मेरे प्यारे दोस्तो, मैं अन्तर्वासना की क़हानियां चार साल से पढ़ रहा हूँ. आज मैं अपनी जीवन की पहली चुदाई की कहानी आपको सुनाने जा रहा हूँ… जिसमें मैंने अपने किरायेदार रिंकू भाभी की दो दिन तक जमकर चुदाई की.
रिंकू भाभी हमारे मकान में किराए से रहने आई थीं, उनके पति ज्यादातर काम के सिलसिले में बाहर ही रहते थे. उनका एक चार साल का छोटा लड़का था. भाभी की शादी को आठ साल हो गए थे मगर आज भी उनका फिगर किसी मस्त हिरोइन की तरह ही था. उनकी पतली कमर और हिलती हुई बड़ी बड़ी चुचियों को देख कर किसी का भी पानी निकल जाए. दूध सा गोरा बदन था.
मेरा तो पहली बार उन्हें देख कर ही लौड़ा खड़ा हो गया था. अब मेरा एक ही मकसद था, वो था… उनकी चूत का स्वाद चखना. तो मैं अब अपने काम में लग गया और उन्हें पटाने की कोशिश करने लगा.
एक दिन सुबह की बात है, मैंने देखा कि भाभी जी बाथरूम में नहा रही हैं. मैंने सोचा नंगी नहाती भाभी को देखने का ये अच्छा मौका है, उस समय घर पर कोई नहीं था. उनका बेटा स्कूल गया था और उनके पति जॉब पर गए थे. इससे अच्छा मौका मुझे फिर कभी नहीं मिल सकता. यह सोच कर मैं उनके बाथरूम के पास आ गया और दरवाजे के छेद में से देखने की कोशिश करने लगा. अन्दर मुझे भाभी की कमर तक का मस्त नजारा दिख रहा था. उन्होंने लाल रंग की पेंटी पहनी हुए थी. इतना दिखने में ही मजा आ गया था… क्या मस्त नज़ारा था.
भाभी की गोरी गोरी टांगों के बीच में लाल रंग की पेंटी फंसी सी थी. तभी रिंकू भाभी ने शावर चालू किया. उनकी गोरी जाँघों के बीच से पानी गिर रहा था. धीरे धीरे उनकी पेंटी गीली होती जा रही थी. भाभी ने अपने पैर फैला लिए थे, जिससे अब उनकी चूत की लाइन साफ़ साफ़ नज़र आने लगी थी.
थोड़ी देर तक मैं ऐसे ही उन्हें देखता रहा. पर ये अब मैं क्या देखता हूँ कि रिंकू भाभी धीरे धीरे अपने हाथ को अपनी चूत के पास सहलाने लगी थीं. वो पेंटी के ऊपर से ही चूत को रगड़ रही थीं और उनके मुँह से सिसकारी की आवाज भी निकलने लगी थी, जो बाहर सुनाई दे रही थी. वो मज़े में उम्म्ह… अहह… हय… याह… की आवाज निकाल रही थीं.
ये सब देख सुन कर मेरा भी लंड खड़ा हो गया था, तो मेरा भी हाथ अपने पैन्ट के अन्दर चला गया.
मैंने देखा अब वो अपना हाथ पेंटी के अन्दर डाल चुकी थीं और अपनी चुत को सहला रही थीं. फिर उन्होंने पेंटी धीरे धीरे नीचे की और उसे अपनी टांगों से पूरी बाहर निकाल दी.
आह… एकदम कोमल ओर चिकनी चूत थी. उनकी चूत अपना रस छोड़ रही थी. ये नज़ारा देख कर मुझसे रहा नहीं गया और मैं अपने लंड को ज़ोर ज़ोर से हिलाने लगा. उधर बाथरूम में रिंकू भाभी भी अपनी चूत में ज़ोर ज़ोर से उंगली कर रही थीं और उनके मुँह से ‘आह ओऊऊऊ ओह यस आआआह…’ की आवाज़ और तेज होती जा रही थी. उन्होंने दो उंगलियां चूत के अन्दर डाल रखी थीं और तेजी से अन्दर बाहर कर रही थीं. थोड़ी ही देर में वो झड़ गईं.
अब मैं भी झड़ने वाला था और एक मिनट बाद मैं भी झड़ गया. इसके बाद मैं वहां से चला गया. वो भी नहा कर बाहर आ गईं और अपना काम करने लगीं.
दिन गुजर गया था, अब रात हो गई थी. मैं अपने कमरे में सोने चला गया मगर मुझे अभी भी ख्यालों में रिंकू भाभी की चूत दिखाई दे रही थी. मैं ये सब सोच ही रहा था कि मेरा फोन बज उठा. मैंने देखा कि रिंकू भाभी के पति का फोन है, उन्होंने बोला कि मैं भाभी को बता दूँ कि वो आज रात घर नहीं आ रहे है. रिंकू भाभी के पास खुद का फोन नहीं था इसलिए उनके पति मेरे ही नंबर पर कॉल करते थे.
मैं भाभी को ये बताने के लिए ऊपर उनके कमरे में गया. उनका बेटा सो चुका था. मैं भाभी से बोला- भाभी जी, भैया का फोन आया था, वे आज नहीं आएंगे.
यह सुनने के बाद उनका चेहरा उतर गया. उन्होंने मुझे बुझे मन से थैंक्स बोला और फिर मैं अपने कमरे में चला आया. तभी मेरे दिमाग ने कुछ खुराफात करने की सोची कि रिंकू भाभी की चुदाई करने का ये मौका अच्छा है.
यही सोच कर मैं ऊपर गया तो मैंने देखा भाभी बाहर छत पर घूम रही थीं.
मैं उनके पास गया और उनसे बातें करने लगा. काफी देर बातचीत हुई. जिसमें मतलब की बात लिख रहा हूँ.
उन्होंने मुझे बताया कि वो अपनी शादी से खुश नहीं हैं. उनके पति बहुत कम घर में रहते हैं, कई बार तो एक एक महीने तक बाहर रहते हैं. उन्होंने ये भी बताया कि उनके पति का किसी और औरत के साथ संबंध है.
मैंने उनकी आँखों की तरफ देखा तो पाया कि वो रो रही थीं. मैंने हिम्मत करके उनके आंसू पौंछे और उनसे बोला कि सब ठीक हो जाएगा.
यह सुन कर वो मेरे गले लग गईं और मुझे कसकर अपनी बांहों में ले लिया. भाभी बोलने लगीं- तुम कितने अच्छे हो.
उनकी चुचियां मेरे सीने में गड़ रही थीं.
मैंने उनको अपनी बांहों में भर लिया. भाभी ने भी मुझे जकड़ लिया. मैं उनकी गर्मी महसूस कर पा रहा था. मैंने सोचा कि ये मौका अच्छा है. मैंने उन्हें अपनी गोद में उठाया और कमरे में ले जाने लगा. वो मुझे देखे ही जा रही थीं. मैं समझ गया था कि भाभी बहुत प्यासी हैं और उन्हें भी लंड की ज़रूरत है.
अब आगे यह पहले दिन का किस्सा है जब मैंने भाभी को प्यार से चोदा.
मैंने उन्हें अपनी गोद से उतारते हुए पलंग पर लिटाया. वो अब भी मुझे देखे जा रही थीं. मैं धीरे धीरे उनके लाल लाल रसीले होंठ के पास अपने होंठ ले गया और अगले ही पल हम एक दूसरे को चूम रहे थे. वो मुझे ज़ोर ज़ोर से अपने मुँह में खींच रही थीं. उनकी जीभ मेरे मुँह में थी. वो मेरी जीभ को ज़ोर ज़ोर से चूस रही थीं.
करीब दस मिनट के चुम्बन के बाद भाभी ने मुझे अलग किया और किचन की तरफ़ चली गईं. मैं भी उनके पीछे पीछे चला गया.
उन्होंने फ्रिज से एक चॉकलेट निकाली और उसे अपने मुँह में रखी. फिर वे मेरे पास आकर मुझे दुबारा से चूमने लगीं. वो चॉकलेट हम दोनों मिलकर खाई.
अब मैं अपने हाथ उनकी चुचियों पर ले कर गया और उन्हें प्यार से दबाने लगा. वो भी मुझे चूमे जा रही थीं. मैंने उनके ब्लाउज के बटन खोले तो पाया कि उन्होंने अन्दर काले रंग की ब्रा पहनी हुई थी.
भाभी ने मेरे सामने पूरा समर्पण कर दिया था. अब मैं अपने एक हाथ से उनकी चुची दबा रहा था और दूसरे हाथ से उनकी चूत में उंगली कर रहा था. रिंकू भाभी की उत्तेजना बढ़ती जा रही थी. उनकी चूत रस छोड़ रही थी.
ये सब हम दोनों किचन में ही कर रहे थे. मैंने उन्हें चूमने से रोका और उन्हें उठा कर रूम में ले आया. वे बिस्तर पर लेटने को हुईं तो मैंने उन्हें पैर फैला कर खड़े रहने को कहा. वे मुझे देखने लगीं. मैं नीचे बैठा और उनकी साड़ी के अन्दर घुस कर उनकी पेंटी निकाली और चूत को चाटने लगा. उनकी चूत से रस निकल रहा था, मैं चूत को ज़ोर ज़ोर से चाटने लगा.
भाभी साड़ी के ऊपर से ही मेरा सर दबा कर तेज तेज सिसकारी भरने लगीं- आह ओऊऊऊ ओह आआआह और तेज…
उनकी गर्मी बढ़ रही थी. उन्होंने मेरे सर को अपनी दोनों टांगों से दबा लिया और तेज आवाज निकालते हुए झड़ गईं. मैं उनकी चूत का पूरा पानी पी गया. उन्होंने अपनी साड़ी खोल दी, पेटीकोट का नाड़ा ढीला कर दिया. भाभी नंगी हो गईं और मैं उनके पूरे नंगे होते ही बाहर आ गया.
मैंने उनके सामने अपना लंड हिलाया तो भाभी मेरे लंड को अपने मुँह के पास लेकर आईं और लंड चूसने लगीं. भाभी लंड को ऐसे चूस रही थीं, जैसे कोई बच्चा लॉलीपॉप खा रहा हो.
करीब दस मिनट तक वो मेरे लंड को चूसती रहीं, उसके बाद मैं उनके मुँह में ही झड़ गया. वो मेरे वीर्य को पूरा चाट कर पी गईं.
हम दोनों ही झड़ चुके थे लेकिन आत्मा अतृप्त थी. कुछ ही पलों बाद हमारी साँसें संयत हुईं.
मैं उनको नशीले अंदाज में देखने लगा. अब उनसे भी रहा नहीं जा रहा था.
भाभी- चोद दो मुझे सूरज… आज मेरी चुत का भोसड़ा बना दो… फाड़ दो इसे…
भाभी की बात सुन कर मेरा लंड फिर से जोश में आ गया और मैंने भी देर ना करते हुए उनको पलंग पर चित लिटाया और उनकी दोनों टांगों को खोलकर अपना छह इंच का गर्म लंड उनकी चूत पर रगड़ने लगा. वो तड़प रही थीं.
भाभी- डाल भी दो अब अपना लंड… मेरी रंडी चुत में… फाड़ दे इसे… अपनी रंडी की तरह चोद मुझे… बुझा दे मेरी प्यास को…
मैंने देर ना करते हुए अपना लंड एक जोरदार धक्के के साथ उनकी चूत में पेल दिया.
वो एकदम चिल्ला उठीं- आहहह धीरे डालो… मैं दो महीने से नहीं चुदी.
मेरा भी लंड अभी तक आधा ही गया था मैंने धीरे धीरे पूरा लंड अन्दर डाला. वो अभी भी दर्द से चिल्ला रही थीं- साले कुत्ते फाड़ दी मेरी चूत…
आठ दस धक्कों के बाद भाभी को भी मज़ा आने लगा.
अब वो उछल उछल कर मेरा लंड खा रही थीं और चिल्ला रही थीं- डाल और ज़ोर से चोद मुझे… कुतिया बना दे मुझे… आज से मैं तेरी हूँ… मेरी चूत को रंडी की तरह चोद… आह चोद और चोद आह फाड़ दे इस साली चुत को…
मैंने भी धक्कों की स्पीड बढ़ा दी और ज़ोर ज़ोर चोदने लगा रहा.
दसेक मिनट बाद भाभी झड़ने वाली थीं.वे चिल्लाईं- आह… मैं आ रही हूँ. और वो झड़ गईं. मगर अभी भी उनकी लंड खाने की भूख शांत नहीं हुई थी. वो अभी भी लगातार मुझे धक्के मारने को बोल रही थीं. मैंने भी उनको आसन बदलने को कहा.
मैं उनके ऊपर से हटा तो वो खड़ी हुईं ओर मुझे पलंग पर लिटाया और मेरे ऊपर आकर खुद ही उछल उछल कर लंड को चूत के अन्दर लेने लगीं.