अनजान आंटी और उनकी सहेली की चुत चुदाई – Part 2

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आंटी मुझसे पूछने लगीं- क्या तुम जिम जाते हो?
मैंने कहा- हां.
आंटी बोलीं- तभी इतना मस्त शरीर है तुम्हारा.
मैंने कहा- हां जी.
फिर आंटी की नजर दूसरे वाले पार्सल पर जा पड़ी. आंटी ने कहा- तुमने ये पार्सल क्यों खोला?
मैंने कहा- आंटी मैं तो बड़ा वाला ही खोल रहा था, लेकिन इसमें टेप लगी हुई थी . तो मैंने सोचा ये छोटा वाला ही खोलकर देख लूं.
आंटी ने मेरी तरफ देखकर हंसते हुए कहा कि ये किताब बस मैं यूं ही ले आई थी.
मैंने भी आंटी से कहा- आंटी कोई बात नहीं . मुझे पता है आप अकेली रहती हैं . और आपको भी ख़ुशी चाहिए होती है . इसलिए आप ये सब कर लेती हैं.
आंटी मेरी बात सुनकर हंसने लगीं. मैं भी समझ गया कि अब मेरा काम हो जाएगा.
मैं धीरे से आंटी के पास गया और मैंने आंटी से कहा- आंटी अगर आपकी इजाजत हो, तो आज मैं आपको खुशी दे दूं.
आंटी ने अचानक से ही मेरे करीब आते हुए मुझसे अपना जिस्म सटा दिया. अगले ही पल उनके मुलायम से होंठ मेरे होंठों पर आ जमे. मैंने भी आंटी का सपोर्ट करते हुए आंटी के होंठों को अपने होंठों से पकड़ लिया और उनके नीचे वाले होंठ को अपने दोनों होंठों के बीच में दबाकर चूसने लगा. आंटी के होंठ चूसते हुए ही मैंने उनकी साड़ी के ऊपर से ही उनके मम्मों पर अपने हाथ जमा दिए और मसलने लगा.
उनके 34 नाप के मम्मों को दबाने में मुझे इतना मज़ा आ रहा था कि क्या बताऊं.
फिर मैंने उनके होंठों को चूसते चूसते कहा- आंटी मैं आपका पूरा बदन चूसना चाहता हूँ.
आंटी बोलीं- हां जरूर . तुम जो करना चाहो . कर लो.
मैंने आंटी को अपनी गोद में उठाया और उनसे पूछा- बेडरूम किधर है?
उन्होंने कहा- सामने है.
मैं उन्हें बेडरूम में ले गया और उनकी साड़ी हटा कर उनको बेड पर लेटा दिया.
फिर मैंने कमरे का दरवाजा बंद कर दिया और उनके पास बेड पर चला गया. मैं उनके होंठों को चूसने लगा और चाटने लगा. वो भी मेरा पूरा साथ दे रही थीं.
मैं आंटी को चूमते हुए अपने हाथों से उनके ब्लाउज के बटन खोलने लगा. मैंने धीरे धीरे ब्लाउज के सारे बटन खोल दिए और ब्लाउज को खोल दिया. उन्होंने अन्दर रेड कलर की ब्रा पहन रखी थी. मैंने लाल ब्रा के ऊपर से ही आंटी के मम्मों पर किस किया और प्यार से चूमते हुए अपनी जीभ से चाट लिया.
मैंने उनके ब्लाउज को पूरा निकाल दिया. उसके बाद मैंने नीचे से पेटीकोट को निकालना शुरू किया और धीरे धीरे पूरा पेटीकोट उतार दिया.
आंटी ने नीचे ब्लैक कलर की पेंटी पहनी थी. मैंने आंटी की पेंटी को बड़े प्यार से अपने हाथों से छुआ, तो आंटी के मुँह से एक जोर की सिसकारी निकल गई. ‘अह्हा . अयाज . उम्म्म्म..’
मैंने आंटी के सीने पर अपने होंठों को सीने रखकर किस करना शुरू कर दिया. मैं उनके मम्मों की नोकों की तरफ बढ़ने लगा.
मैंने आंटी को अपनी बांहों में लिया और पीछे हाथ डालकर उनकी ब्रा का हुक खोल दिया. आंटी कुछ भी नहीं बोल रही थीं . वो बस आंह आह . करके बेड पर पड़े मज़े ले रही थीं. मैंने ब्रा को खोल दिया और आंटी के मम्मों को चूसने लगा.
मैंने एक एक करके दोनों मम्मों को खूब अच्छे से चूसा. करीब 5 मिनट तक मम्मों की चुसाई के बाद आंटी पूरी गर्म हो चुकी थीं.
तभी अचानक मेरा फ़ोन बजा. मैं फोन सुना तो मुझे उस वक़्त कहीं अर्जेंट जाना पड़ रहा था.
जब आंटी को ये पता चला कि मुझे जाना पड़ेगा, तो आंटी भी उदास हो गईं. लेकिन मैंने आंटी को वापस आकर उनके एक एक अंग को चूस चूस कर मज़ा देने का वायदा किया.
मैंने आंटी से कहा- मैं बस अभी दस मिनट में आता हूँ.
फिर मैं आंटी के पास बेमन से उठ कर चला गया और जल्दी ही वापस भी आ गया.
जब मैं वापस आया, तो उनका घर खुला था. मैं बिना आवाज दिए अन्दर चला गया और कमरे में जाकर देखा, तो आंटी बेडरूम में नहीं थीं.
मैंने इधर उधर देखा, तो बाथरूम से पानी गिरने की आवाज़ आ रही थी. बाथरूम का दरवाजा हल्का खुला था. मैं वहां जाकर देखने लगा.
अन्दर का नजारा दंग कर देने वाला था क्योंकि मैंने देखा कि बाथरूम में आंटी और उनकी एक फ्रेंड थीं. शायद ये उनकी वही सहेली थीं, जिनके लिए उन्होंने टोस्टर मंगवाया था. आंटी अपनी उन्हीं सहेली के साथ बाथरूम में नंगी खड़ी थीं और वे दोनों एक दूसरे को बांहों में लेकर शॉवर के नीचे नहा रही थीं.
जब मैंने ये सीन देखा, तो मेरे लंड का हाल बुरा हो गया. कुछ देर में जब मुझसे नहीं रुका गया, तो मैंने अपना पजामा और अंडरवियर उतारा और अन्दर बाथरूम में घुस गया.
मैंने आंटी को पीछे से पकड़ लिया. आंटी ने अचानक से मुझे देखा और हंसते हुए मुझे किस कर दिया.
आंटी ने अपनी फ्रेंड से कहा- यही है वो . जिसके आने का मुझे इन्तजार था.
उनकी फ्रेंड ने मुझे देखा और फिर मेरे लंड की तरफ देखते हुए मेरे पास आ गईं. उन्होंने अपने हाथ से मेरा लंड पकड़ लिया और सहलाते हुए मुझे वासना से देखने लगीं.
आंटी ने भी मेरा लंड अभी ही देखा था तो आंटी के मुँह में भी पानी आ गया.
मैंने आंटी से कहा- लगता खुशियां बांटने के लिए हमारे साथ आपकी फ्रेंड भी शामिल हो गई हैं.
उनकी सहेली मेरे लंड को पकड़ कर बोली- अगर अयाज को हम दोनों की एक साथ लेना मंजूर हो, तो मज़ा आ जाएगा.
मैंने कहा- मुझे और मेरे लौड़े को मंजूर है.
मैंने वहीं पर नीचे झुककर बैठते हुए आंटी की चूत पर अपनी जीभ को रख दिया और आंटी के चुत की फांकों को चौड़ा करके अपनी जीभ अन्दर डाल दी. मैं आंटी की चुत चाटने लगा. ये सब करने से आंटी को तो मानो जन्नत जैसी फीलिंग आने लगी.
अब आंटी मादक सिसकारियां भर रही थीं. मुझे वो सीन इतना अधिक कामुक लग रहा था कि मैं आपको लिख कर बता ही नहीं सकता. आप खुद अपनी आंखें बंद करके उस सीन की कल्पना कर सकते हो.
जो भी पाठिकाएं मेरी इस सेक्स कहानी को पढ़ रही होंगी, उन सभी को तो ये बात समझने की जरूरत ही नहीं है कि चुत चटवाने में कितना मज़ा आता है. जिस वक्त कोई चुत को चौड़ा करके उसमें जीभ घुसाता है, तब चुत की आग कितना मजा देती है.
आंटी की चुत चुसाई का सीन देखकर पास में खड़ी आंटी की सहेली ने तो अपना होश ही दिया और वो मेरे बदन को पीछे से चाटने लगीं. मेरी कमर पर अपनी जीभ फेरने लगीं.
मैंने आंटी की चुत को करीब तीन मिनट तक चाटा. फिर मैं खड़ा हो गया और आंटी के मम्मों को दबाने लगा. मेरे सामने आंटी की सहेली भी आ गई थीं. मैं उनकी फ्रेंड के मम्मों को भी दबाने लगा. उनकी चूचियां मसलते हुए मैंने आंटी की सहेली हो ध्यान से देखा तो उनकी उम्र भी करीब 32 साल की ही थी.
वो भी मस्त फिगर वाली थी . बल्कि वो आंटी से भी ज्यादा सेक्सी थीं. उन्होंने मेरे सर को अपने मम्मों पर दबाते हुए मेरे कान में कहा- मेरी चुत भी चूसो न!
उसी तरह से मैंने आंटी की फ्रेंड की चुत को भी चाटा और दोनों मज़ा दिया.
मैंने अपने लंड को आंटी के मुँह में घुसाया और उनसे लंड चुसवाया. एक बार आंटी लंड को चूसतीं और एक बार उनकी सहेली मेरे लंड को चूसने लगतीं.
फिर मैंने कमरे में चलने के लिए कहा, तो वो दोनों बिस्तर पर गईं. मैंने पोजीशन बनाई और आंटी की चुत में लंड घुसा कर चोदना शुरू कर दिया. कुछ देर बाद उनकी सहेली भी चुत खोल कर लेट गई. तो मैंने आंटी की चुत से लंड निकाला और उनकी सहेली की चुत में पेल दिया. ऐसे ही मैंने बारी बारी से उन दोनों को करीब 30 मिनट तक चोदा.
अब तक आंटी दो बार और उनकी फ्रेंड एक बार झड़ चुकी थीं. फिर मैंने भी लंड बाहर झाड़ा, तो उन दोनों ने अपने मम्मों पर मेरे लंड रस को गिरवाया और लंड चूस कर साफ़ कर दिया.
मैं घर पर रात को आने की पक्का नहीं है, ऐसा कह कर आया था. इसलिए मुझे घर जाने की कोई चिंता नहीं थी. मैंने ऐसे ही उन दोनों पूरी रात अलग अलग आसनों में धकापेल चोदा. उस रात वो दोनों ही बहुत खुश हो गई थीं. बाद में मालूम हुआ कि आंटी की सहेली का भी तलाक हो चुका था और वो भी लंड की प्यासी थीं.
अब वो दोनों मुझसे खूब चुदवाती हैं और खुशियां पाती हैं. आपको मेरी ये सच्ची सेक्स कहानी कैसी लगी, प्लीज़ मुझे मेल करके बताएं.
मेरी ईमेल आईडी है
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