हारे जितना नहीं है. वो मुझे बिस्तर में बहुत कम बार ही चोदते हैं.
मैं समझ गया कि मनीषा की चूत प्यासी है और इसको तगड़ी चुदाई की जरूरत है.
मैंने अपने लंड को धीरे धीरे करके उसकी चूत में पूरा पिरो दिया. उसकी चूत बड़ी कसी हुई थी. मनीषा की चुत अन्दर से बहुत ही गर्म थी. मुझे ऐसा लग रहा था कि शायद ये अपनी जिन्दगी में शायद दस बीस बार की चुदी हुई चूत ही थी.
कुछ समय बाद मेरे लंड ने मनीषा की चूत में जगह बना ली. अब उसने मुझे अपनी गांड उठाकर चुदाई करने का इशारा दिया.
बस मैं चालू हो गया. उसकी चूत ने प्रीकम छोड़ दिया था, जिससे चूत में पानी का रिसाव होने लगा था. चूत के लिसलिसे होते ही मैंने लंड को अन्दर बाहर करना चालू कर दिया. उसकी चुत बड़ी टाईट थी, मेरा लंड फंस फंस कर अन्दर बाहर हो रहा था.
मैंने उसकी दोनों चूचियां बारी बारी से अपने मुँह में भर कर खूब चूसीं. हम दोनों की चुदाई अब फुल स्पीड पर चलने लगी थी.
मैंने करीब करीब 20 मिनट तक उसी पोज़िशन में उसकी चुदाई जारी रखी. उसकी चूत एक बार झड़ चुकी थी, जिस वजह से चूत में लंड इंजिन के पिस्टन की तरह सटासट अन्दर बाहर होने लगा था.
कुछ ही देर बाद मुझे लगा कि मैं झड़ जाऊंगा, तो मैंने उससे कहा- मेरा निकलने वाला है.
उसने कहा- अन्दर हो छोड़ दो. मुझे बच्चा चाहिए.
मैं समझ गया कि मनीषा की आस बच्चे के लिए है. मुझे भी बाहर पानी निकालना अच्छा नहीं लगता … तो मैंने पूरा पानी उसकी चुत में ही निकाल दिया.
फिर हम दोनों बाथरूम में जाकर फ्रेश हो गए और फिर से एक एक पैग लेकर बिस्तर पर लेट गए.
हम दोनों आज की चुदाई से बहुत ही ज़्यादा खुश थे. मैं भी ऐसा मौका नहीं छोड़ना चाहता था. कुछ ही देर में हम दोनों फिर से शुरू हो गए. उस रात हम दोनों ने चार बार अलग अलग पोजीशन में चुदाई की. मैं तो उसकी गांड भी मारना चाहता था. लेकिन उसने मना कर दिया. मैं भी उसे नाराज़ नहीं करना चाहता था, इसलिए मैं रात भर उसकी चुत चुदाई करता रहा.
सुबह 4.00 बजे हम दोनों एक दूसरे की बांहों में नंगे ही सो गए.
सुबह 11.00 बजे मेरी नींद खुली, तो मैं बिस्तर में अकेला सोया हुआ था और मेरे ऊपर चादर पड़ी थी.
मैं उठकर किचन में देखा, तो मनीषा वहां भी नहीं थी. मैं बाथरूम की तरफ गया. बाथरूम में मैंने मनीषा को आवाज़ लगाई. वो नहा रही थी … तो मैंने उसको दरवाजा खोलने को कहा.
उसने दरवाजा खोला और मैं अन्दर चला गया. वो पूरी नंगी थी. दिन के उजाले में तो उसका वो सेक्सी बदन देखकर मैं होश खो बैठा. मैंने उसे किस करना चालू कर दिया और उसके बदन से खेलने लगा.
थोड़े नखरे दिखाने के बाद वो भी गर्म हो गयी और मुझे सहयोग देने लगी. हम दोनों ने घंटे भर बाथरूम में जमकर चुदाई की.
मैंने अपना मोबाइल स्विच ऑफ किया हुआ था. दोपहर को मनीषा खाना बना रही थी, तब मैंने मोबाइल ऑन किया.
मुझे मेरे फ्रेंड्स के और मेरे फैमिली के मैसेजस आए हुए थे कि मेरा फोन नहीं लग रहा और उन्हें चिंता हो रही है. क्योंकि में गुस्से में घर से निकला हुआ था.
मैं कुछ सोच ही रहा था कि उतने में मेरी मॉम का कॉल आया. मैंने कॉल रिसीव कर लिया. मॉम थोड़ा इमोशनल हो गयी थीं, तो मैंने उनको बताया कि मैं एक फ्रेंड के घर पे हूँ और कुछ ही दिनों में घर आ जाऊंगा.
मैं मनीषा के साथ सात दिनों तक रहा और हम दोनों ने हर जगह और हर आसन में चुदाई का आनन्द लिया.
फिर मैं वहां से लौट आया. उसके बाद हम कभी नहीं मिल पाए. बस फोन पे बात हो जाती थी.
यह मेरी पहली कहानी थी, तो कुछ ग़लती होना लाजिमी है. प्लीज़ माफ़ करना. अपने विचार आप मुझ तक अवश्य पहुंचाएं.
आपका प्रकाश पाटिल