ऑफिस से छूटते ही मैंने कैब ले ली और घर आ पहुंची. मैंने किसी से लिफ्ट नहीं ली थी … क्योंकि मास्टर का आदेश था. एक घंटे पहले उसका मैसेज आया था.
“आई वांट टू सी माई प्रोपर्टी वैट एंड जूसी.”
(वो मुझे पसीने से भीगा हुआ देखना चाहता था)
मामी जी का फ्लैट दसवें माले पर था. गर्मी का मौसम था. पांच माले तक चढ़ने में ही मैं ही हांफ गयी थी. किसी तरह मैंने बाकी की सीढ़ियां भी चढ़ीं. घर पहुंचते पहुंचते मैं पसीने से लथपथ हो गई थी. मेरी सफ़ेद शर्ट पसीने से भीग चुकी थी.
मैं घंटी बजाई, तो मामी ने दरवाजा खोला.
“अरे प्रीति बेटा क्या हुआ?” मामी ने मेरी हालत देख कर पूछा.
“कुछ नहीं मामी वो लिफ्ट खराब थी.” मैंने बहाना किया.
“अच्छा … तुम फ्रेश हो जाओ, मैं खाना लगा देती हूं.”
मैंने लैपटॉप का बैग बेड पर फेंका और बाथरूम में घुस गई. मैंने खुद को आईने में देखा. मैं पूरी तरह भीग चुकी थी. मैंने अपने बाल थोड़े सही किए और लिपस्टिक लगाई.
मेरे मम्मे काफी बड़े होने के कारण शर्ट मेरे मम्मों पर चिपक गयी थी. मैंने शर्ट के तीन बटन खोल कर उसे मम्मों के नीचे तक सरका दिया, जिससे मेरी ब्लैक ब्रा दिखने लगी. मेरी ब्रा भी पसीने से भीग चुकी थी. मैंने दो तीन फ़ोटो क्लिक कीं और भाई को व्हाट्सअप कर दीं.
मैंने नीचे लिखा- योर स्लट इज वेटिंग फ़ॉर यू मास्टर.” (तुम्हारी रंडी तुम्हारा इन्तजार कर रही है.)
मैंने फोन साइड में रखा और आईने में देख कर खुद को निहारने लगी. मेरे माथे पर पसीने की बूंदें थीं … आंखों में काजल था, जिससे मेरी आंखें तीखी और नशीली लग रही थीं. मेरे गोरे चेहरे पर लाल रसीले होंठ चमक रहे थे. मेरा भीगा बदन ऐसे लग रहा था … मानो मैं सीढियों से चढ़ कर नहीं, बल्कि चुद कर आयी हूं. मेरी गर्दन से टपकते पसीने की बूंदें मेरे मम्मों की घाटियों में बहते हुए जा रही थीं. एक बार के लिए तो मैं खुद को ही देख उत्तेजित हो गयी.
करीब पांच मिनट बाद भाई का मैसेज आया.
“शो मी.” (मुझे दिखाओ)
मैंने वीडियो काल करके मोबाइल सामने रख दिया. मैंने आहिस्ते से हाथ अपने मम्मों पर फेरा और रंडियों की तरह मुस्कुराते हुए शर्ट के बटनों को खोलने लगी. अगले ही पल मैंने अपनी शर्ट को निकाल कर फर्श पर गिरा दिया. मैंने अपने नंगी भीगे बदन पर आहिस्ता से हाथ फेरा … मैं देख तो नहीं पायी, लेकिन मुझे अंदाज हो गया था कि भाई ने अपना लंड पकड़ लिया होगा. मैंने हाथ अपने भीगे बदन पर सरकाते हुए पीछे ले गयी और अपनी ब्रा का हुक खोल दिया. ब्रा खुलते ही मेरे चूचे उछल कर सामने आ गए, जैसे कि वो न जाने कब से बाहर आने के तड़फ रहे थे और मैंने उन्हें कैद कर रखा हो. लेकिन ब्रा अभी भी मेरे मम्मों पर चिपकी हुई थी.
उसने मुझे आदेश दिया- वेलकम पोज.
ये मास्टर वेलकम पोज उसका फेवरेट पोज था. क्योंकि इसमें उसे मेरे पूरे नंगे जिस्म को देखने को मिलता था. इसमें मुझे दोनों हाथ ऊपर उठा कर खुद को उसे सौंपना होता था.
मेरे हाथ ऊपर करने पर मेरे सीने से लगी ब्रा भी गिर गयी और मैं पूरी तरह नंगी हो गयी. मैंने गोल घूम कर उसे एक अच्छा लुक दिया. उसे मेरी नंगी पीठ उसे बहुत पसंद है. मैं सिर झुकाए खड़ी थी. मेरे हाथ अभी भी ऊपर थे.
“स्मेल ईट.” (खुशबू लो) उसने आदेश दिया.
मैं सोचने लगी कि ये क्या कह रहा है. मैं सोच में पड़ गयी.
उसने फिर बोला- ट्रस्ट मी, स्मेल इट. (मेरा विश्वास करो, खुशबू लो).
मैं संकोच करते हुए नाक अपने आर्मपिट्स के करीब ले गयी और लम्बी सांस ले कर अपने ही जिस्म की खुश्बू को अपने जहन में उतार लिया. मेरे जिस्म की महक़ आज मुझे मादक लग रही थी. मुझे नशा सा चढ़ गया, मेरी आंखें बंद हो गईं. मुझे वो दिन याद आ गए, जब हम पसीने से लथपथ घंटों चुदाई का खेल खेला करते थे. कैसे वो मेरे आर्मपिट्स को अमृत रस की तरह चाटता था.
मेरे हाथ खुद ब खुद मेरी चुत पर चले गए. वासना के सागर में डूबी मैं, अपने दाने को मसलने लगी. मेरे मुख से सिसिकारियां निकलने लगीं. मैं उससे चुदाई की गुहार लगाने लगी.
“फक योर स्लट मास्टर.” (अपनी रंडी को चोदिए मेरे मालिक)
“उम्मम हम्मम्म यसस … आहहहह फ़क मी लाइक होर..” (मुझे किसी बाजारू रंडी की तरह चोदो)
मैं इतनी उत्तेजित हो गयी थी कि जल्द ही झड़ने को हो गयी.
तभी “स्टॉप … इट्स इनफ फ़ॉर नाउ, रेडी फ़ॉर नाइट सो.”(रुको … अभी के लिए इतना काफी है, रात को मिलते हैं)
मैं कुछ कह पाती, तब तक उसने कॉल कट कर दिया. मैं हमेशा ही मचल उठती हूं, जब वो मुझे इस तरह धमकाता है. मैं गर्म हो चुकी थी. उसके इस बर्ताव पर मुझे बहुत गुस्सा आया … लेकिन ये पहली बार नहीं था. मुझे तड़पाना तो उसकी आदत है. उसे इसमें बड़ा मजा आता है. मैंने फोन उठाया, उसका मैसेज आया था.
“लव यू दीदी.”
“मी ओर माई बॉडी?” (मुझे या मेरे जिस्म को) मैंने नाराजगी में लिख दिया.
कुछ सोच कर उसने रिप्लाय किया- आल ऑफ यू. (आप, पूरी की पूरी)
“मिस यू छोटे.”(मैं तुम्हें मिस कर रही हूं,छोटे)
“मिस यू टू दीदी.”
“तो आ जा ना.”
“जल्द ही आऊंगा.”
“शुड आई वेट नेकेड फ़ॉर माय मास्टर?” (क्या मुझे तुम्हारे इन्तजार में नंगी रहना चाहिए)
“नो नो, मैं जल्द ही आने की कोशिश करूंगा.” एक स्माइली के साथ उसने लिखा.
“लव यू … बाय.”
“बाय, लव यू टू.”
“उम्माहह.”
मैंने उसको किस वाली इमोजी भेजी और फोन रख कर मैं बाथटब में आ गयी. ठंडा पानी मेरे जिस्म पर ऐसे लग रहा था, मानो तवे पर पानी छिड़क दिया हो. आंखें बंद करते ही मैं भाई के पुलअप बार से बंधी हुई थी. जहां उसने मुझे कई बार चोदा था. महसूस होने लगा कि वो मेरे नंगी जिस्म से खेल रहा है. वो मेरे जिस्म के हर एक भाग को प्यार करता और दर्द भी देता था, लेकिन उस दर्द में मजा था. एक रोमांच था. मुझे याद है कैसे वो मेरे हर एक अंग को प्यार करता.
ये सोचते ही मेरे हाथ खुद ब खुद मेरे मम्मों पर चले गए. मेरे मुख से हल्की सिसकारियां निकल गईं.
मुझे होश ही नहीं रहा कि कब मैं अपनी कल्पनाओं में भाई के साथ बेडरूम से हट कर अपने खुद के बेडरूम में आ गई थी. इशिता मेरे मम्मे चूस रही थी. ये मुझे पता ही न चल सका.
मुझे कल रात इशिता द्वारा मेरे मम्मों को चूसे जाने का एहसास मुझे रोमांचित कर गया. मैंने एक हाथ चुत पर फेरा, जो कि गीली हो चुकी थी. मैं अपनी चूत के दाने को मसलने लगी. फिर मैंने तीन उंगलियां अपनी चुत में पेल दीं और खुद की चुदाई करने लगी. भाई ने इन दिनों मुझे खुद से प्यार करना सिखा दिया था. मैं खुद के मम्मे मसलते हुए खुद की चुत की चुदाई कर रही थी. कुछ ही पलों मैं झड़ गयी. इससे मेरे मन को अस्थायी शांति तो मिल गई थी. लेकिन अभी भी कुछ सवाल बरकरार थे.
मैं खुद से पूछने लगी कि क्या मैंने अभी अभी अपनी बहन को सोच कर मुठ मारी? क्या हो गया है प्रीति तुझे, तू एक लड़की के बारे में ऐसा कैसे सोच रही है?
इस तरह के कई विचार थे मेरे मन में, जिनके जवाब मेरे पास नहीं थे.
डिनर पर मैंने मौका देख मामी से बात करनी चाही- मामी, मुझे आपसे कुछ बात करनी है.
“हां, हां प्रीति बेटा बोलो … किस बारे में बात करनी है?”
“इशिता के बारे में.”
इशिता का नाम सुनते ही मामी के चेहरे का तो जैसे रंग ही उड़ गया. वो एकदम से ऐसे सकपका गईं, जैसे उनकी कोई चोरी पकड़ी गई हो.
“इशिता … इशिता कुछ ज्यादा ही नशा करने लगी है … कल रात भी नशे में घर आई थी.” मैंने अपनी बात पूरी करते हुए कहा.
“हा हा हा, बेटा आज कल के बच्चों के शौक भी तो बढ़ गए हैं.” उन्होंने बनवाटी हंसी के साथ बोला.
“पर मामी ऐसे देर रात घर आना, नशे में आपको अनसेफ (असुरक्षित) नहीं लगता?”
मामी कुछ देर तक सोचा, फिर वे बोलीं- मेरी कहां सुनती है बेटा, तुम्हीं उससे बात करना … हो सकता है, वो तुम्हारी सुन ले.
“पर … मामी..” मैं अपनी बात पूरी नहीं कर पाई क्योंकि मेरे फोन की घंटी बज उठी. ये फोन विशाल का था. मैं ज्यादा कुछ बात नहीं कर पाई मामी से … बस जल्दी जल्दी खाना खाकर कमरे में चली आयी.
अगले दिन ही बाद रात को फिर इशिता वैसे ही फिर नशे में धुत्त आयी. आज मामी भी घर पर नहीं थीं. मैंने ही दरवाजा खोला.
मुझे देखते ही वो चहक उठी- दीदी, ओ माय सेक्सी हॉट दीदी. (मेरी सेक्सी हॉट दीदी)
यह कहती हुई वो मेरी तरफ बढ़ी, लड़खड़ा कर वो मेरे ऊपर आ गिरी. मैं उसे सहारा देकर उसके कमरे तक ले गयी. उसे बेड पर सुलाया.
वो अभी भी बड़बड़ा रही थी- स्लट, व्हेर इज माय स्लट?
“चल सो जा … तू बहुत नशे में है.” ये कहते हुए मैं जाने के लिए मुड़ी. उसने मुझे खींच कर अपने ऊपर गिरा लिया.
“क्या कर रही है? छोड़ इशिता.”
“दीदी, आप न बहुत हॉट हो, बहुत सेक्सी (कामुक) … लाइक सेक्स गॉडेज.” (काम की देवी)
ये सब तो उसने नशे में कहा … लेकिन नशे में अकसर लोग मन की बातें कह जाते हैं. मैं उसकी आंखों में देख रही थी. उसका ये मासूम चेहरा कई राज छिपाए बैठा था. मैंने उससे खुद को छुड़ाया. मैं वापस अपने कमरे में आ गयी.
मैंने सोने की कोशिश की. मैं इशिता के रवैये पर गुस्सा भी थी. वो लगभग हर दूसरे दिन नशे में धुत्त घर आती, लेकिन मामी उसे कभी नहीं डांटती थीं. आज तो हद था उसके कपड़े भी फटे हुए थे. मैंने उसी वक्त ये निश्चित किया कि सुबह ही मामी से दोबारा इसको लेकर बात करूंगी.
आपको मेरी दीदी की ये सेक्स कहानी कैसी लग रही है … प्लीज़ मुझे मेल करें ताकि मैं अपनी दीदी के साथ आपके मेल पढ़ कर मजा कर सकूँ और उसकी मदमस्त चुदाई की कहानी आपके लिए लिख सकूँ.
विशाल जैसवाल