उसके बाद उसने खुद ही मेरा सिर पकड़ा और अपनी चूत पर रखवा दिया. मैं उसकी चूत को चाटने लगा. उसके मुंह से कामुक सिसकारियां निकलना शुरू हो गईं. वह आह्ह् … ओह्ह … ऊह्ह … करने लगी.
उसके बाद मैंने अपनी पैंट भी खोल दी और जल्दी से अपना अंडरवियर भी उतार दिया. मेरा लंड तो पहले से ही उछल-उछल कर दर्द करने लगा था. मैंने सीधा उसको 69 की पोजिशन में लिटा दिया और अपना लंड उसके मुंह में दे दिया. आह्ह … लंड उसके मुंह में जाते ही मुझे गजब का मजा आने लगा. वह मस्ती में मेरे लंड को मुंह में लेकर चूसने लगी. उसका लंड चूसने का स्टाइल भी कमाल का था. एक बार तो लगा कि मैं ज्यादा देर तक उसके मुंह में टिक नहीं पाऊंगा लेकिन मैंने कंट्रोल बनाए रखा.
दूसरी तरफ मैं उसकी पानी छोड़ रही चूत को चाटने में लगा हुआ था. उसकी चूत फूलकर गोल होती जा रही थी. कुछ देर तक मैं उसकी चूत को चाटता रहा. जब उससे बर्दाश्त नहीं हुआ तो उसने कह ही दिया- आह्ह … दीपक, अब और नहीं रुका जा रहा. प्लीज मेरी चूत में अपना लंड डाल दो.
मैंने भी उसकी हालत पर तरस खाया और उसकी गांड के नीचे तकिया रख दिया. अपने दोनों हाथों से पकड़ कर उसकी टांगों को चौड़ा किया और धीरे-धीरे अपना लंड उसकी चूत में रगड़ने लगा. वह लंड लेने के लिए पागल हुई जा रही थी जिसका अन्दाजा मुझे उसकी बार-बार ऊपर उठती गांड से होने लगा था. मगर मैं उसे अभी और ज्यादा तड़पाने के मूड में था.
वह कहने लगी- मैं तुम्हारे आगे हाथ जोड़ती हूं, अब और देर न करो दीपक … अपना लंड मेरी चूत में डाल दो प्लीज.
मैंने उसकी बात मानकर अपने लंड को उसकी चूत के छेद पर रखा और घप्प से अंदर डाल दिया. चूत कुछ टाइट थी तो उसकी हल्की सी चीख निकल गई ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’
मगर चूत के अंदर लंड तो जा चुका था इसलिए अब मुझसे कंट्रोल नहीं हो रहा था. मैंने सुलेखा के मुंह पर हाथ रखा और एक ज़ोर का धक्का दे दिया. सारा लंड उसकी चूत में समा गया.
उसने मेरे हाथ को अपने दांतों से काट लिया तो मैंने हाथ हटा लिया.
हाथ हटते ही उसने कहा- साले ऐसे चूत में डालते हैं क्या?
लेकिन मैंने उसकी एक न सुनी और उसकी चूत को चोदने लगा. जब मैंने चोदना शुरू किया तो उसको आनंद आने लगा और वह अपने मुंह से कामुक आवाजें निकालने लगी जिन्हें सुनकर मुझे और ज्यादा जोश चढ़ रहा था. उसके बाद मैंने अपने धक्कों की स्पीड बढ़ा दी.
वह नीचे से मेरा साथ देने लगी. अपनी गांड को उठा-उठा कर मेरा लंड अपनी चूत में लेने लगी, कहने लगी- चोदो मुझे दीपक … बहुत दिनों से तुम्हारा लंड लेना चाह रही थी मैं. आज ये मौका मुझे मिला है. मुझे आज जी भर कर चोदो. बहुत मजा आ रहा है.
कुछ देर की चुदाई के बाद उसका पागलपन और बढ़ गया. वह अपने सिर को बेड पर यहां-वहां पटकने लगी. कहने लगी- ओह्ह … चोदो … और तेज … करते रहो … रुको मत … आह्ह … मैं झड़ने वाली हूं. प्लीज रुकना मत दीपक.
यह कहते हुए उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया और वह पहले से ज्यादा गीली हो गई. अब उसकी गीली चूत में मेरे लंड की स्पीड अपने आप ही बढ़ गई. अब उसकी चुदाई करते हुए चूत से पच्च-पच्च की आवाज भी आना शुरू हो गई. मैं उसके ऊपर लेटकर उसके बूब्स को फिर से दबाने लगा. कुछ ही देर में वह दोबारा गर्म हो गई और मुझे पकड़कर अपनी तरफ खींचने लगी. साथ ही साथ वह नीचे से धक्का भी लगा रही थी.
अपनी सेक्स की हवस में उसने मेरी सारी कमर को नोंच डाला. मुझे कमर पर जलन होने लगी थी. मैं समझ गया था कि यह फिर से जल्दी ही झड़ने वाली है. मैंने अपनी चुदाई की स्पीड बढ़ा दी और उसकी गीली चूत को गचागच चोदने लगा.
कुछ ही देर की चुदाई में मेरे लंड ने भी मेरा साथ छोड़ दिया. मेरे लंड से वीर्य की पिचकारी उसकी चूत में लगने लगी और सुलेखा की चूत भी दोबारा पानी छोड़ने लगी. हम दोनों साथ ही झड़ गए.
कुछ देर तक मैं उसके ऊपर ही पड़ा रहा. उसकी आंखों में संतुष्टि के भाव थे.
उस दिन शाम तक मैं उसके घर पर ही रहा और हमने साथ में खाना खाया और उसके बाद दो बार फिर से सेक्स किया. एक बार मैंने उसे डॉगी स्टाइल में चोदा और दूसरी बार वह मेरे लंड पर बैठकर खुद ही चुदी.
तीन बार लगातार चुदाई के बाद मैं भी थक गया था और वह भी काफी थकी हुई लग रही थी. फिर शाम का वक्त होने लगा था और उसके घरवाले वापस आने वाले थे. इस तरह से मेरी और उसकी प्यास बुझ गई थी. जब शाम हो गई तो मैं वापस जाने लगा. उसने मेरे होठों पर एक ज़ोरदार चुम्बन दिया और मुझे अपने घर से विदा कर दिया.
उसके बाद जब भी हम दोनों को कभी मौका मिला हमने एक दूसरे की सेक्स की प्यास को बुझाया.
यह थी मेरे दोस्त की बहन सुलेखा की चुदास की सच्ची कहानी. मुझे उसकी चूत मारकर बहुत ही आनंद आया.
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