पट्टी बंधी आंखों में उसके चेहरे का सबसे कामुक भाग उसके होंठ थे जो चाटने के बाद कमरे की रोशनी में चमक रहे थे। मैं उसके दाईं तरफ के गाल पर किस करते हुए उसके कान से होते हुए नीचे गर्दन पर पंहुचा। मौसम ठंडा था और कमरे में ए.सी. भी चल रहा था, फिर भी उसकी गर्दन पर पसीने की कुछ बूंदें थीं। ये बूंदें उसके गोरे बदन पर मोती की तरह चमक रही थी। मैंने इन मोतियों को चूमा और उसकी बाँहों के नीचे आ गया.
उसके बाद मैं उसे स्मूच करते हुए उसके सीने के भाग पर किस करते हुए बोबों की तरफ बढ़ा। उसके बोबे एकदम कड़क थे। उठे हुए सुडौल, जैसे किसी पॉर्न स्टार के होते हैं। मैं उसके दूधों को पीने लगा। वो आह्ह-आह्ह करती हुई कह रही थी ‘चोद दो भाई मुझे प्लीज … चोद दो मुझे.’
मैं एक झटके में ऊपर गया और उसकी आँखों की पट्टी हटा दी। वो एकदम से चिहुँक गयी. जैसे उसकी जान में जान आ गयी हो। उसकी आँखें वासना के नशे में एकदम लाल हो चुकी थीं. चेहरे पर एक हब्शी भाव था जोकि अक्सर सेक्स करते समय दिखता था।
उसको देख के ऐसा लग रहा था कि वो चाहती है कि कोई आकर बस उसे चोद दे।
मैंने उसके होंठों को चूमना चालू किया। वो आँखें बंद करके मेरा साथ दे रही थी। एक हाथ से मैं नीचे उसके बोबों को रगड़ रहा था। आँखें बंद करके अपनी चूचियों को मसलवाने का वो पूरा मजा ले रही थी।
मैंने अपने होंठ अलग किये, उसने आँखें खोलीं और मेरी आँखों में देख कर बोली ‘फ़क मी विशाल … प्लीज फ़क मी!’
वो मुझसे चुदाई की मिन्नतें कर रही थी। मैंने उसके बोबे दबाते हुए बोला- इतनी जल्दी क्या है जान … और फिर मैं उसके बोबे चूसने में लग गया. वो आँखें बंद करके सिसकारियां लेने लगी.
आहहहहह … आहहहह … आहहह … आहह! मेरे चोदू भाई मैं तेरी दीवानी हूँ रे। आज चोद के भुर्ता बना दे मेरी चूत का।
मैं अपने काम में लगा हुआ था। मैं जोर-जोर से मम्में चूस रहा था जैसे कुँवारे मम्मों में से आज दूध निकाल दूंगा। मेरी बहन सिसकारियां लिए जा रही थी, मुझे गालियां बक रही थी, मुझसे अब चुदाई की विनती कर रही थी।
उसकी बातों पर ध्यान न देते हुए मैं अपने काम में लगा हुआ था। मैं उसके पेट पर किस करता हुआ नीचे आया। उसके दोनों पैर मैंने चौड़े करके बांधे हुए थे. उसकी उभरी हुई चूत पाव रोटी की तरह फूली हुई बिल्कुल चिकनी, साफ … जैसे चूत न हो संगमरमर हो. बिल्कुल मखमल. उसकी चूत से बहता हुआ रस उसकी जांघों पर आ रहा था।
मैं उस रस को चूसता हुआ चूत तक पहुंचा। हालाँकि ये चूत मैंने कई बार चाटी है लेकिन आज की बात ही कुछ और थी। मन कर रहा था इसमें समा जाऊं। मै पूरी की पूरी चूत एक ही बार में मुँह में लेने की कोशिश करने लगा।
मेरी बहन तिलमिला गयी, मेरे होंठों और जीभ का स्पर्श अपनी चूत पर पाकर बोली- बहनचोद विशाल! साले अब चोद दे न … क्यों तड़पा रहा है?
लेकिन मैं जानता था कि यही तो मजा है इस सेक्स का. इसीलिए मैं अपने काम में लगा हुआ था। उसके चूतड़ों को पकड़ कर अपना पूरा मुँह उसकी चूत में घुसा रहा था। मैं जीभ को अंदर तक घुसा कर उसकी चूत की दीवारों को चाट रहा था।
वो जोर-जोर से सिसकारियां ले रही थी- विशाल मेरी जान … तू मेरा भाई नहीं, मेरी जान है। मैं तेरी रखैल हूँ. अपनी रखैल की चूत पूरी खा जा। मैं तेरे मुंह में झड़ना चाहती हूँ. मैं जिन्दगी भर रखैल बन के रहूंगी तेरी। आहह … आहह चोद, चाट, खा जा पूरी खा जा … पूरा रस पी ले। आज के बाद यह तेरी अपनी चूत है। जब मन करे चोद लेना। खा जा मेरी जान। खा जा अपनी रण्डी बहन की चूत को … मेरा बहनचोद भाई, खा अपनी बहन की चूत!
उसके इस बर्ताव से मैं भी काफी उत्तेजित हो गया और जीभ से उसकी चूत की चुदाई करने लगा। वो गांड उठा कर चूत मेरे मुँह में देने की कोशिश करने लगी। मेरे मुंह में ही झड़ गई। मैंने उसकी चूत से निकले हुए रस का कतरा-कतरा पी लिया जैसे प्रोटीन शेक हो वह। जो मजा उसका रस पीने का था, मानो जैसे मुझे कुछ बहुमूल्य चीज मिल गयी हो. बहुत ही अनमोल। मैंने चाट-चाट कर उसकी बुर भी साफ की.
फिर मैं ऊपर उठा, मैंने उसके हाथ खोल दिये. हाथ खुलते ही वो मेरे ऊपर चढ़ गई. मैं बेड पर आ गिरा और वो मेरे होंठों को चूसने-काटने लगी. वो ऐसे होंठ चूस रही थी जैसे उनको खा जायेगी। वो गले तक जीभ उतार कर होंठ चूस रही थी। वो मेरे ऊपर थी. उसके घुटने मुड़े हुए थे. मेरी छाती पर बैठ कर ऐसे चूस रही थी जैसे बरसों बाद मिला हो।
अचानक से वो अलग हुई और मेरे फेस को अपने फेस से सटा लिया और आँखें बंद कर लीं. मेरे को भी एक अजीब सा अहसास हुआ। मैं भी वैसे ही पड़ा रहा. उसकी सांसों को अपने चेहरे पर टकराते हुए महसूस करने लगा. उसके चहरे को महसूस करना एक अलग अहसास था।
फिर मैं उठा और बोला- चलो घोड़ी बन जाओ. असली काम तो अभी बाकी है।
वो मुस्कुरायी और बोली- हाँ मेरे घोड़े …
मेरे होंठों को चूम कर प्रीति मुझसे अलग हुई और घोड़ी बन गयी। मैंने उसकी गर्दन पकड़ कर एक ही झटके में अंदर लौड़ा डाल दिया. वो जोर से चिल्लाई. उसे दर्द हुआ। लेकिन वो कुछ नहीं बोली।
लौड़े को अंदर उसकी चूत में घुसाने के बाद मैंने उसकी चूत को पेलना शुरू कर दिया. आह्ह … बहुत मजा आया इतनी देर की तड़प के बाद. जितनी प्यासी मेरी बहन थी उतनी ही प्यास मेरे अंदर भी लगी हुई थी उसकी चूत को चोदने की. बहुत मजा आ रहा था जब उसकी चूत में लंड गया. मैं उसे पेलता रहा।
मैं उसके बाल पकड़ कर उसे पीछे से पेल रहा था। वो जोर-जोर से सिसकारियां ले रही थी- आहह … उम्म्ह… अहह… हय… याह… ओह्ह आहहह हहह हम्म … आआ …
फिर मैंने उसे उठाया और बेड पर एक-एक पैर रखवा कर खड़ा कर दिया और पीछे से उसकी नंगी पीठ से सट कर उसके मम्मों को दबाते हुए धक्के लगाने लगा। बीच में उसकी गर्दन को चूम लेता तो कभी कान को हल्के से काट लेता। कभी उसके गालों को चूमता।
वो बस आंखें मूंदे, दांतों को भींचे चुदाई का मजा ले रही थी। फिर वो मुँह पीछे करके मेरे होंठों को चूसने लगी। मैं भी उसका साथ देने लगा। कुछ देर इस आसन में चोदने के बाद मैंने उसे पास रखी स्टडी टेबल पर लिटा दिया और पीछे से चोदने लगा। वो सिर को टेबल में दबाये हुए तेज तेज सिसकारियां ले रही थी. पूरे घर में आहहह … ओह … आहहह … आहहह … फच-फच की आवाजें गूँज रही थीं।
मुझे जब लगा कि मैं झड़ने वाला हूँ तो मैंने उससे पूछा- क्या करना है?
क्योंकि पहली बार हम बिना कॉन्डोम के चुदाई कर रहे थे।
वो बिना कुछ बोले अचानक से मुड़ी, मुझे धकेल कर कुर्सी पर बिठा दिया, मेरा लंड मुंह में ले लिया और एक दो बार चूसने के बाद ही मैं उसके मुंह में और फिर उसके चेहरे पर झड़ गया.
उसने मुझे दिखा कर उंगली से निकाल-निकाल कर हर एक कतरा पीया मेरे रस का। फिर उठी और मेरी गोद में आ कर बैठ गयी. मेरे होंठों पर किस किया।
मैंने उससे पूछा- मैं अंदर नहीं झड़ सकता न?
वो हँस कर बोली- तुम मेरे जिस्म में किसी भी जगह झड़ सकते हो क्योंकि तुम मेरी जान हो।
इतना बोल कर उसने मेरे माथे पर किस किया और मेरा सिर सीने में दबा कर मुझे अपनी चूचियों में समा लिया।
सेक्स के बाद लड़की से ऐसे गले लगने का अहसास ही कुछ और होता है। मैं कुछ देर उसकी बांहों में ऐसे ही पड़ा रहा. मन कर रहा था कि उसके नंगे बदन पर रात भर ऐसे ही पड़ा रहूँ. लेकिन अब नींद आना शुरू हो गई थी. बदन में सुस्ती छाने लगी थी. फिर कुछ देर बाद वो उठी और बाथरूम में चली गयी।
रात काफी हो गयी थी तो मैं सोने चला गया. वो बाथरूम से वापस आयी। मेरे सीने पर सिर रख कर चिपक के सो गई। मैंने भी उसे बांहों में लिया और नींद कब आ गयी पता ही नहीं चला। सुबह उठा तो वो मेरे पास नहीं थी. शायद वो जल्दी उठ गई होगी. मैं फ्रेश होकर हॉल मैं बैठा था। वो नाश्ता लेकर आयी. वह उस समय बिल्कुल नंगी थी। उसके हाथ में एक ट्रे में कॉफी थी। वो मेरे पास आकर मुझसे नाश्ता करने के लिए कहने लगी.
मैंने प्रीति की चूत की तरफ देखा. चूत कल की तरह बिल्कुल चिकनी और बाल रहित था. पता ही नहीं चल रहा था कि कल रात को ही इस चूत को मैंने बुरी तरह से पेला है. मेरी बहन के सेक्सी बदन की मैं जितनी तारीफ करूं उतनी कम लगती है.
उसको मैं इससे पहले कितनी ही बार चोद चुका हूँ मगर जब भी उसको ऐसे नंगी देखता हूँ तो लगता है कि मैं पहली बार उसको नंगी देख रहा हूं. उसका सेक्सी गोरा बदन किसी पॉर्न स्टार से कम नहीं है. उसे देखते ही मेरे लंड में हलचल होने लगती है. मैं बहुत किस्मत वाला हूँ कि मुझे उसके साथ सेक्स करने का मजा मिलता है.
मैं उसके नंगे बदन को देख रहा था. रात की चुदाई के बाद नींद पूरी हो चुकी थी और मेरे बदन में एक नई ऊर्जा भर चुकी थी. उसी का नतीजा था कि प्रीति बहन के नंगे बदने से मेरी नजरें हट ही नहीं रही थीं.
प्रीति के चूचे तने हुए थे. मैंने अंडरवियर पहना हुआ था और उसके उभरे हुए चूचों के बीच में तने हुए उसके निप्पल देख कर मेरा लंड मेरे अंडवियर में फिर से खड़ा होना शुरू हो गया.
वह अंडरवियर में तन रहे मेरे लंड को देख कर स्माइल करने लगी. मेरी टांगें फैली हुई थीं और बीच में अंडरवियर था केवल. उसके अंदर मेरा लंड टाइट होकर अपनी शेप में आने लगा था.
मैं कुछ और करता इससे पहले ही प्रीति मेरे पास बेड पर आकर बैठ गई. उसने ट्रे को बेड पर रखा और मेरी बगल में आकर बैठ गई. उसके चूचे हिल रहे थे. इधर-उधर डोल रहे थे. बेड पर बैठने के बाद उसकी सेक्सी चूत और भी मस्त लग रही थी.
प्रीति मेरी तरफ देख रही थी. मैं उसकी तरफ देख रहा था. उसकी नजर एक बार मेरे अंडरवियर पर जा रही थी और फिर ऊपर आ जाती थी. मेरी नजर उसके चूचों से फिसल कर उसकी चूत पर चली जाती थी और फिर ऊपर आ जाती थी.
मैंने पूछा- तुम तो सिर्फ कॉफ़ी लायी हो?
यह कहानी अभी अगले भाग में जारी रहेगी। आशा करता हूँ कि कहानी अंतर्वासना के प्यारे पाठकों को पसंद आयी होगी. अगर आप इस कहानी के बारे में कुछ भी बात करना चाहते हैं तो मेल करके जरूर बताएं.